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कोलकाता के आगे निजामाबाद की मूर्तियों ने तोड़ा दम, बाजार में फीकी पड़ी ब्लैक पॉटरी

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Published : Oct 27, 2019, 12:52 PM IST

यूपी के आजमगढ़ के निजामाबाद में ब्लैक पॉटरी से बनने वाले उत्पाद देश के कई राज्यों में जाते हैं, लेकिन दीपावली के त्यौहार में कोलकाता से आने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों में हुई फिनिशिंग के कारण निजामाबाद की मूर्तियों की चमक बाजार में फीकी पड़ रही है. यही कारण है कि इन मूर्तियों की बिक्री काफी कम हो गई है.

निजामाबाद की मूर्तियों की चमक बाजार में फीकी

आजमगढ़: जनपद के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी वैसे तो पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां ब्लैक पॉटरी से बनने वाले सजावटी सामान और रोजमर्रा की वस्तुएं भले ही विदेशों में लोगों के डायनिंग हाल की शोभा बढ़ा रहे हैं, लेकिन फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले इस परंपरागत उद्योग को आज तक एक अदद बाजार उपलब्ध नहीं हो सका है. विगत 5 वर्षों से यहां पर बनने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां कोलकाता की फिनिशिंग के आगे दम तोड़ती नजर आ रही हैं.

निजामाबाद की मूर्तियों की चमक बाजार में फीकी पड़ी.

10 गांव के 1500 कारीगर देते हैं मिट्टी को आकार
जिले के ऐतिहासिक कस्बा निजामाबाद में मुगलकाल से ही काली मिट्टी के बर्तन और मूर्तियां बनाने में पूरा गांव लगा रहता है. इस कला में लगे लगभग 10 गांव के 1500 कारीगर अपनी कला से मिट्टी को आकार देकर विश्व में जिले की पहचान बनाए हैं. उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इसे सरकार द्वारा पहले जीआइ सूचकांक मिला. इसके बाद 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' योजना के अंतर्गत चयनित निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी कारोबार ने रफ्तार पकड़ी. केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा हस्तशिल्पियों को पुरस्कृत किए जाने के साथ अब ऋण की भी योजना प्रभावी हो गई है. इसके बाद तो कारीगर अपने हुनर से विश्व में ब्लैक पाटरी का परचम लहरा रहे हैं. अकेले मोहल्ला हुसैनाबाद के लगभग दो दर्जन उद्यमी राज्य पुरस्कार, स्टेट अवार्ड और राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं. इतनी उपलब्धियों के बाद भी इस कला के लिए सही संसाधन उपलब्ध नहीं हो पा रहा हैं.

कोलकाता की मूर्तियों ने धुंधली की चमक
पांच साल पहले तक निजामाबाद में बनने वाली मूर्तियों की मांग दूर-दूर तक रहती थी. लेकिन फिर मार्केट में कोलकाता की मूर्तियां आई तो लोग उनके प्रति आकर्षित हो गए. दीपावली के त्यौहार में कोलकाता से आने वाली लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों में हुई फिनिशिंग की चमक के सामने निजामाबाद की लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां की चमक फीकी पड़ रही है. यही कारण है कि निजामाबाद में बनने वाली इन मूर्तियों की बिक्री काफी कम हो गई है, जिसका खामियाजा यहां के शिल्पकरारों को भुगतना पड़ रहा है.

क्या कहना है मूर्ति विक्रेताओं का..
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मूर्ति विक्रेता गोविंद प्रसाद गुप्ता ने बताया कि विगत 5 साल पहले तक आजमगढ़ जनपद के निजामाबाद में बनने वाली मूर्तियों की मांग दूर-दूर तक रहती थी, लेकिन जब से कोलकाता में बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां आने लगी हैं तब से निजामाबाद की बनने वाली ब्लैक पॉटरी की मूर्तियां कहीं न कहीं कोलकाता से आने वाली मूर्तियों के सामने फीकी पड़ रही हैं. गोविंद प्रसाद का यह भी कहना है कि कोलकाता से आने वाली मूर्तियों में फिनिशिंग बहुत ज्यादा होती है और यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग कोलकाता से आने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को ही पसंद करते हैं.

आजमगढ़: जनपद के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी वैसे तो पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां ब्लैक पॉटरी से बनने वाले सजावटी सामान और रोजमर्रा की वस्तुएं भले ही विदेशों में लोगों के डायनिंग हाल की शोभा बढ़ा रहे हैं, लेकिन फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले इस परंपरागत उद्योग को आज तक एक अदद बाजार उपलब्ध नहीं हो सका है. विगत 5 वर्षों से यहां पर बनने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां कोलकाता की फिनिशिंग के आगे दम तोड़ती नजर आ रही हैं.

निजामाबाद की मूर्तियों की चमक बाजार में फीकी पड़ी.

10 गांव के 1500 कारीगर देते हैं मिट्टी को आकार
जिले के ऐतिहासिक कस्बा निजामाबाद में मुगलकाल से ही काली मिट्टी के बर्तन और मूर्तियां बनाने में पूरा गांव लगा रहता है. इस कला में लगे लगभग 10 गांव के 1500 कारीगर अपनी कला से मिट्टी को आकार देकर विश्व में जिले की पहचान बनाए हैं. उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इसे सरकार द्वारा पहले जीआइ सूचकांक मिला. इसके बाद 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' योजना के अंतर्गत चयनित निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी कारोबार ने रफ्तार पकड़ी. केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा हस्तशिल्पियों को पुरस्कृत किए जाने के साथ अब ऋण की भी योजना प्रभावी हो गई है. इसके बाद तो कारीगर अपने हुनर से विश्व में ब्लैक पाटरी का परचम लहरा रहे हैं. अकेले मोहल्ला हुसैनाबाद के लगभग दो दर्जन उद्यमी राज्य पुरस्कार, स्टेट अवार्ड और राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं. इतनी उपलब्धियों के बाद भी इस कला के लिए सही संसाधन उपलब्ध नहीं हो पा रहा हैं.

कोलकाता की मूर्तियों ने धुंधली की चमक
पांच साल पहले तक निजामाबाद में बनने वाली मूर्तियों की मांग दूर-दूर तक रहती थी. लेकिन फिर मार्केट में कोलकाता की मूर्तियां आई तो लोग उनके प्रति आकर्षित हो गए. दीपावली के त्यौहार में कोलकाता से आने वाली लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों में हुई फिनिशिंग की चमक के सामने निजामाबाद की लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां की चमक फीकी पड़ रही है. यही कारण है कि निजामाबाद में बनने वाली इन मूर्तियों की बिक्री काफी कम हो गई है, जिसका खामियाजा यहां के शिल्पकरारों को भुगतना पड़ रहा है.

क्या कहना है मूर्ति विक्रेताओं का..
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मूर्ति विक्रेता गोविंद प्रसाद गुप्ता ने बताया कि विगत 5 साल पहले तक आजमगढ़ जनपद के निजामाबाद में बनने वाली मूर्तियों की मांग दूर-दूर तक रहती थी, लेकिन जब से कोलकाता में बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां आने लगी हैं तब से निजामाबाद की बनने वाली ब्लैक पॉटरी की मूर्तियां कहीं न कहीं कोलकाता से आने वाली मूर्तियों के सामने फीकी पड़ रही हैं. गोविंद प्रसाद का यह भी कहना है कि कोलकाता से आने वाली मूर्तियों में फिनिशिंग बहुत ज्यादा होती है और यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग कोलकाता से आने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को ही पसंद करते हैं.

Intro:anchor:आजमगढ़।( एक्सक्लूसिव)। आजमगढ़ जनपद के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी वैसे तो पूरे देश में प्रसिद्ध है यहां से ब्लैक पार्टी से बनने वाले सजावटी सामान व रोजमर्रा की वस्तुएं देश के कई राज्यों में जाति भी हैं पर विगत 5 वर्षों से यहां पर बनने वाली लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां कोलकाता की फिनिशिंग के के आगे दम तोड़ रही हैं।


Body:वीओ:1 ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मूर्ति विक्रेता गोविंद प्रसाद गुप्ता ने बताया कि विगत 5 साल पहले तक आजमगढ़ जनपद के निजामाबाद में बनने वाली मूर्तियों की मांग दूर-दूर तक रहती थी लेकिन जब से कोलकाता से लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां आने लगी हैं तब से निजामाबाद की बनने वाली ब्लैक पॉटरी की मूर्तियां कहीं न कहीं कोलकाता से आने वाली मूर्तियों के सामने फीकी पड़ रही हैं। गोविंद प्रसाद का कहना है कि कोलकाता से आने वाली मूर्तियों की फिनिशिंग बहुत ज्यादा होती है और यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग कोलकाता से आने वाली लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों को ही पसंद करते हैं। गोविंद प्रसाद ने बताया कि एक समय था जब निजामाबाद की मूर्तियों का दौर था आज निजामाबाद में मिट्टी से बनने वाले अन्य उत्पादों की मांग तो भले ही देश के कई राज्यों में हैं पर कोलकाता की फिनिशिंग के आगे यहां की बनने वाली मूर्तियां अपनी चमक खो रही हैं जिसका खामियाजा यहां के शिल्पकारों को भुगतना पड़ रहा है।


Conclusion:बाइट: गोविंद प्रसाद गुप्ता मूर्ति विक्रेता
अजय कुमार मिश्र आजमगढ़ 9453766900

बताते चलें कि पूरे देश में वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के तहत आजमगढ़ जनपद के निजामाबाद की प्लाई पार्टी प्रसिद्ध है और यहां पर ब्लैक पार्टी से बनने वाले उत्पाद देश के कई राज्यों में जाते हैं पर दीपावली के त्यौहार में कोलकाता से आने वाली लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों में हुई फिनिशिंग के कारण आजमगढ़ जनपद के निजामाबाद की लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां फीकी पड़ रही हैं और यही कारण है कि निजामाबाद में बनने वाली इन मूर्तियों की बिक्री काफी कम हो गई है जिसका खामियाजा यहां के सिर्फ कारों को भुगतना पड़ रहा है।
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