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बहराइच: गोसेवा की प्रेरणा स्रोत बनी यहां की थारू जनजाति, गायों की करते हैं नि:शुल्क देखभाल

उत्तर प्रदेश के बहराइच में थारू जनजाति गोवंश की नि:स्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं. उनकी यह सेवा लोगों के लिए मिसाल नहीं प्रेरणा बन गई हैं.

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Published : Dec 15, 2019, 12:32 PM IST

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थारू जनजाति कर रहे गायों कि निस्वार्थ सेवा.

बहराइच: जिले में थारू जनजाति गोवंश की रक्षा की मिसाल बन गई है. कतरनिया घाट के जंगलों में छोड़े गए सैकड़ों गोवंश की सेवा और उनके भरण-पोषण का दायित्व थारु जनजाति के लोगों ने अपने कंधों पर ले लिया है. गोवंश की सेवा के लिए गांव के लोगों की ड्यूटी लगाई गई है. प्रत्येक परिवार का एक व्यक्ति नित्य इनकी सेवा में लगाया जाता है. अनुपस्थित रहने वाले व्यक्ति को 200 रुपये जुर्माना अदा करना पड़ता है. गोवंश की सेवा के लिए इन्हें न कोई सरकारी सहायता मिलती है न ही कोई प्रोत्साहन. थारू जनजाति के लोगों का यह सेवा भाव न केवल मिसाल बना हुआ है बल्कि प्रेरणा प्रद भी है.

थारू जनजाति कर रहे गायों कि निस्वार्थ सेवा.

गोवंश की निस्वार्थ सेवा कर रहे थारु जनजाति के लोग
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोवंश की रक्षा के लिए संकल्प बद्ध हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो लाचार, वृद्ध, कमजोर और बीमार गोवंश को मरने के लिए जंगलों में छोड़ आए हैं. बधाई के पात्र थारू जनजाति के लोग हैं, जिन्होंने बेबस लाचार और बीमार गोवंश के पालन-पोषण और इलाज का जिम्मा संभाल रखा है. निशुल्क और निस्वार्थ भाव से थारू जनजाति बाहुल्य विशनापुर और आसपास के गांवों के लोगों ने जंगल में छोड़े गए गोवंश के संरक्षण और संवर्धन का बीड़ा उठाया है.

गोवंशों का ध्यान रखने के लिए लगती है ड्यूटी
बीमार, कमजोर, लाचार गोवंश का उपचार और पालन पोषण किया जा रहा है. लोगों ने अपने घरों के बाहर गोवंश को रखने के लिए छोटी-छोटी गौशालाऐ बनाई है. लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार गायों को रखकर उनका पालन पोषण कर रहे हैं. उनके पालन-पोषण और इलाज का जिम्मा पूरे गांव के लोगों पर है. गोवंश को चराने, घुमाने, चारा खिलाने, पानी पिलाने के लिए लोगों की ड्यूटी लगाई गई है. प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को रोजाना अपनी ड्यूटी का निर्वाहन करना होता है. ड्यूटी का निर्वहन न करने वाले व्यक्ति को 200 रुपये जुर्माना अदा करना पड़ता है.

गोवंश पालन करने का लिया संकल्प
जनजाति के लोगों ने बताया कि बहुत सी बीमार लाचार और कमजोर गायों को लोग जंगल में छोड़ गए थे. लोगों ने गोवंश को पालने उनकी सेवा करने का संकल्प लिया, जिसे वह निभाने के लिए जी जान से जुटे हैं. एक ओर सरकार ने गोवंश की सेवा के लिए प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की है. इसके बावजूद लोग गोवंश को जंगल में छोड़ रहे हैं. थारू जनजाति के लोग जिस सेवा भाव से निस्वार्थ गोवंश की सेवा कर रहे हैं, वह अपने आपमें एक मिसाल ही नहीं प्रेरणा है.

इसे भी पढ़ें- गौशाला के केयरटेकर ने 10 दोस्तों के साथ मिलकर 150 गोवंशों को बचाया

बहराइच: जिले में थारू जनजाति गोवंश की रक्षा की मिसाल बन गई है. कतरनिया घाट के जंगलों में छोड़े गए सैकड़ों गोवंश की सेवा और उनके भरण-पोषण का दायित्व थारु जनजाति के लोगों ने अपने कंधों पर ले लिया है. गोवंश की सेवा के लिए गांव के लोगों की ड्यूटी लगाई गई है. प्रत्येक परिवार का एक व्यक्ति नित्य इनकी सेवा में लगाया जाता है. अनुपस्थित रहने वाले व्यक्ति को 200 रुपये जुर्माना अदा करना पड़ता है. गोवंश की सेवा के लिए इन्हें न कोई सरकारी सहायता मिलती है न ही कोई प्रोत्साहन. थारू जनजाति के लोगों का यह सेवा भाव न केवल मिसाल बना हुआ है बल्कि प्रेरणा प्रद भी है.

थारू जनजाति कर रहे गायों कि निस्वार्थ सेवा.

गोवंश की निस्वार्थ सेवा कर रहे थारु जनजाति के लोग
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोवंश की रक्षा के लिए संकल्प बद्ध हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो लाचार, वृद्ध, कमजोर और बीमार गोवंश को मरने के लिए जंगलों में छोड़ आए हैं. बधाई के पात्र थारू जनजाति के लोग हैं, जिन्होंने बेबस लाचार और बीमार गोवंश के पालन-पोषण और इलाज का जिम्मा संभाल रखा है. निशुल्क और निस्वार्थ भाव से थारू जनजाति बाहुल्य विशनापुर और आसपास के गांवों के लोगों ने जंगल में छोड़े गए गोवंश के संरक्षण और संवर्धन का बीड़ा उठाया है.

गोवंशों का ध्यान रखने के लिए लगती है ड्यूटी
बीमार, कमजोर, लाचार गोवंश का उपचार और पालन पोषण किया जा रहा है. लोगों ने अपने घरों के बाहर गोवंश को रखने के लिए छोटी-छोटी गौशालाऐ बनाई है. लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार गायों को रखकर उनका पालन पोषण कर रहे हैं. उनके पालन-पोषण और इलाज का जिम्मा पूरे गांव के लोगों पर है. गोवंश को चराने, घुमाने, चारा खिलाने, पानी पिलाने के लिए लोगों की ड्यूटी लगाई गई है. प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को रोजाना अपनी ड्यूटी का निर्वाहन करना होता है. ड्यूटी का निर्वहन न करने वाले व्यक्ति को 200 रुपये जुर्माना अदा करना पड़ता है.

गोवंश पालन करने का लिया संकल्प
जनजाति के लोगों ने बताया कि बहुत सी बीमार लाचार और कमजोर गायों को लोग जंगल में छोड़ गए थे. लोगों ने गोवंश को पालने उनकी सेवा करने का संकल्प लिया, जिसे वह निभाने के लिए जी जान से जुटे हैं. एक ओर सरकार ने गोवंश की सेवा के लिए प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की है. इसके बावजूद लोग गोवंश को जंगल में छोड़ रहे हैं. थारू जनजाति के लोग जिस सेवा भाव से निस्वार्थ गोवंश की सेवा कर रहे हैं, वह अपने आपमें एक मिसाल ही नहीं प्रेरणा है.

इसे भी पढ़ें- गौशाला के केयरटेकर ने 10 दोस्तों के साथ मिलकर 150 गोवंशों को बचाया

Intro:एंकर। बहराइच में थारू जनजाति गौ वंश की रक्षा की मिसाल बन गई है. कतरनिया घाट के जंगलों में छोड़े गए सैकड़ों गोवंश की सेवा और उनके भरण-पोषण का दायित्व थारु जनजाति के लोगों ने अपने कंधों पर ले लिया है. गोवंश की सेवा के लिए गांव के लोगों की ड्यूटी लगाई गई है प्रत्येक परिवार का एक व्यक्ति नित्य इनकी सेवा में लगाया जाता है अनुपस्थित रहने वाले व्यक्ति को ₹200 जुर्माना अदा करना पड़ता है गोवंश की सेवा के लिए इन्हें ना कोई सरकारी सहायता मिलती है ना ही कोई प्रोत्साहन थारू जनजाति के लोगों का यह सेवा भाव ना केवल मिसाल बना हुआ है बल्कि प्रेरणा प्रद भी है. पेश है थारु ग्राम विशुनापुर से सय्यद मसूद कादरी की एक रिपोर्ट.


Body:वीओ-1- भले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोवंश की रक्षा के लिए संकल्प बद्ध हो. लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो लाचार, वृद्ध, कमजोर और बीमार गोवंश को मरने के लिए जंगलों में छोड़ आए हैं लेकिन बधाई के पात्र तो थारू जनजाति के लोग हैं जिन्होंने बेबस लाचार और बीमार गोवंश के पालन-पोषण और इलाज का जिम्मा संभाल रखा है. वह भी निशुल्क और निस्वार्थ भाव से थारू जनजाति बाहुल्य विशनापुर और आसपास के गांवों के थारू जनजाति के लोगों ने जंगल में छोड़े गए गोवंश के संरक्षण और संवर्धन का बीड़ा उठाया है. वह उन्हें अपने साथ अपने गांव ले गए हैं. जहां बीमार,कमजोर, लाचार गोवंश का उपचार पालन पोषण किया जा रहा है. उन्होंने अपने घरों के बाहर गोवंश को रखने के लिए छोटी-छोटी गौशालाऐ बनाई है. जहां वह अपने सामर्थ्य के अनुसार गायों को रखकर उनका पालन पोषण कर रहे हैं. उनके पालन-पोषण और इलाज का जिम्मा पूरे गांव के लोगों पर है. गोवंश को चराने,घुमाने, चारा खिलाने, पानी पिलाने के लिए लोगों की ड्यूटी लगाई गई है. प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को रोजाना अपनी ड्यूटी का निर्वाहन करना होता है. ड्यूटी का निर्वहन न करने वाले व्यक्ति को ₹200 जुर्माना अदा करना पड़ता है. जनजाति के लोगों ने बताया कि बहुत सी बीमार लाचार और कमजोर गायों को लोग जंगल में छोड़ गए थे. जिनकी लाचारी और बेबसी देखकर लोगों ने गोवंश को पालने उनकी सेवा करने का संकल्प लिया. जिसे वह निभाने के लिये जी जान से जुटे हैं. जहां एक ओर सरकार ने गोवंश की सेवा के लिए प्रति गोवंश ₹900 प्रतिमाह देने की घोषणा की है. लेकिन इसके बावजूद लोग गोवंश को जंगल में छोड़ रहे हैं. लेकिन थारू जनजाति के लोग जिस सेवा भाव से निस्वार्थ गोवंश की सेवा कर रहे हैं. वह अपने आपमें एक मिसाल ही नहीं प्रेरणा है.
बाइट:-1-भोलू प्रसाद (ग्राम प्रधान प्रतिनिधि) 2-माला 3-धामू 4-पीटूसी


Conclusion:सैयद मसूद कादरी
94 15 15 1963
बहराइच
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