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पुण्यतिथि पर याद किए गए प्रख्यात स्वाधीनता सेनानी लाला लाजपत राय

स्वाधीनता सेनानी लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि के मौके पर बहराइच में लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

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स्वाधीनता सेनानी लाला लाजपत राय
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Published : Nov 18, 2020, 10:47 AM IST

बहराइच: बहराइच विकास मंच ने मंगलवार को प्रख्यात स्वाधीनता संग्राम सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान लाला लाजपत राय के चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद वक्ताओं ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में जिले के तमाम बुद्धिजीवी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौजूद रहे.


युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं लाला लाजपत राय के विचार

वक्ताओं ने कहा कि लाला लाजपत राय के विचार आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. जिस प्रकार भारत में भ्रष्टाचार और अलगाववाद पनप रहा है, इसे दूर करने के लिए लाला लाजपत राय के विचार आज भी प्रासंगिक है.

कार्यक्रम में मंच के संरक्षक अनिल त्रिपाठी ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से एक लाल, बाल, पाल की तिकड़ी के मशहूर नेता लाला लाजपत राय का जीवन आज भी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है. उन्होंने न सिर्फ आजादी की लड़ाई के दौरान नेतृत्व किया बल्कि अपने जीवन उदाहरणों से उस आदर्श को स्थापित करने में सफलता पाई, जिसकी कल्पना एक आदर्श राजनेता में की जाती है.

28 जनवरी 1865 को हुआ था लाला लाजपत राय का जन्म

लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा में एक साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता लाला राधाकृष्ण एक अध्यापक थे. इसका प्रभाव लाजपत राय पर भी पड़ा. शुरूआती दिनों से ही वे एक मेधावी छात्र रहे और अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वकालत की ओर रुख कर लिया. वे एक बेहतरीन वकील बने और कुछ समय तक वकालत भी की, लेकिन जल्दी ही उनका मन इस काम से उचट गया. अंग्रेजों की न्याय व्यवस्था के प्रति उनके मन में रोष पैदा हो गया. जिसके बाद उन्होंने बैंकिंग का रूख किया.

शिक्षा के क्षेत्र में लाला लाजपत राय का योगदान

सेनानी उत्तराधिकारी के प्रदेश महामंत्री रमेश मिश्रा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में लाला लाजपत राय की महत्वपूर्ण उपलब्धि लाहौर का डीएवी कॉलेज रहा. उन्होंने इस कॉलेज को तब के भारत के बेहतरीन शिक्षा के केन्‍द्र में तब्दील कर दिया. यह कॉलेज उन युवाओं के लिए तो वरदान साबित हुआ, जिन्होंने असहयोग आंदोलन के दौरान अंग्रेजों द्वारा संचालित कॉलेजों को धता बता दिया था. डीएवी कॉलेज ने उनमें से अधिकांश की शिक्षा की व्यवस्था की.


इस मौके पर अजय त्रिपाठी, लोकनाथ पांडे, मुकेश श्रीवास्तव, बहराइच विकास मंच के कोषाध्यक्ष मंगलम बाजपेई, हिमांशु दीक्षित, राजन यादव आदि लोग मौजूद रहे.

बहराइच: बहराइच विकास मंच ने मंगलवार को प्रख्यात स्वाधीनता संग्राम सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान लाला लाजपत राय के चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद वक्ताओं ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में जिले के तमाम बुद्धिजीवी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौजूद रहे.


युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं लाला लाजपत राय के विचार

वक्ताओं ने कहा कि लाला लाजपत राय के विचार आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. जिस प्रकार भारत में भ्रष्टाचार और अलगाववाद पनप रहा है, इसे दूर करने के लिए लाला लाजपत राय के विचार आज भी प्रासंगिक है.

कार्यक्रम में मंच के संरक्षक अनिल त्रिपाठी ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से एक लाल, बाल, पाल की तिकड़ी के मशहूर नेता लाला लाजपत राय का जीवन आज भी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है. उन्होंने न सिर्फ आजादी की लड़ाई के दौरान नेतृत्व किया बल्कि अपने जीवन उदाहरणों से उस आदर्श को स्थापित करने में सफलता पाई, जिसकी कल्पना एक आदर्श राजनेता में की जाती है.

28 जनवरी 1865 को हुआ था लाला लाजपत राय का जन्म

लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा में एक साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता लाला राधाकृष्ण एक अध्यापक थे. इसका प्रभाव लाजपत राय पर भी पड़ा. शुरूआती दिनों से ही वे एक मेधावी छात्र रहे और अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वकालत की ओर रुख कर लिया. वे एक बेहतरीन वकील बने और कुछ समय तक वकालत भी की, लेकिन जल्दी ही उनका मन इस काम से उचट गया. अंग्रेजों की न्याय व्यवस्था के प्रति उनके मन में रोष पैदा हो गया. जिसके बाद उन्होंने बैंकिंग का रूख किया.

शिक्षा के क्षेत्र में लाला लाजपत राय का योगदान

सेनानी उत्तराधिकारी के प्रदेश महामंत्री रमेश मिश्रा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में लाला लाजपत राय की महत्वपूर्ण उपलब्धि लाहौर का डीएवी कॉलेज रहा. उन्होंने इस कॉलेज को तब के भारत के बेहतरीन शिक्षा के केन्‍द्र में तब्दील कर दिया. यह कॉलेज उन युवाओं के लिए तो वरदान साबित हुआ, जिन्होंने असहयोग आंदोलन के दौरान अंग्रेजों द्वारा संचालित कॉलेजों को धता बता दिया था. डीएवी कॉलेज ने उनमें से अधिकांश की शिक्षा की व्यवस्था की.


इस मौके पर अजय त्रिपाठी, लोकनाथ पांडे, मुकेश श्रीवास्तव, बहराइच विकास मंच के कोषाध्यक्ष मंगलम बाजपेई, हिमांशु दीक्षित, राजन यादव आदि लोग मौजूद रहे.

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