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करोड़ों रुपये की लागत से बना आजमगढ़ का ये बस स्टेशन शो पीस बनकर रह गया - बस स्टेशन की सौगात

एसपी के शासन काल में बना आजमगढ़ के मुबारकपुर का बस अड्डा शो पीस बनकर रह गया है. रेशमी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध मुबारकपुर में बुनकरों, कारोबारियों की सुविधा के लिए तत्कालीन सरकार ने बस स्टेशन की सौगात दी थी.

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बस स्टेशन शो पीस बनकर रह गया
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Published : Apr 23, 2022, 6:23 PM IST

आजमगढ़ः जिले के मुबारकपुर में करीब 7 साल पहले करोड़ों रुपये की लागत से बस स्टेशन की आधारशीला रखी गयी थी. रेशमी साड़ियों के लिए विश्व प्रसिद्ध नगरी मुबारकपुर में बुनकरों, कारोबारियों की सुविधा के लिए सरकार ने बस स्टेशन की सौगात दी. जिससे की क्षेत्र के विकास के साथ ही मुबारकपुर वासियों और यहां बाहर से आने-जाने वाले रेशमी साड़ी व्यवसायियों को आवागमन की सुविधा के उद्देश्य से कई बीघा में बस अड्डा बनवाया गया. भवन बनकर तैयार भी हो गया. लेकिन आज तक यहां बस नहीं पहुंची. बस अड्डा अभी तक लोगों के काम में नहीं आया.

रेशमी नगर के नाम से मशहूर मुबारकपुर में तत्कालीन सपा सरकार ने साल 2014 में करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से बस स्टेशन की आधारशीला रखी थी. साल 2018 में इस बस स्टेशन का लोकार्पण सीएम योगी ने किया था. लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी रोडवेज विभाग की ढुलमुल रवैये की वजह से यहां बसों का संचालन आजतक नहीं किया जा सका है.

बस स्टेशन शो पीस बनकर रह गया

हालत ये है कि करोड़ों रुपये की लागत से बने बस अड्डे के दोनों मुख्य गेट बंद दिखते हैं. ऐसा भी नहीं कि मुबारकपुर से बसों का संचालन ही नहीं होता.लेकिन बस अड्डे तक बसों के न जाने की वजह से उसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाता है. कभी-कभार बस अड्डे के कैंपस में बसें खड़ी देखी जा सकती हैं. लेकिन ये बसे सरेंडर वाली होती हैं, जिन्हें खड़ा करने के लिए जिला मुख्यालय पर जगह नहीं होता.

यहां पर विभाग ने कितने और किन पदों पर नियुक्तियां की हैं. ये जानकर भी आप हैरान होंगे. करोड़ों की लागत से बने इस बस स्टेशन को पीआरडी के जवान चलाते हैं. कागजों पर महज एक कर्मचारी तैनात रहता है. वहीं क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जब स्टेशन बनकर तैयार हुआ तो केवल मुबारकपुर ही नहीं बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में काफी खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी. पहले वाराणसी, प्रयागराज और लखनऊ के लिये बसे भी चल रही थीं. लेकिन धीरे-धीरे सब बंद हो गया. यही नहीं अब तो इस स्टेशन पर यात्री आना ही नहीं चाहते हैं, वजह यहां से बसें नहीं चलती हैं.

इसे भी पढ़ें- राशन लेने वाले अपात्र परिवारों के खिलाफ होगी कार्रवाई, जानें क्या है पूरा मामला

वहीं डॉक्टर अंबेडकर डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक गौतम कुमार का कहना है कि मुबारकपुर बस स्टेशन डॉक्टर अंबेडकर डिपो के चार्ज में है. जिला मुख्यालय से इस स्टेशन की दूरी 17 किलोमीटर है. विभाग के पास कर्मचारियों का भी अभाव है. विभाग ने अपने स्तर से एक अक्षम परिचालक को वहां पर तैनात किया है. कोई टेक्नीकल कर्मीचारी की तैनाती वहां पर नहीं हुई है. इसके साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से पीआरडी के जवानों को तैनात किया गया है. बस अड्डा थोड़ा सा कस्बे से दूर है, इसलिए यात्रियों का आवागमन काफी कम रहता है. उन्होंने बताया कि फिर भी यहां से प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ और कानपुर के लिए बसें संचालित होती हैं.

आजमगढ़ः जिले के मुबारकपुर में करीब 7 साल पहले करोड़ों रुपये की लागत से बस स्टेशन की आधारशीला रखी गयी थी. रेशमी साड़ियों के लिए विश्व प्रसिद्ध नगरी मुबारकपुर में बुनकरों, कारोबारियों की सुविधा के लिए सरकार ने बस स्टेशन की सौगात दी. जिससे की क्षेत्र के विकास के साथ ही मुबारकपुर वासियों और यहां बाहर से आने-जाने वाले रेशमी साड़ी व्यवसायियों को आवागमन की सुविधा के उद्देश्य से कई बीघा में बस अड्डा बनवाया गया. भवन बनकर तैयार भी हो गया. लेकिन आज तक यहां बस नहीं पहुंची. बस अड्डा अभी तक लोगों के काम में नहीं आया.

रेशमी नगर के नाम से मशहूर मुबारकपुर में तत्कालीन सपा सरकार ने साल 2014 में करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से बस स्टेशन की आधारशीला रखी थी. साल 2018 में इस बस स्टेशन का लोकार्पण सीएम योगी ने किया था. लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी रोडवेज विभाग की ढुलमुल रवैये की वजह से यहां बसों का संचालन आजतक नहीं किया जा सका है.

बस स्टेशन शो पीस बनकर रह गया

हालत ये है कि करोड़ों रुपये की लागत से बने बस अड्डे के दोनों मुख्य गेट बंद दिखते हैं. ऐसा भी नहीं कि मुबारकपुर से बसों का संचालन ही नहीं होता.लेकिन बस अड्डे तक बसों के न जाने की वजह से उसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाता है. कभी-कभार बस अड्डे के कैंपस में बसें खड़ी देखी जा सकती हैं. लेकिन ये बसे सरेंडर वाली होती हैं, जिन्हें खड़ा करने के लिए जिला मुख्यालय पर जगह नहीं होता.

यहां पर विभाग ने कितने और किन पदों पर नियुक्तियां की हैं. ये जानकर भी आप हैरान होंगे. करोड़ों की लागत से बने इस बस स्टेशन को पीआरडी के जवान चलाते हैं. कागजों पर महज एक कर्मचारी तैनात रहता है. वहीं क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जब स्टेशन बनकर तैयार हुआ तो केवल मुबारकपुर ही नहीं बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में काफी खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी. पहले वाराणसी, प्रयागराज और लखनऊ के लिये बसे भी चल रही थीं. लेकिन धीरे-धीरे सब बंद हो गया. यही नहीं अब तो इस स्टेशन पर यात्री आना ही नहीं चाहते हैं, वजह यहां से बसें नहीं चलती हैं.

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वहीं डॉक्टर अंबेडकर डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक गौतम कुमार का कहना है कि मुबारकपुर बस स्टेशन डॉक्टर अंबेडकर डिपो के चार्ज में है. जिला मुख्यालय से इस स्टेशन की दूरी 17 किलोमीटर है. विभाग के पास कर्मचारियों का भी अभाव है. विभाग ने अपने स्तर से एक अक्षम परिचालक को वहां पर तैनात किया है. कोई टेक्नीकल कर्मीचारी की तैनाती वहां पर नहीं हुई है. इसके साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से पीआरडी के जवानों को तैनात किया गया है. बस अड्डा थोड़ा सा कस्बे से दूर है, इसलिए यात्रियों का आवागमन काफी कम रहता है. उन्होंने बताया कि फिर भी यहां से प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ और कानपुर के लिए बसें संचालित होती हैं.

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