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लाखों की सरकारी दवाओं को कूड़े में फेंका

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में लाखों रुपए की सरकारी दवा के डिब्बे कूड़े में मिले हैं. दवा कूड़े में मिलने पर स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है.

दवाओं को कूड़े में फेंका
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Published : Jan 8, 2021, 10:56 AM IST

बहराइच: इसे लापरवाही कहें या नकारापन, एक ओर लाखों गरीब लोगों को दवा खरीदने के लिए परेशान होना पड़ता है, वहीं लाखों रुपए की सरकारी दवा कूड़े में फेंक दी गई. बात हो रही है बहराइच जिले की. यह जिला देश के पिछड़े जिलों में गिना जाता है और यहां स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के लिए सरकार लाखों खर्च कर रही है, लेकिन जिले में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने लापरवाही का गजब ही नमूना पेश किया. गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली इन दवाओं के एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं बल्कि हजारों डिब्बे अलग-अलग स्थानों पर फेंक दिए गए. मीडिया ने इन डिब्बों के दृश्यों को कैमरे में कैद कर लिया. वहीं, इस मामले में सीएमओ से लेकर सीएचसी के अधिकारी तक कोई भी बोलने को तैयार नहीं है.

आयरन की कमी पर दी जाती है ये दवा
जिला मुख्यालय से सटे चित्तौरा ब्लॉक के एक गांव के पास दवा के डिब्बे पड़े दिखे हैं. यहां बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से कुछ दूर पर सरकारी दवाओं के बिखरे पड़े डिब्बे जिम्मेदारों के हीला हवाली की दास्तां स्वयं कह रहे हैं. गर्भवती महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए इन दवाओं को दिया जाना था. किसी जरूरतमंद को देने की बजाय इन्हें इस तरह फेंका गया था कि किसी को कोई भनक न लगे. फेंकी गई इन दवाओं की एक्सपायरी डेट दिसंबर 2020 अंकित है. ग्रामीणों का दावा है कि अगर जरूरतमंदों को पर्याप्त मात्रा में दवा दी गई होती तो इस तरह फेंका नहीं गया होता.

कमी छिपाने को दिया अंजाम
विभागीय सूत्रों कि मानें तो कुछ दिन पहले ही विभागीय जिम्मेदारों ने अपनी कमियों को छिपाने के लिए इसे ठिकाने लगवाया है. ग्रामीणों का कहना कि इलाज के लिए जब वे सीएचसी जाते हैं तो बिना फीलगुड का अहसास किए दवाएं नहीं दी जाती हैं और अब लाखों की संख्या में बची दवाओं को फेंका जा रहा है.

बहराइच: इसे लापरवाही कहें या नकारापन, एक ओर लाखों गरीब लोगों को दवा खरीदने के लिए परेशान होना पड़ता है, वहीं लाखों रुपए की सरकारी दवा कूड़े में फेंक दी गई. बात हो रही है बहराइच जिले की. यह जिला देश के पिछड़े जिलों में गिना जाता है और यहां स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के लिए सरकार लाखों खर्च कर रही है, लेकिन जिले में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने लापरवाही का गजब ही नमूना पेश किया. गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली इन दवाओं के एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं बल्कि हजारों डिब्बे अलग-अलग स्थानों पर फेंक दिए गए. मीडिया ने इन डिब्बों के दृश्यों को कैमरे में कैद कर लिया. वहीं, इस मामले में सीएमओ से लेकर सीएचसी के अधिकारी तक कोई भी बोलने को तैयार नहीं है.

आयरन की कमी पर दी जाती है ये दवा
जिला मुख्यालय से सटे चित्तौरा ब्लॉक के एक गांव के पास दवा के डिब्बे पड़े दिखे हैं. यहां बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से कुछ दूर पर सरकारी दवाओं के बिखरे पड़े डिब्बे जिम्मेदारों के हीला हवाली की दास्तां स्वयं कह रहे हैं. गर्भवती महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए इन दवाओं को दिया जाना था. किसी जरूरतमंद को देने की बजाय इन्हें इस तरह फेंका गया था कि किसी को कोई भनक न लगे. फेंकी गई इन दवाओं की एक्सपायरी डेट दिसंबर 2020 अंकित है. ग्रामीणों का दावा है कि अगर जरूरतमंदों को पर्याप्त मात्रा में दवा दी गई होती तो इस तरह फेंका नहीं गया होता.

कमी छिपाने को दिया अंजाम
विभागीय सूत्रों कि मानें तो कुछ दिन पहले ही विभागीय जिम्मेदारों ने अपनी कमियों को छिपाने के लिए इसे ठिकाने लगवाया है. ग्रामीणों का कहना कि इलाज के लिए जब वे सीएचसी जाते हैं तो बिना फीलगुड का अहसास किए दवाएं नहीं दी जाती हैं और अब लाखों की संख्या में बची दवाओं को फेंका जा रहा है.

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