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बहराइच: धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या का है विशेष महत्व, दान करते हैं विशेष वस्तुएं - special importance of mauni amavasya

उत्तर प्रदेश के बहराइच में सरयू नदी पर श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या के पर्व की परंपरा निभाते हुए डुबकी लगाई. साथ ही अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल आदि वस्तुओं का दान भी किया.

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मौनी अमावस्या का है विशेष महत्व.
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Published : Jan 25, 2020, 6:27 AM IST

बहराइच: मौनी अमावस्या पर पौराणिक नगरी में सरयू नदी पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर पर्व की परंपरा निभाई. स्नान के बाद दान पुण्य का दौर चला. कई धार्मिक स्थानों पर पूजन और अनुष्ठान भी कराया गया. श्रद्धालुओं ने स्नान कर तिल, चावल, काले कपड़े और कंबल दान किया. मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है. मौनी अमावस्या पर किया गया दान पुण्य का फल सतयुग के ताप के बराबर मिलता है.

मौनी अमावस्या का है विशेष महत्व.

मौनी अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता है. यह अमावस्या माघ मास में आती है. इसलिए इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है. इस साल मौनी अमावस्या 24 जनवरी को पड़ी. इस दिन व्रती को मौन धारण करते हुए दिनभर मुनियों सा आचरण करना पड़ता है. इसी कारण यह अमावस्या मौनी अमावस्या कहलाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होता है. माना जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत बन जाता है. इसलिए माघ स्नान के लिए मांघी की अमावस्या यानी मौनी अमावस्या को बहुत ही विशेष माना गया है.
इसे भी पढ़ें-पूर्वोत्तर रेलवे की डीआरएम ने बहराइच स्टेशन का किया औचक निरीक्षण, गंदगी देख अफसरों पर बरसीं

मौनी अमावस्या के दिन होता है इन वस्तुओं का दान
मौनी अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गर्म वस्त्र, काले कपड़े, जूते दान करने का विशेष महत्व है. वहीं जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का है, उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बतासा और आदि जिसो का दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है. मौनी अमावस्या पर किया गया दान पुण्य का फल सतयुग के ताप के बराबर मिलता है. इस दिन प्रात स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करनी होती है. मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है.
-रवि गिरी जी महाराज, महंत, श्री सिद्धनाथ मंदिर

बहराइच: मौनी अमावस्या पर पौराणिक नगरी में सरयू नदी पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर पर्व की परंपरा निभाई. स्नान के बाद दान पुण्य का दौर चला. कई धार्मिक स्थानों पर पूजन और अनुष्ठान भी कराया गया. श्रद्धालुओं ने स्नान कर तिल, चावल, काले कपड़े और कंबल दान किया. मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है. मौनी अमावस्या पर किया गया दान पुण्य का फल सतयुग के ताप के बराबर मिलता है.

मौनी अमावस्या का है विशेष महत्व.

मौनी अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता है. यह अमावस्या माघ मास में आती है. इसलिए इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है. इस साल मौनी अमावस्या 24 जनवरी को पड़ी. इस दिन व्रती को मौन धारण करते हुए दिनभर मुनियों सा आचरण करना पड़ता है. इसी कारण यह अमावस्या मौनी अमावस्या कहलाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होता है. माना जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत बन जाता है. इसलिए माघ स्नान के लिए मांघी की अमावस्या यानी मौनी अमावस्या को बहुत ही विशेष माना गया है.
इसे भी पढ़ें-पूर्वोत्तर रेलवे की डीआरएम ने बहराइच स्टेशन का किया औचक निरीक्षण, गंदगी देख अफसरों पर बरसीं

मौनी अमावस्या के दिन होता है इन वस्तुओं का दान
मौनी अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गर्म वस्त्र, काले कपड़े, जूते दान करने का विशेष महत्व है. वहीं जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का है, उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बतासा और आदि जिसो का दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है. मौनी अमावस्या पर किया गया दान पुण्य का फल सतयुग के ताप के बराबर मिलता है. इस दिन प्रात स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करनी होती है. मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है.
-रवि गिरी जी महाराज, महंत, श्री सिद्धनाथ मंदिर

Intro:एंकर। मौनी अमावस्या पर पौराणिक नगरी बहराइच में सरयू नदी पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर पर्व की परंपरा निभाई. स्नान के बाद दान पुण्य का दौर चला. कई धार्मिक स्थानों पर पूजन और अनुष्ठान भी कराया गया. श्रद्धालुओं ने स्नान कर चिल, चावल, काले कपड़े और कंबल दान आदि किया. मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है. मौनी अमावस्या पर किया गया दान पुण्य का फल सतयुग के ताप के बराबर मिलता है.


Body:वीओ-1- हिंदू धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता है. यह अमावस्या माघ मास में आती है. इसलिए इसे मांघी अमावस्या भी कहा जाता है. इस साल मौनी अमावस्या 24 जनवरी को पड़ी है. इस दिन व्रती को मौन धारण करते हुए दिनभर मुनियों सा आचरण करना पड़ता है. इसी कारण यह अमावस्या मौनी अमावस्या कहलाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होता है. माना जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत बन जाता है. इसलिए माघ स्नान के लिए मांघी की अमावस्या यानी मौनी अमावस्या को बहुत ही विशेष माना गया है.
मौनी अमावस्या का महत्व बताते हुए महामंडलेश्वर श्री सिद्धनाथ मंदिर के महंत रवि गिरी जी महाराज का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है. मौनी अमावस्या पर किया गया दान पुण्य का फल सतयुग के ताप के बराबर मिलता है. इस दिन प्रात स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करनी होती है. मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है.
* मौनी अमावस्या के दिन होता है इन वस्तुओं का दान*
मौनी अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गर्म वस्त्र, काले कपड़े, जूते दान करने का विशेष महत्व है. वहीं जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का है उन्हें दूध चावल खीर मिश्री बतासा दान करने में विशेष फल की प्राप्ति होगी.
बाइट-1- महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी जी महाराज महंत श्री सिद्धनाथ मंदिर


Conclusion:सैयद मसूद कादरी
94 15 15 1963
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