बहराइच: जिले में थारू जनजाति गोवंश की रक्षा की मिसाल बन गई है. कतरनिया घाट के जंगलों में छोड़े गए सैकड़ों गोवंश की सेवा और उनके भरण-पोषण का दायित्व थारु जनजाति के लोगों ने अपने कंधों पर ले लिया है. गोवंश की सेवा के लिए गांव के लोगों की ड्यूटी लगाई गई है. प्रत्येक परिवार का एक व्यक्ति नित्य इनकी सेवा में लगाया जाता है. अनुपस्थित रहने वाले व्यक्ति को 200 रुपये जुर्माना अदा करना पड़ता है. गोवंश की सेवा के लिए इन्हें न कोई सरकारी सहायता मिलती है न ही कोई प्रोत्साहन. थारू जनजाति के लोगों का यह सेवा भाव न केवल मिसाल बना हुआ है बल्कि प्रेरणा प्रद भी है.
गोवंश की निस्वार्थ सेवा कर रहे थारु जनजाति के लोग
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोवंश की रक्षा के लिए संकल्प बद्ध हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो लाचार, वृद्ध, कमजोर और बीमार गोवंश को मरने के लिए जंगलों में छोड़ आए हैं. बधाई के पात्र थारू जनजाति के लोग हैं, जिन्होंने बेबस लाचार और बीमार गोवंश के पालन-पोषण और इलाज का जिम्मा संभाल रखा है. निशुल्क और निस्वार्थ भाव से थारू जनजाति बाहुल्य विशनापुर और आसपास के गांवों के लोगों ने जंगल में छोड़े गए गोवंश के संरक्षण और संवर्धन का बीड़ा उठाया है.
गोवंशों का ध्यान रखने के लिए लगती है ड्यूटी
बीमार, कमजोर, लाचार गोवंश का उपचार और पालन पोषण किया जा रहा है. लोगों ने अपने घरों के बाहर गोवंश को रखने के लिए छोटी-छोटी गौशालाऐ बनाई है. लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार गायों को रखकर उनका पालन पोषण कर रहे हैं. उनके पालन-पोषण और इलाज का जिम्मा पूरे गांव के लोगों पर है. गोवंश को चराने, घुमाने, चारा खिलाने, पानी पिलाने के लिए लोगों की ड्यूटी लगाई गई है. प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को रोजाना अपनी ड्यूटी का निर्वाहन करना होता है. ड्यूटी का निर्वहन न करने वाले व्यक्ति को 200 रुपये जुर्माना अदा करना पड़ता है.
गोवंश पालन करने का लिया संकल्प
जनजाति के लोगों ने बताया कि बहुत सी बीमार लाचार और कमजोर गायों को लोग जंगल में छोड़ गए थे. लोगों ने गोवंश को पालने उनकी सेवा करने का संकल्प लिया, जिसे वह निभाने के लिए जी जान से जुटे हैं. एक ओर सरकार ने गोवंश की सेवा के लिए प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की है. इसके बावजूद लोग गोवंश को जंगल में छोड़ रहे हैं. थारू जनजाति के लोग जिस सेवा भाव से निस्वार्थ गोवंश की सेवा कर रहे हैं, वह अपने आपमें एक मिसाल ही नहीं प्रेरणा है.
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