बदायूं: कावड़िया कछला गंगा घाट, अटेना गंगा घाट और हरिद्वार से गंगा जल भरकर पटना देवकली पे जलाभिषेक करने आते हैं. सावन में रविवार को ही कांवड़िया यहा पहुंचने लगते हैं, और सोमवार को जलाभिषेक करते हैं.
कांवड़ियों का ऊमड़ा सैलाब-
- अनेकों कावड़िया के जत्थे डीजे की ध्वनि पर पदयात्रा करते हुए जगह-जगह शंकर पार्वती की झांकियां दिखाते हुए रवाना होते है.
- हाईवे किनारे पर जो भी कस्बे, गांव पड़ते हैं, वहां पर झांकियों को देखने के लिए अधिक भीड़ उमड़ पड़ती है.
- जगह-जगह पर कावड़ियों के लिए भंडारों भी लगाये जाते हैं.
- कावड़ियों ने कछला गंगा घाट, अटेना गंगा घाट और हरिद्वार से गंगा जल भरकर कांवड़िया यहां जलाभिषेक करने आते हैं.
- सावन में रविवार को ही कावड़िया पहुंचने लगते हैं, और सोमवार को जलाभिषेक करते हैं.
दैत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि थी-
- पटना देवकली का इतिहास जाने दो पुराण काल में दैत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि थी.
- शुक्राचार्य ने शिव भगवान की तपस्या की और अपने शिष्य को ज्ञान दिया तब से आज तक वहां पर 11 शिवलिंग बने हुए हैं.
- लोगों का मानना है कि वहां पर जो भी श्रद्धा भाव से मांगता है. उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है.
- पूर्ण होने के बाद लोग वहां पर सावन माह में भंडारे ,प्याऊ मंदिर निर्माण, धर्मशालाओ निर्माण, पीतल धतु घंटे चढ़ाते हैं.
हम कायमगंज फर्रुखाबाद के रहने वाले हैं और हमने अटेना गंगा घाट से जल भरकर पटना देवकली को जलाभिषेक करने जा रहे हैं. 10 किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं.
-कावड़िया ,शिवभक्त
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