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बागपत: गन्ने का बकाया भुगतान न होने से किसान परेशान, कहा- चुनाव में सिखाएंगे सबक

बागपत जिले में तीन चीनी मिले हैं. इनमें बागपत, रमाला और मलकपुर चीनी मिल में गन्ना किसानों का करोड़ों रुपये बकाया है. वहीं बकाया भुगतान को लेकर किसान परेशान हैं. सबसे ज्यादा 196 करोड़ रुपये मलकपुर चीनी मिल पर बकाया है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते गन्ना किसान.
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Published : Mar 30, 2019, 6:52 PM IST

बागपत: जिले में गन्नेका बकाया भुगतान न होने से किसान परेशान हैं. किसानों काकरोड़ों रुपयेका बकाया भुगतान मलकपुर चीनी मिलपर अब भी है, जिसकी मांग किसान लगातार कर रहे हैं. इसी को लेकरईटीवी भारत की टीम ने मलकपुर में किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की.इस दौरान किसानों ने गन्ना भुगतान, सरकार और चुनाव को लेकरअपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की.

ईटीवी भारत से बातचीत करते गन्ना किसान.

दरअसल पश्चिम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में गन्ना भुगतान न होने से किसान परेशान हैं. दिन-रात किसान खेतों में मेहनत करके गन्ने कीपैदावार करते हैं, लेकिन उन्हें फसल का उचित दाम भी समय पर नहीं मिल पाताहै. जिले की मलकपुर चीनी मिल मेंकिसानों का करोड़ रुपये का बकाया भुगतान है, जिसकी मांगकिसानों द्वारा लगातार कीजा रहीहैं, लेकिन आश्वासन के शिवा और कुछ नहीं मिल रहा है. जिले की तीनों चीनी मिल बागपत, रमाला और मलकपुर चीनी मिल पर करोड़ों रुपये का गन्ना किसानों का बकाया भुगतान होना है, लेकिन भुगतान को लेकर सरकार की तरफ सेकोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है.

वहीं मलकपुर चीनी मील में पेराई सत्र2018 में 196 करोड़रुपये किसानों काबकाया है. बकाया भुगतान नहोने से किसान आर्थिक संकट से जूझ रहा है. गन्ना भुगतान को लेकर आए दिन किसानप्रदर्शन करते रहते हैं,लेकिन उसके बाद भी प्रदेश सरकारध्यान नहीं दे रही है. वहीं इन सब समस्याओं के बीच2019 लोकसभा चुनाव का आगाजहो गया है. तमाम राजनैतिक पार्टिया अपने वोटरों को लुभाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाने में जुट गईहैं और गन्ना किसानों के मुद्दे को भी उठा रही हैं. बागपत लोकसभा सीट भी वीवीआईपी सीट मानी जाती है. यहांसे किसानों के मसीहा कहे जाने वालेचौधरी चरण सिंह ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करके देश के प्रधानमंत्री तक की गद्दी तक संभाली है.

चौधरी चरण सिंह के बाद उनके बेटेचौधरी अजित सिंह ने उनकी विरासत को संभाल कर रखा है, लेकिन 2014 के लोकसभाचुनाव में मोदी लहर में वह अपनी साख भी नहीं बचा पाए और बागपत सेबीजेपी ने अपना परचम लहराया था.इस बार के चुनाव में चौधरी अजित सिंह ने गठबंधन के साथ मिलकर अपना पाला बदल लिया है. चौधरी अजीत सिंहमुज्जफरनगर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर गए हैं,जबकि बागपत सीट से उनके बेटेजयंतचौधरी चुनावी मैदान में हैं. इन्हीं सब मुद्दों और चुनावी माहौल को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मलकपुर चीनी मिल में गन्ना रखने आए किसानों से बातचीत की और उनकी नब्ज टटोलने की कोशिश की.

बागपत: जिले में गन्नेका बकाया भुगतान न होने से किसान परेशान हैं. किसानों काकरोड़ों रुपयेका बकाया भुगतान मलकपुर चीनी मिलपर अब भी है, जिसकी मांग किसान लगातार कर रहे हैं. इसी को लेकरईटीवी भारत की टीम ने मलकपुर में किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की.इस दौरान किसानों ने गन्ना भुगतान, सरकार और चुनाव को लेकरअपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की.

ईटीवी भारत से बातचीत करते गन्ना किसान.

दरअसल पश्चिम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में गन्ना भुगतान न होने से किसान परेशान हैं. दिन-रात किसान खेतों में मेहनत करके गन्ने कीपैदावार करते हैं, लेकिन उन्हें फसल का उचित दाम भी समय पर नहीं मिल पाताहै. जिले की मलकपुर चीनी मिल मेंकिसानों का करोड़ रुपये का बकाया भुगतान है, जिसकी मांगकिसानों द्वारा लगातार कीजा रहीहैं, लेकिन आश्वासन के शिवा और कुछ नहीं मिल रहा है. जिले की तीनों चीनी मिल बागपत, रमाला और मलकपुर चीनी मिल पर करोड़ों रुपये का गन्ना किसानों का बकाया भुगतान होना है, लेकिन भुगतान को लेकर सरकार की तरफ सेकोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है.

वहीं मलकपुर चीनी मील में पेराई सत्र2018 में 196 करोड़रुपये किसानों काबकाया है. बकाया भुगतान नहोने से किसान आर्थिक संकट से जूझ रहा है. गन्ना भुगतान को लेकर आए दिन किसानप्रदर्शन करते रहते हैं,लेकिन उसके बाद भी प्रदेश सरकारध्यान नहीं दे रही है. वहीं इन सब समस्याओं के बीच2019 लोकसभा चुनाव का आगाजहो गया है. तमाम राजनैतिक पार्टिया अपने वोटरों को लुभाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाने में जुट गईहैं और गन्ना किसानों के मुद्दे को भी उठा रही हैं. बागपत लोकसभा सीट भी वीवीआईपी सीट मानी जाती है. यहांसे किसानों के मसीहा कहे जाने वालेचौधरी चरण सिंह ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करके देश के प्रधानमंत्री तक की गद्दी तक संभाली है.

चौधरी चरण सिंह के बाद उनके बेटेचौधरी अजित सिंह ने उनकी विरासत को संभाल कर रखा है, लेकिन 2014 के लोकसभाचुनाव में मोदी लहर में वह अपनी साख भी नहीं बचा पाए और बागपत सेबीजेपी ने अपना परचम लहराया था.इस बार के चुनाव में चौधरी अजित सिंह ने गठबंधन के साथ मिलकर अपना पाला बदल लिया है. चौधरी अजीत सिंहमुज्जफरनगर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर गए हैं,जबकि बागपत सीट से उनके बेटेजयंतचौधरी चुनावी मैदान में हैं. इन्हीं सब मुद्दों और चुनावी माहौल को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मलकपुर चीनी मिल में गन्ना रखने आए किसानों से बातचीत की और उनकी नब्ज टटोलने की कोशिश की.

Intro:

गन्ने से बनी चीनी भले ही मुंह में मिठास भर देती हो लेकिन गन्ना किसानों के लिए फसल कड़वाहट से भर गई है। क्योंकि गन्ना किसानों का करोड़ों रुपए का बकाया भुगतान मलकपुर चीनी मिलों पर अब भी है। जिसकी मांग को लेकर किसान परेशान हैं और इस गन्ना किसान के ऊपर सियासत भी खूब चलती है देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह ने कहा था। कि देश की खुशहाली का रास्ता गांव की पगडंडियों से होकर गुजरता है और असली भारत ही गांव में ही बसता है। लेकिन अब गांव में रहने वाले इन किसानों के चेहरों पर चिंता का माहौल है क्योंकि यह गन्ने की फसल किसानों की सबसे परेशानी का कारण बनती जा रही है। किसान इतना मजबूर है कि वह कुछ भी नहीं कर सकता जो चाहता है। वह कभी पूरा भी नहीं पता सबसे बड़ी वोट की ताकत उसके हाथ में है। लेकिन फिर भी उसके हाथ खाली है। दरअसल पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान जिसे उम्मीद के साथ अपने खेतों में दिन रात मेहनत करके गन्ने की पैदावार करते हैं। लेकिन की गन्ने की फसल के उन्हें उचित दाम भी समय पर नहीं मिल पाते है वही 2019 के लोकसभा चुनाव का आगाज शुरू हो गया है। तमाम राजनैतिक पार्टिया अपने वोटरों को लुभाने के लिए नए नए हथकंडे अपनाने में जुटे है। बात करेंगे उतर प्रदेश की बागपत लोकसभा सीट की यह सीट एक वीवी आईपी सीट मानी जाती है क्योंकि यहाँ से किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह ने भी अपने राजनैतिक कैरियर शुरुआत करके देश के प्रधानमंत्री बने थे लेकिन उनके बाद उनके बेटे चौधरी अजित सिंह ने उनकी विरासत को संभाल कर रखा लेकिन 2014 के चुनाव में चली मोदी लहर में वह अपनी साख नही बचा पाए और बीजेपी ने यहाँ पर अपना परचम लहराया था। लेकिन चौधरी अजित सिंह को यहाँ से उन्हें हार का मुह देखना पड़ा था और लेकिन इस बार होने वाले चुनाव में चौधरी अजित सिंह ने गठबंधन के साथ मिलकर यहाँ से अपना पाला बदल लिया और उन्होंने मुज़्ज़फरनगर सीट से चुनाव मैदान में उतर गए जबकि उन्होंने बागपत सीट से अपने पुत्र जयन्त चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा है। वही ईटीवी भारत भी लोगो की नब्ज टटोलने के पहुँचा। बागपत के किसानों के बीच जहाँ काफ़ी संख्या मे किसान अपना गन्ना डालने के लिए मलकपुर चीनी मिल पहुँचे थे तो आखिर कहा कहना है इन किसानों का और किस मुद्दे पर होगी उनकी वोट देखिये ईटीवी भारत की यह स्पेशल रिपोर्ट ।


Body:बागपत जिले में गन्ना किसानों का करोड़ों रुपए से अधिक दवाई बैठे हैं। एक और विभाग ने नए पेराई सत्र की चल रहा है। लेकिन मौजूदा सत्र के बकाया भुगतान को लेकर कोई योजना नजर नहीं आ रही। जिले में हजारों किसान का करोड़ों रुपए का गन्ना भुगतान चीनी मिलों में फंसा हुआ है जिसके भुगतान को लेकर कोई प्रतिक्रिया नजर नहीं आ रही। जिले में 3 जिले में संचालित है। मलकपुर चीनी मील 2018 सत्र में 196करोड रुपये बकाया है। बकाया भुगतान ना होने से किसान आर्थिक संकट से जूझ रहा है। हालांकि प्रदेश में सरकार के 14 जिलों के अंदर गन्ना भुगतान के आदेश को पूरी तरह कैसे ध्वस्त किया जा रहा है। गन्ना किसान आए दिन भुगतान को लेकर प्रदर्शन करते रहते हैं। लेकिन उसके बाद भी प्रदेश सरकार उनकी तरफ ध्यान नहीं दे रही है। जिस को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने बागपत जिले की मलकपुर में जाकर किसानों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की। इस दौरान किसानों ने सरकार को लेकर चुनाव को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त की।



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