बागपतः खाप मुखियाओं की पंचायत आखिरकार पुलिस-प्रशासनिक अफसरों के खेद जताने के बाद खत्म हो गई. अब बड़ौत में किसान धरना नहीं देंगे. गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर के लिए हर रोज कूच करेंगे. खाप मुखियाओं के इस एलान से पुलिस-प्रशासन ने राहत की सांस ली है. हालांकि इस महापंचायत में जुटी हजारों किसानों की भीड़ ने किसानों की ताकत का अहसास जरूर करवा दिया है. गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर कूच करने का एलान भी कर दिया. लेकिन किसी बड़े आंदोलन के एलान की उम्मीद पूरी होती नजर नहीं आई.
आंदोलन की आवाज हुई बुलंद
26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन कमजोर पड़ा. इसके अगले ही दिन बड़ौत में दिल्ली-यमुनौत्री नेशनल हाइवे पर 19 दिसंबर से चल रहा किसानों का धरना बागपत पुलिस ने लाठी के दम पर खत्म करा दिया और आंदोलन की आवाज दब गई. लेकिन रविवार को एक बार फिर जनसैलाब के रूप में ये आंदोलन की आवाज बुलंद हुई.
जबरन धरना खत्म करवाने से नाराज थे किसान
खापों के मुखियाओं ने इस अपमान का बदला लेने के लिए खाप महापंचायत का एलान कर दिया. बड़ौत तहसील में किसानों का सैलाब उमड़ पड़ा. सैकड़ों ट्रैक्टर लेकर हजारों किसान एक ही सुर में आवाज बुलंद करते नजर आए. किसानों का कहना था, वो कमजोर नहीं हैं. पुलिस ने जबरन लाठी के दम पर धरना खत्म कराया. वो बर्दाश्त से बाहर है. इस दौरान कभी जय जवान, जय किसान के नारें गूंजे तो कभी सरकार के खिलाफ आग ऊगली गई.
किसानों के मंच से एडीएम ने जताया खेद
किसानों ने भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत के आंसुओं का हिसाब लेने का भी एलान किया. किसानों ने कहा-चौधरी अजीत सिंह को मजबूत करो और जयंत चौधरी के साथ जुड़ो. भाजपा का विरोध करो. हालांकि पुलिस-प्रशासन बैकफुट पर आ गया और किसानों को जबरन धरने से उठाने पर एडीएम ने मंच पर पहुंचकर खेद जताया दिया. हालांकि खाप मुखियाओं के मंच पर अफसरों ने खेद जताया, तो खाप मुखियाओं ने भी बड़ा दिल दिखाया और महापंचायत खत्म करने का एलान कर दिया. हालांकि गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर कूच का एलान भी इस मौके पर कर दिया गया.