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Dussehra 2019: यूपी के इस जिले में स्थित है रावण का प्राचीन मंदिर, पूजा करने से पूरी होती है शादी की मुराद

उत्तर प्रदेश के बदायूं के साहूकारा मोहल्ले में रावण का प्राचीन मंदिर है. यहां रावण की विधिवत पूजा होती है. मान्यता है कि इस मंदिर में विजय दशमी के दिन शादी की मन्नत मांगने वालों की मुराद जल्द पूरी होती है.

यूपी के इस जिले में स्थित है रावण का प्राचीन मंदिर.
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Published : Oct 6, 2019, 12:11 PM IST

बदायूं: भगवान राम के द्वारा रावण वध को दशहरे के पर्व के रूप में मनाया जाता है. भारतीय संस्कृति में राम को नायक माना जाता है. जिले में रावण का एक मंदिर है जहां रावण की विधिवत पूजा होती है. दशहरे के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा होती है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस दिन शादी की मन्नत मांगने वालों की मुराद जल्द पूरी होती है.

यूपी के इस जिले में स्थित है रावण का प्राचीन मंदिर.

साहूकारा मोहल्ले में स्थित है रावण का प्राचीन मंदिर
बदायूं शहर के साहूकारा मोहल्ले में रावण का प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में रावण की विशालकाय प्रतिमा विराजमान है. रावण की यह प्रतिमा भगवान शिव की तरफ आराधना करते हुए दिखाई गई है. इसके पीछे तर्क यह है कि रावण शिव का भक्त था और शिव जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया था. कहा जाता है कि रावण परम ज्ञानी था. वह जानता था कि सीता माता लक्ष्मी जी का अवतार हैं और इसीलिए वह सीता जी का हरण करके ले गया. इस तर्क को मानने वाले आज भी रावण की पूजा करते हैं.

इसे भी पढ़ें- नवरात्र का आठवां दिनः इस मंत्र और विधि से करें महागौरी की पूजा

पूजा करने से पूरी होती है शादी की मुराद
इस मंदिर की ख्याति दूरदराज तक फैली हुई है. इसलिए दशहरे पर श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं और रावण की विधिवत पूजा करते हैं. कहते हैं कि जिन लोगों की शादी होने में रुकावट आ रही होती है, वह यहां आकर विजय दशमी के दिन मन्नत मांगें तो उनकी मुराद बहुत जल्दी पूरी होती है.

आज भी हैं रावण के उपासक
देश के अलग अलग प्रान्तों में पूजा भले ही अलग अलग तरीके से होती हो, लेकिन पूजा देवत्व गुणों की ही होती है. रावण के मंदिर की स्थापना के क्या कारण थे यह कहना मुश्किल है. लेकिन जिस रावण का हर वर्ष आसुरी प्रवृत्ति के कारण दहन किया जाता है उस रावण के उपासक आज भी हैं.

बदायूं: भगवान राम के द्वारा रावण वध को दशहरे के पर्व के रूप में मनाया जाता है. भारतीय संस्कृति में राम को नायक माना जाता है. जिले में रावण का एक मंदिर है जहां रावण की विधिवत पूजा होती है. दशहरे के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा होती है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस दिन शादी की मन्नत मांगने वालों की मुराद जल्द पूरी होती है.

यूपी के इस जिले में स्थित है रावण का प्राचीन मंदिर.

साहूकारा मोहल्ले में स्थित है रावण का प्राचीन मंदिर
बदायूं शहर के साहूकारा मोहल्ले में रावण का प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में रावण की विशालकाय प्रतिमा विराजमान है. रावण की यह प्रतिमा भगवान शिव की तरफ आराधना करते हुए दिखाई गई है. इसके पीछे तर्क यह है कि रावण शिव का भक्त था और शिव जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया था. कहा जाता है कि रावण परम ज्ञानी था. वह जानता था कि सीता माता लक्ष्मी जी का अवतार हैं और इसीलिए वह सीता जी का हरण करके ले गया. इस तर्क को मानने वाले आज भी रावण की पूजा करते हैं.

इसे भी पढ़ें- नवरात्र का आठवां दिनः इस मंत्र और विधि से करें महागौरी की पूजा

पूजा करने से पूरी होती है शादी की मुराद
इस मंदिर की ख्याति दूरदराज तक फैली हुई है. इसलिए दशहरे पर श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं और रावण की विधिवत पूजा करते हैं. कहते हैं कि जिन लोगों की शादी होने में रुकावट आ रही होती है, वह यहां आकर विजय दशमी के दिन मन्नत मांगें तो उनकी मुराद बहुत जल्दी पूरी होती है.

आज भी हैं रावण के उपासक
देश के अलग अलग प्रान्तों में पूजा भले ही अलग अलग तरीके से होती हो, लेकिन पूजा देवत्व गुणों की ही होती है. रावण के मंदिर की स्थापना के क्या कारण थे यह कहना मुश्किल है. लेकिन जिस रावण का हर वर्ष आसुरी प्रवृत्ति के कारण दहन किया जाता है उस रावण के उपासक आज भी हैं.

Intro:
हमारी भारतीय संस्कृति में बुराई पर अच्छाई का पर्व है दशहरा. भगवान् राम के द्वारा रावण वध को दशहरे के पर्व के रूप में मनाया जाता है. भारतीय संस्कृति में जहां राम को नायक माना जाता है वहीँ रावण को खलनायक का दर्जा प्राप्त है. लेकिन बदायूं में रावण का एक मंदिर है जहाँ रावण की विधिवत पूजा होती है.और दशहरे के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा होती है.इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस दिन शादी की मन्नत मांगने वालों की मुराद जल्द पूरी होती है।


Body:बदायूं शहर के साहूकारा मोहल्ले में रावण का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में रावण की आदमकद प्रतिमा विराजमान है जहाँ उसकी विधिवत पूजा होती है. रावण की यह प्रतिमा भगवान् शिव की तरफ आराधना करते हुए दिखाई गई है. इसके पीछे तर्क यह है कि रावण शिव का भक्त था और शिव जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया था. जानकार लोगों का मानना है कि रावण परम ज्ञानी था वह जानता था कि सीता माता लक्ष्मी जी का अवतार है और इसी लिए वह सीता जी का हरण करके ले गया, और इस तर्क को मानने वाले आज भी रावण कि पूजा करते है.  इस मंदिर की ख्याति दूरदराज़ तक फैली हुई है इसी लिए दशहरे पर श्रद्धालु दूर दूर से यहां आते हैं और रावण की विधिवत पूजा करते हैं.कहते है जिन लोगो की शादी होने में रुकावट आ रही होती है वह यहाँ आकर विजय दशमी के दिन मनोती मांगे तो उनकी मुराद बहुत जल्दी पूरी होती है।

बाइट--मंदिर की पंडित


Conclusion:
देश के अलग अलग प्रान्तों में पूजा भले ही अलग अलग तरीके से होती हो ,लेकिन पूजा देवत्व गुणों की ही होती है. रावण के मंदिर की स्थापना के क्या कारण थे यह कहना मुश्किल है लेकिन जिस रावण का हर वर्ष आसुरी प्रविर्ती के कारण दहन किया जाता है उस रावण के उपासक आज भी हैं.।

बाइट-- सरिता वैश्य (श्रद्धालु)


समीर सक्सेना
बदायूँ
8630132286
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