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आजमगढ़: शिल्पकारों का हाल, दिवाली की कमाई से चलता है वर्ष भर परिवार का खर्चा - आजमगढ़ के कुम्हार

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में ब्लैक पॉटरी से बनने वाले उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं, लेकिन जिले के शिल्पकारों को मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

ब्लैक पॉटरी से तैयार दीये.
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Published : Oct 26, 2019, 12:16 PM IST

आजमगढ़ः जनपद के निजामाबाद में 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' के तहत ब्लैक पॉटरी से बनने वाले उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं, लेकिन ब्लैक पॉटरी का व्यापार करने वाले शिल्पकारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

दूसरे गांव से लानी पड़ती है मिट्टी
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए निजामाबाद के शिल्पकार सोहन लाल प्रजापति का कहना कि मिट्टी के दीये और दीपावली के सामान बनाने के लिए मिट्टी दूर से लानी पड़ती है.

4 महीने पहले शुरु करते हैं दिवाली की तैयारी
सोहनलाल का कहना है कि चार माह पूर्व से हम सभी इस त्योहार के तैयारी में लग जाते हैं. इस काम में पूरा परिवार जी जान से जुट जाता है, मिट्टी अन्य गांवों से लाते हैं. जब कभी गांव के लोग मिट्टी निकालने से मना करते हैं तो प्रशासन का सहयोग लेना पड़ता है.

ये भी पढ़ें:- वाराणसी: स्वदेशी दीयों से मनाई जाएगी इको फ्रेंडली दिवाली, विदेशी सामानों का होगा बहिष्कार

साल भर कमाते-खाते हैं
सोहनलाल ने बताया कि हम साल भर मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचते हैं और इसी से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. यूं तो हम साल भर कमाते-खाते रहते हैं. बस दिवाली के समय ही लाख दो लाख बच जाता है.

आजमगढ़ः जनपद के निजामाबाद में 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' के तहत ब्लैक पॉटरी से बनने वाले उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं, लेकिन ब्लैक पॉटरी का व्यापार करने वाले शिल्पकारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

दूसरे गांव से लानी पड़ती है मिट्टी
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए निजामाबाद के शिल्पकार सोहन लाल प्रजापति का कहना कि मिट्टी के दीये और दीपावली के सामान बनाने के लिए मिट्टी दूर से लानी पड़ती है.

4 महीने पहले शुरु करते हैं दिवाली की तैयारी
सोहनलाल का कहना है कि चार माह पूर्व से हम सभी इस त्योहार के तैयारी में लग जाते हैं. इस काम में पूरा परिवार जी जान से जुट जाता है, मिट्टी अन्य गांवों से लाते हैं. जब कभी गांव के लोग मिट्टी निकालने से मना करते हैं तो प्रशासन का सहयोग लेना पड़ता है.

ये भी पढ़ें:- वाराणसी: स्वदेशी दीयों से मनाई जाएगी इको फ्रेंडली दिवाली, विदेशी सामानों का होगा बहिष्कार

साल भर कमाते-खाते हैं
सोहनलाल ने बताया कि हम साल भर मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचते हैं और इसी से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. यूं तो हम साल भर कमाते-खाते रहते हैं. बस दिवाली के समय ही लाख दो लाख बच जाता है.

Intro:anchor: आजमगढ़। आजमगढ़ जनपद के निजामाबाद में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत ब्लैक पॉटरी से बनने वाले उत्पाद वैसे तो पूरी दुनिया में जाने जाते हैं लेकिन यहां के शिल्पकारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।


Body:वीओ: 1 ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए निजामाबाद के शिल्पकार सोहन लाल प्रजापति का कहना है कि मिट्टी के दीए व दीपावली के सामान बनाने के लिए मिट्टी दूर से लानी पड़ती हैं और हम लोग जो दीपावली के इन 4 महीनों में कमाते हैं वही साल भर खाते हैं। सोहनलाल का कहना है कि दीपावली की तैयारियों के लिए हम लोग दीपावली से 4 माह पूर्व से ही लग जाते हैं और इसके लिए पूरा परिवार जी जान से जुट जाता है। राज्य पुरस्कार से पुरस्कृत शिवलाल प्रजापति का कहना है कि हम लोग मिट्टी अन्य गांवों से लाते हैं कभी-कभी प्रशासन का भी सहयोग लेना पड़ता है इस काम में इतनी कमाई है हम लोग खाली सके पर दीपावली के 4 महीने में जो हम लोग कमाई करते हैं उसी कमाई से पूरे वर्ष भर हम लोगों के परिवारों का भरण पोषण होता है।


Conclusion:बाइट: सोहन लाल प्रजापति शिल्पकार
बाइट: शिवलाल प्रजापति शिल्पकार
अजय कुमार मिश्रा आजमगढ़

बताते चलें कि वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के तहत आजमगढ़ जनपद की ब्लैक पार्टी पूरे देश में जानी जाती हैं पर केंद्र व प्रदेश सरकार की जो योजनाएं इन शिल्पकारों के लिए चलाए जा रहे हैं इनका असली लाभ इन सरकारों को नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण आज भी यह दयनीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
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