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बहराइच: प्रवासी श्रमिकों को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग, 17 अगस्त तक चलेगा कार्यक्रम - बहराइच में प्रवासी मजदूरों को दिया गया प्रशिक्षण

बहराइच में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी मजदूरों को कृषि विज्ञान केंद्र विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण दे रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र प्रथम ने मशरूम उत्पादन का हुनर सिखाने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया है, जो 17 अगस्त तक जारी रहेगा.

बैठक करते अधिकारी.
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Published : Aug 14, 2020, 2:19 PM IST

बहराइच: जिले में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद तेज कर दी गए है. कृषि विज्ञान केंद्र विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण देकर अभियान को गति देने में जुटा है. कृषि विज्ञान केंद्र प्रथम ने मशरूम उत्पादन का हुनर सिखाने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया है, जो 17 अगस्त तक जारी रहेगा.

श्रमिकों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने की कवायद तेज

बहराइच में कृषि विज्ञान केन्द्र प्रथम द्वारा गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों को मशरूम उत्पादन तकनीकी विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है. शुक्रवार को कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. एमपी सिंह प्रभारी अधिकारी ने किया. डॉ. सिंह ने तराई क्षेत्र में मशरूम की खेती से होने वाले लाभ के बारे में श्रमिकों को विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बहराइच जनपद में मशरूम की शुरुआत करके लगभग 50 हजार रुपये प्रतिमाह प्राप्त की जा सकती है.

मशरूम उत्पादन के बताए फायदे

कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. आरके पाण्डेय ने मशरूम उत्पादन की चर्चा करते हुए बताया कि बटन मशरूम उत्पादन में कम्पोस्टिंग ओैर स्पाॅननिंग दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं. उन्होंने बताया कि 35 दिन में कम्पोस्ट तैयार होने के बाद स्पाॅननिंग और केसगिंग करना अति महत्वपूर्ण है. अन्यथा उत्पादन प्रभावित होता है. डॉ. पांडेय ने मशरूम उत्पादन का महत्व एवं अच्छे बीज (स्पाॅन) का चयन एवं विशेषताएं, बिजाई करने का ढंग तथा बीज (स्पाॅन) को लाने में सावधानियां आदि के बारे में प्रयोगात्मक जानकारी दी.

इसके अलावा केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने मशरूम की तुड़ाई एवं विपणन के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि जब मशरूम बटन की अवस्था में जब टोपी का आकार 3 से 4 सेंटीमीटर के हो जाएं, तो खुम्ब तोड़ने योग्य होती हैं. यदि इस अवस्था में मशरूम को तोड़ा ना जाए तो मशरूम धीरे-धीरे छतरी का आकार ले लेती है जिनकी बाजारों में पर्याप्त मूल्य नहीं मिल पाती.

मशरूम में उच्च स्तर प्रोटीन पाया जाता है

प्रशिक्षण के समन्वयक रेनू आर्या ने बताया कि मशरूम में उच्च स्तर प्रोटीन, विटामिन, फाइबर, खनिज लवण और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. जिला उद्यान निरीक्षिका रश्मी शर्मा एवं उद्यान सहायक आरके वर्मा ने मशरूम के महत्व, उत्पादन तकनीकी एवं अन्य विभागीय योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

बता दें कि जनपद के विभिन्न अंचलों से आए हुए 35 प्रशिक्षणार्थी इस प्रयोगशाला में हिस्सा ले रहे हैं. आज के इस कार्यक्रम में नंदन सिंह एवं आभास, प्रगतिशील कृषक शक्तिनाथ सिंह आदि शामिल हुए और अपने ज्ञान से कृषकों को लाभान्वित किया.

बहराइच: जिले में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद तेज कर दी गए है. कृषि विज्ञान केंद्र विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण देकर अभियान को गति देने में जुटा है. कृषि विज्ञान केंद्र प्रथम ने मशरूम उत्पादन का हुनर सिखाने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया है, जो 17 अगस्त तक जारी रहेगा.

श्रमिकों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने की कवायद तेज

बहराइच में कृषि विज्ञान केन्द्र प्रथम द्वारा गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों को मशरूम उत्पादन तकनीकी विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है. शुक्रवार को कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. एमपी सिंह प्रभारी अधिकारी ने किया. डॉ. सिंह ने तराई क्षेत्र में मशरूम की खेती से होने वाले लाभ के बारे में श्रमिकों को विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बहराइच जनपद में मशरूम की शुरुआत करके लगभग 50 हजार रुपये प्रतिमाह प्राप्त की जा सकती है.

मशरूम उत्पादन के बताए फायदे

कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. आरके पाण्डेय ने मशरूम उत्पादन की चर्चा करते हुए बताया कि बटन मशरूम उत्पादन में कम्पोस्टिंग ओैर स्पाॅननिंग दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं. उन्होंने बताया कि 35 दिन में कम्पोस्ट तैयार होने के बाद स्पाॅननिंग और केसगिंग करना अति महत्वपूर्ण है. अन्यथा उत्पादन प्रभावित होता है. डॉ. पांडेय ने मशरूम उत्पादन का महत्व एवं अच्छे बीज (स्पाॅन) का चयन एवं विशेषताएं, बिजाई करने का ढंग तथा बीज (स्पाॅन) को लाने में सावधानियां आदि के बारे में प्रयोगात्मक जानकारी दी.

इसके अलावा केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने मशरूम की तुड़ाई एवं विपणन के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि जब मशरूम बटन की अवस्था में जब टोपी का आकार 3 से 4 सेंटीमीटर के हो जाएं, तो खुम्ब तोड़ने योग्य होती हैं. यदि इस अवस्था में मशरूम को तोड़ा ना जाए तो मशरूम धीरे-धीरे छतरी का आकार ले लेती है जिनकी बाजारों में पर्याप्त मूल्य नहीं मिल पाती.

मशरूम में उच्च स्तर प्रोटीन पाया जाता है

प्रशिक्षण के समन्वयक रेनू आर्या ने बताया कि मशरूम में उच्च स्तर प्रोटीन, विटामिन, फाइबर, खनिज लवण और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. जिला उद्यान निरीक्षिका रश्मी शर्मा एवं उद्यान सहायक आरके वर्मा ने मशरूम के महत्व, उत्पादन तकनीकी एवं अन्य विभागीय योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

बता दें कि जनपद के विभिन्न अंचलों से आए हुए 35 प्रशिक्षणार्थी इस प्रयोगशाला में हिस्सा ले रहे हैं. आज के इस कार्यक्रम में नंदन सिंह एवं आभास, प्रगतिशील कृषक शक्तिनाथ सिंह आदि शामिल हुए और अपने ज्ञान से कृषकों को लाभान्वित किया.

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