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बदायूं: मुरादाबाद और फर्रुखाबाद हाईवे पर कांवड़ियों का ऊमड़ा सैलाब

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Published : Aug 5, 2019, 9:41 PM IST

सावन के तीसरे सोमवार को कांवड़ियों का जत्था जलाभिषेक करने के लिए बदायूं की सीमा के समीप पटना देवकली को रवाना हुआ. इस दौरान कछला से बदायूं और बदायूं से पटना देवकली तक हाईवे केसरिया रंग में रंगा हुआ दिखा.

पटना देवकली पर कांवड़ियों का ऊमड़ा सैलाब.

बदायूं: कावड़िया कछला गंगा घाट, अटेना गंगा घाट और हरिद्वार से गंगा जल भरकर पटना देवकली पे जलाभिषेक करने आते हैं. सावन में रविवार को ही कांवड़िया यहा पहुंचने लगते हैं, और सोमवार को जलाभिषेक करते हैं.

कांवड़ियों का ऊमड़ा सैलाब-

  • अनेकों कावड़िया के जत्थे डीजे की ध्वनि पर पदयात्रा करते हुए जगह-जगह शंकर पार्वती की झांकियां दिखाते हुए रवाना होते है.
  • हाईवे किनारे पर जो भी कस्बे, गांव पड़ते हैं, वहां पर झांकियों को देखने के लिए अधिक भीड़ उमड़ पड़ती है.
  • जगह-जगह पर कावड़ियों के लिए भंडारों भी लगाये जाते हैं.
  • कावड़ियों ने कछला गंगा घाट, अटेना गंगा घाट और हरिद्वार से गंगा जल भरकर कांवड़िया यहां जलाभिषेक करने आते हैं.
  • सावन में रविवार को ही कावड़िया पहुंचने लगते हैं, और सोमवार को जलाभिषेक करते हैं.
    बदायूं से पटना देवकली तक हाईवे केसरिया रंग में रंगा हुआ दिखा.

दैत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि थी-

  • पटना देवकली का इतिहास जाने दो पुराण काल में दैत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि थी.
  • शुक्राचार्य ने शिव भगवान की तपस्या की और अपने शिष्य को ज्ञान दिया तब से आज तक वहां पर 11 शिवलिंग बने हुए हैं.
  • लोगों का मानना है कि वहां पर जो भी श्रद्धा भाव से मांगता है. उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है.
  • पूर्ण होने के बाद लोग वहां पर सावन माह में भंडारे ,प्याऊ मंदिर निर्माण, धर्मशालाओ निर्माण, पीतल धतु घंटे चढ़ाते हैं.

हम कायमगंज फर्रुखाबाद के रहने वाले हैं और हमने अटेना गंगा घाट से जल भरकर पटना देवकली को जलाभिषेक करने जा रहे हैं. 10 किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं.
-कावड़िया ,शिवभक्त

पढ़ें- संतरविदास नगर: आज से शुरू सावन, जल चढ़ाकर बाबा को खुश करेंगे कावड़िया

बदायूं: कावड़िया कछला गंगा घाट, अटेना गंगा घाट और हरिद्वार से गंगा जल भरकर पटना देवकली पे जलाभिषेक करने आते हैं. सावन में रविवार को ही कांवड़िया यहा पहुंचने लगते हैं, और सोमवार को जलाभिषेक करते हैं.

कांवड़ियों का ऊमड़ा सैलाब-

  • अनेकों कावड़िया के जत्थे डीजे की ध्वनि पर पदयात्रा करते हुए जगह-जगह शंकर पार्वती की झांकियां दिखाते हुए रवाना होते है.
  • हाईवे किनारे पर जो भी कस्बे, गांव पड़ते हैं, वहां पर झांकियों को देखने के लिए अधिक भीड़ उमड़ पड़ती है.
  • जगह-जगह पर कावड़ियों के लिए भंडारों भी लगाये जाते हैं.
  • कावड़ियों ने कछला गंगा घाट, अटेना गंगा घाट और हरिद्वार से गंगा जल भरकर कांवड़िया यहां जलाभिषेक करने आते हैं.
  • सावन में रविवार को ही कावड़िया पहुंचने लगते हैं, और सोमवार को जलाभिषेक करते हैं.
    बदायूं से पटना देवकली तक हाईवे केसरिया रंग में रंगा हुआ दिखा.

दैत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि थी-

  • पटना देवकली का इतिहास जाने दो पुराण काल में दैत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि थी.
  • शुक्राचार्य ने शिव भगवान की तपस्या की और अपने शिष्य को ज्ञान दिया तब से आज तक वहां पर 11 शिवलिंग बने हुए हैं.
  • लोगों का मानना है कि वहां पर जो भी श्रद्धा भाव से मांगता है. उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है.
  • पूर्ण होने के बाद लोग वहां पर सावन माह में भंडारे ,प्याऊ मंदिर निर्माण, धर्मशालाओ निर्माण, पीतल धतु घंटे चढ़ाते हैं.

हम कायमगंज फर्रुखाबाद के रहने वाले हैं और हमने अटेना गंगा घाट से जल भरकर पटना देवकली को जलाभिषेक करने जा रहे हैं. 10 किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं.
-कावड़िया ,शिवभक्त

पढ़ें- संतरविदास नगर: आज से शुरू सावन, जल चढ़ाकर बाबा को खुश करेंगे कावड़िया

Intro:बदायूं :मुरादाबाद फर्रुखाबाद हाईवे पर कांवड़ियों का सैलाबBody:बदायूं :मुरादाबाद फर्रुखाबाद हाईवे पर कांवड़ियों का सैलाब

बदायूँ: सावन के तीसरे सोमवार पर कल से ही कांवड़ियों का जत्था जलाभिषेक करने के लिए बदायूं के सीमा के समीप पटना देवकली को रवाना हुआ। पूरे हाईवे पर कछला से बदायूं, बदायूं से पटना देवकली तक पूरा हाईवे केसरिया रंग से रंग दिया हो अनेकों कावड़िया के जत्थे डीजे की ध्वनि पर पदयात्रा करते हुए जगह-जगह शंकर पार्वती की झांकियां दिखाते हुए रवाना हो रहे थे। हाईवे किनारे पर जो भी कस्बे,गांव वहां पर और अधिक भीड़ उमड़ पड़ती झांकियों देखने के लिए लोग सड़क के किनारे का उमड़ी जाती। जगह जगह पर कावड़ियों के लिए भंडारों भी लगे थे । कावड़ियों ने कछला गंगा घाट, अटेना गंगा घाट और हरिद्वार से गंगा जल दूर दूर से कावड़िया यहां जलाभिषेक करने आते हैं सावन में रविवार कोही कावड़िया पहुंचने लगते हैं और सोमवार को अपना जलाभिषेक करते हैं।

पटना देवकली का इतिहास जाने दो पुराण काल में दैत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि थी जहां पर शुक्राचार्य ने शिव भगवान की तपस्या की और अपने शिष्य को ज्ञान दिया तब से आज तक वहां पर 11 शिवलिंग बने हुए हैं लोगों का मानना है कि वहां पर जो भी श्रद्धा भाव से मांगता है। उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। पूर्ण होने के बाद लोग वहां पर सावन माह में भंडारे ,प्याऊ मंदिर निर्माण, धर्मशालाओ निर्माण, पीतल धतु घंटे चढ़ाते हैं ।

शिवभक्त कावड़िये ने बताया कि हम कायमगंज फर्रुखाबाद के रहने वाले हैं और हमने अटेना गंगा घाट से जल भरकर पटना देवकली को जलाभिषेक करने जा रहे हैं 10 किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैंConclusion:बहुत ही प्राचीन मंदिर है जोकि बदायूं की समीप सीमा पर स्थित है पुराण काल में दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने यहीं रहकर तपस्या की थी यहीं पर दैत्यों को शिक्षा दी थी आज भी पटना देवकली शिव मंदिर की बहुत ही मान्यता है जो भी श्रद्धालु श्रद्धा भाव से मन्नत मांगता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है
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Hemant kumar
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