बागपत: जिले में शिक्षा का मंदिर तोड़े जाने के बाद 116 बालिकाएं और 5 शिक्षिकाएं, कर्मचारी सड़क पर आ गए हैं. जिसके बाद नौकरी बचाने के लिए शिक्षिकाएं और कर्मचारी देर रात तक कलक्ट्रेट पर धरने पर बैठे रहे. शिक्षिकाओं ने छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाकर जिलाधिकारी से शिकायत की है. ये हालात ऐसे समय में बने जब इन शिक्षिकाओं से चंद कदम की दूरी पर महिला दिवस का कार्यक्रम भी चल रहा था.
विद्यालय के जर्जर भवन पर चला हथौड़ा
दरअसल, बड़ौत में कई बरसों से सहायता प्राप्त श्री जैन कन्या जूनियर हाई स्कूल के नाम से विद्यालय संचालित था. बताया जा रहा है कि इस स्कूल का निर्माण जैन समाज ने ही कराया था. कहा जा रहा है कि आपसी सामंजस और टकराव के चलते गत 21 दिसंबर से स्कूल को तोड़े जाने की प्रक्रिया अमल में लाई गई है. इस विद्यालय में पढ़ाने वाली शिक्षिकाओं ने कोरोना काल में घर-घर जाकर 116 बालिकाओं का स्कूल में पंजीकरण किया. कुछ लोगों की शिकायत के बाद कि विद्यालय के भवन को जर्जर घोषित कराकर तुड़वा दिया गया है. महीनों से शिक्षिकाएं, बालिकाएं और उनके परिजन लगातार अधिकारियों से न्याय दिलाने की गुहार लगाकर थक चुके हैं. न्याय न मिलने से परेशान शिक्षिकाएं, कर्मचारी मंगलवार को कलक्ट्रेट पर धरने पर बैठ गए.
न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगी शिक्षिकाएं
शिक्षिकाओं ने एसडीएम बड़ौत के खिलाफ कोर्ट जाने का निर्णय लिया है. शिक्षिकाओं ने आरोप लगाए हैं कि एसडीएम बड़ौत ने बेसिक शिक्षा विभाग को बिना जानकारी दिए श्री जैन कन्या जूनियर हाई स्कूल की बिल्डिंग को तुड़वा दिया. उन्होंने बिल्डिंग को क्षतिग्रस्त दिखाकर स्थानांतरण करने का हवाला दिया है, जबकि बिल्डिंग सही हालत में मौजूद थी. शिक्षिकाओं ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी राजकमल यादव से करते हुए न्याय की मांग की है. प्रिंसिपल गरिमा जैन का कहना है एसडीएम के आदेश के खिलाफ वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगी.
अध्यापिकाओं का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा. तब तक वो सभी धरने पर ही बैठी रहेंगी. मामले में संबंधित अधिकारियों ने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से मना कर दिया. एक अधिकारी ने बताया कि अजितनाथ दिगंबर जैन मंदिर की जगह पर स्कूल की जर्जर बिल्डिंग थी, जिसे ध्वस्त करने के आदेश दिए गए थे. उसी आदेश पर जर्जर बिल्डिंग ध्वस्त कराई गई है.
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दिन में चंद कदम की दूरी पर कार्यक्रम भी आयोजित हो रहा था, जिसमें महिलाओं को बागपत सांसद सम्मानित कर रहे थे. वहीं दूसरी ओर इन महिलाओं की पूरी तरह से अनदेखी भी की जा रही थी.