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जयंत चौधरी ने अमित शाह पर साधा निशाना, कहा- किसानों के लिए भी दो शब्द कह देते

राष्ट्रीय लोकदल यानि रालोद के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अगर गृह मंत्री पुलिसकर्मियों के बीच जा रहे हैं तो दो शब्द किसानों के लिए भी कह देते तो कोई हानि नहीं होनी थी. कहीं न कहीं किसान के दिल में थोड़ी बहुत भावना बनती कि सरकार हमारी है.

jayant chaudhary targeted amit shah
रालोद के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी.
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Published : Jan 29, 2021, 4:07 PM IST

बागपत : राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि घायल पुलिसवालों से मिलने तो गृह मंत्री जा रहे हैं. वहीं यदि वे किसानों के लिए भी दो शब्द कह देते तो कोई हानि नहीं होनी थी. किसानों के दिल में यह भावना बनती कि सरकार हमारी है. पुलिस वाले भी हमारे भाई हैं और हमारे बीच से ही गए हैं. उन्हें कुछ होता है तो हमें भी दर्द होता है. दरअसल, जयंत चौधरी मुजफ्फरनगर में भाकियू मुखिया नरेश टिकैत की पंचायत में शामिल होने जा रहे थे और कुछ वक्त के लिए बड़ौत रुके, जहां उन्होंने ये बातें कही.

रालोद उपाध्यक्ष ने गृह मंत्री पर साधा निशाना.

'जनता को आवाज को दबा नहीं सकती सरकार'

जयंत चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार बल प्रयोग करके जनता की आवाज को दबा नहीं सकती. यह अत्याचारी सरकार बन गई है, धीरे-धीरे लोगों को अहसास हो रहा है. बागपत के सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह के ट्वीट 'लाल किले को असामाजिक तत्व जलियांवाला बाग बनाना चाहते थे' पर जयंत ने कहा कि लाल किले से बड़ा दर्द हुआ, लेकिन किसानों पर लाठीचार्ज हुआ, सैकड़ों किसान मर गए, उनके प्रति कोई संवेदना नहीं.

  • ऐसा प्रतीत होता है कि गणतंत्र दिवस पर कुछ अराजक तत्वों की योजना लालकिले को जलियांवाला बाग बनाने की थी लेकिन दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों को मेरा नमन कि उन्होंने अपनी जान की परवाह किये बिना भारत के गणतंत्र को खून के छीटों से कलंकित होने से बचा लिया।

    — Dr. Satya Pal Singh (@dr_satyapal) January 28, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

'अफसरों का हुआ राजनीतिकरण'

रालोद उपाध्यक्ष ने कहा कि मैं अभी गाजीपुर से होकर आ रहा हूं. वहां भी भारी तनाव था. सरकार किसानों को उठाना क्यों चाहती है, यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही है. उन्होंने कहा कि हर नागरिक का अधिकार होता है कि अगर आपको सरकार की कोई बात पसंद नहीं आ रही है, कोई कानून पसंद नहीं आ रहा तो विरोध तो कर सकते हो. यह पहली ऐसी सरकार आई है, जिसमें ऐसे अफसर आ गए हैं, जिनका पूर्ण रूप से राजनीतिकरण हो गया. जैसा पॉलिटिकल बॉस कहते हैं, वैसा ही अधिकारी करते हैं.

'आंदोलन स्थल से दूर था टोल प्लाजा'

जयंत चौधरी ने कहा कि एसडीएम कह रहे हैं कि NHAI के काम में आंदोलन बाधा बन रहा था. जबकि जहां आंदोलन हो रहा था, वह स्थान टोल प्लाजा से 10-15 किलोमीटर दूर है. फिर प्रशासन का कहना है कि शांतिपूर्वक तरीके से स्वतः ही बड़ौत का आंदोलन समाप्त हुआ. आपने खुद देखा. बुजुर्ग किसान को लाठी मारना कौन सी वीरता है. ये तो क्रूरता है. बागपत तो किसानों का जिला रहा है. अपने जिले में यहां किसान लाठी खाएंगे. यहां इतने आंदोलन हुए, मुझे नहीं लगता कि आज तक बागपत के किसानों पर लाठी पड़ी हो. कोई भी सरकार आई हो, किसी की मजाल नहीं थी कि बागपत में ही किसानों पर लाठी चले.

'मरने वाले किसानों के प्रति कोई संवेदना नहीं'

रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि लाल किले पर निशान साहिब फहराने से लोगों को बड़ा दर्द हुआ, लेकिन सैकड़ों किसान मर गए, उनके प्रति कोई संवेदना नहीं. पुलिस में भी हमारे बच्चे हैं, भाई हैं. हमारा भी हक उन पर बनता है. हमें भी दर्द होता है, अगर उनको कोई चोट लगे.

बागपत : राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि घायल पुलिसवालों से मिलने तो गृह मंत्री जा रहे हैं. वहीं यदि वे किसानों के लिए भी दो शब्द कह देते तो कोई हानि नहीं होनी थी. किसानों के दिल में यह भावना बनती कि सरकार हमारी है. पुलिस वाले भी हमारे भाई हैं और हमारे बीच से ही गए हैं. उन्हें कुछ होता है तो हमें भी दर्द होता है. दरअसल, जयंत चौधरी मुजफ्फरनगर में भाकियू मुखिया नरेश टिकैत की पंचायत में शामिल होने जा रहे थे और कुछ वक्त के लिए बड़ौत रुके, जहां उन्होंने ये बातें कही.

रालोद उपाध्यक्ष ने गृह मंत्री पर साधा निशाना.

'जनता को आवाज को दबा नहीं सकती सरकार'

जयंत चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार बल प्रयोग करके जनता की आवाज को दबा नहीं सकती. यह अत्याचारी सरकार बन गई है, धीरे-धीरे लोगों को अहसास हो रहा है. बागपत के सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह के ट्वीट 'लाल किले को असामाजिक तत्व जलियांवाला बाग बनाना चाहते थे' पर जयंत ने कहा कि लाल किले से बड़ा दर्द हुआ, लेकिन किसानों पर लाठीचार्ज हुआ, सैकड़ों किसान मर गए, उनके प्रति कोई संवेदना नहीं.

  • ऐसा प्रतीत होता है कि गणतंत्र दिवस पर कुछ अराजक तत्वों की योजना लालकिले को जलियांवाला बाग बनाने की थी लेकिन दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों को मेरा नमन कि उन्होंने अपनी जान की परवाह किये बिना भारत के गणतंत्र को खून के छीटों से कलंकित होने से बचा लिया।

    — Dr. Satya Pal Singh (@dr_satyapal) January 28, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

'अफसरों का हुआ राजनीतिकरण'

रालोद उपाध्यक्ष ने कहा कि मैं अभी गाजीपुर से होकर आ रहा हूं. वहां भी भारी तनाव था. सरकार किसानों को उठाना क्यों चाहती है, यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही है. उन्होंने कहा कि हर नागरिक का अधिकार होता है कि अगर आपको सरकार की कोई बात पसंद नहीं आ रही है, कोई कानून पसंद नहीं आ रहा तो विरोध तो कर सकते हो. यह पहली ऐसी सरकार आई है, जिसमें ऐसे अफसर आ गए हैं, जिनका पूर्ण रूप से राजनीतिकरण हो गया. जैसा पॉलिटिकल बॉस कहते हैं, वैसा ही अधिकारी करते हैं.

'आंदोलन स्थल से दूर था टोल प्लाजा'

जयंत चौधरी ने कहा कि एसडीएम कह रहे हैं कि NHAI के काम में आंदोलन बाधा बन रहा था. जबकि जहां आंदोलन हो रहा था, वह स्थान टोल प्लाजा से 10-15 किलोमीटर दूर है. फिर प्रशासन का कहना है कि शांतिपूर्वक तरीके से स्वतः ही बड़ौत का आंदोलन समाप्त हुआ. आपने खुद देखा. बुजुर्ग किसान को लाठी मारना कौन सी वीरता है. ये तो क्रूरता है. बागपत तो किसानों का जिला रहा है. अपने जिले में यहां किसान लाठी खाएंगे. यहां इतने आंदोलन हुए, मुझे नहीं लगता कि आज तक बागपत के किसानों पर लाठी पड़ी हो. कोई भी सरकार आई हो, किसी की मजाल नहीं थी कि बागपत में ही किसानों पर लाठी चले.

'मरने वाले किसानों के प्रति कोई संवेदना नहीं'

रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि लाल किले पर निशान साहिब फहराने से लोगों को बड़ा दर्द हुआ, लेकिन सैकड़ों किसान मर गए, उनके प्रति कोई संवेदना नहीं. पुलिस में भी हमारे बच्चे हैं, भाई हैं. हमारा भी हक उन पर बनता है. हमें भी दर्द होता है, अगर उनको कोई चोट लगे.

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