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आजमगढ़ : चुनावी एजेंडे में नहीं मुबारकपुर के बुनकरों की समस्याएं

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Published : May 4, 2019, 7:40 PM IST

आजमगढ़ के मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र के 80 प्रतिशत से अधिक घरों में हथकरघा चलते हैं. यहां के बुनकरों का आरोप है कि चुनाव के समय यहां नेता आते हैं और वादे करके चले जाते हैं. कोई भी राजनेता उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देता है. उनका कहना है कि मुबारकपुर को जो पहचान मिलनी चाहिए, वह पहचान नहीं मिल पा रही है.

चुनावी एजेंडे से दूर है बुनकरों की समस्याएं.

आजमगढ़ : जनपद के मुबारकपुर विधानसभा के 80 प्रतिशत से अधिक घरों में हथकरघा चलते हैं, फिर भी यहां के बुनकरों की समस्याएं किसी राजनीतिक दल के एजेंडे में नहीं हैं. चुनाव के समय यहां नेता तो आते हैं, लेकिन वादे करके चले जाते हैं. बुनकरों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. बुनकरों का आरोप है कि यहां की बनी साड़ियों को बनारस वाले बनारसी साड़ी के नाम पर बेचते हैं.

चुनावी एजेंडे में नहीं बुनकरों की समस्याएं.
बुनकरों ने बताई अपनी समस्याएं
  • ईटीवी भारत से बातचीत में बुनकर जफर आमिर ने कहा कि वो लोग मजदूरी से अपना पालन पोषण करते हैं.
  • उनका कहना है कि यहां जो साड़ियां बनती हैं, उन्हीं को बनारस के लोग बनारसी साड़ियों के नाम से बेचते हैं.
  • मुबारकपुर को जो पहचान मिलनी चाहिए, वह पहचान नहीं मिल पा रही.
  • उनकी समस्याएं नेता नहीं सुनते हैं, जिससे वे लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.
  • बुनकर नसीरुद्दीन का कहना है कि 12 घंटे की मेहनत में उन्हें बमुश्किल 2 से 3 सौ रुपये ही मिल पाते हैं.
  • नसरुद्दीन का कहना है कि किसी भी राजनेता ने बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया.
  • गुलाम रसूल का कहना है कि जो भी राजनेता चुनाव के समय आता है वोट लेकर चला जाता है, लेकिन बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता.
  • उनका कहना है कि मुबारकपुर के 80 प्रतिशत से अधिक घरों में हथकरघे चलते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के नेताओं ने कभी बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया. इस कारण बुनकरों की स्थिति जस की तस बनी हुई है.
  • यहां की जनता का आरोप है कि राजनीतिक दलों ने कभी भी बुनकरों की समस्याओं को नहीं उठाया, जिसके कारण बुनकरों को पहचान नहीं मिल पा रही.

आजमगढ़ : जनपद के मुबारकपुर विधानसभा के 80 प्रतिशत से अधिक घरों में हथकरघा चलते हैं, फिर भी यहां के बुनकरों की समस्याएं किसी राजनीतिक दल के एजेंडे में नहीं हैं. चुनाव के समय यहां नेता तो आते हैं, लेकिन वादे करके चले जाते हैं. बुनकरों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. बुनकरों का आरोप है कि यहां की बनी साड़ियों को बनारस वाले बनारसी साड़ी के नाम पर बेचते हैं.

चुनावी एजेंडे में नहीं बुनकरों की समस्याएं.
बुनकरों ने बताई अपनी समस्याएं
  • ईटीवी भारत से बातचीत में बुनकर जफर आमिर ने कहा कि वो लोग मजदूरी से अपना पालन पोषण करते हैं.
  • उनका कहना है कि यहां जो साड़ियां बनती हैं, उन्हीं को बनारस के लोग बनारसी साड़ियों के नाम से बेचते हैं.
  • मुबारकपुर को जो पहचान मिलनी चाहिए, वह पहचान नहीं मिल पा रही.
  • उनकी समस्याएं नेता नहीं सुनते हैं, जिससे वे लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.
  • बुनकर नसीरुद्दीन का कहना है कि 12 घंटे की मेहनत में उन्हें बमुश्किल 2 से 3 सौ रुपये ही मिल पाते हैं.
  • नसरुद्दीन का कहना है कि किसी भी राजनेता ने बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया.
  • गुलाम रसूल का कहना है कि जो भी राजनेता चुनाव के समय आता है वोट लेकर चला जाता है, लेकिन बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता.
  • उनका कहना है कि मुबारकपुर के 80 प्रतिशत से अधिक घरों में हथकरघे चलते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के नेताओं ने कभी बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया. इस कारण बुनकरों की स्थिति जस की तस बनी हुई है.
  • यहां की जनता का आरोप है कि राजनीतिक दलों ने कभी भी बुनकरों की समस्याओं को नहीं उठाया, जिसके कारण बुनकरों को पहचान नहीं मिल पा रही.
Intro:anchor: आजमगढ़। आजमगढ़ जनपद के मुबारकपुर विधानसभा के 80% से अधिक घरों में हथकरघा चलते हैं लेकिन किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे में यहां के बुनकरों की समस्याएं नहीं रहती हैं। चुनाव के समय नेता तो यहां आते हैं लेकिन वायदे करके चले जाते हैं बुनकरों की समस्याएं जस की तस बनी हुई है।


Body:वीओ:1 ईटीवी भारत से बातचीत में बुनकर जफर आमिर ने कहा कि हम लोग मजदूरी से अपना पालन पोषण करते हैं। जफर का कहना है कि हमारे यहां जो साड़ियां बनती हैं उसी साड़ियों को बनारस के लोग बनारसी साड़ियों के नाम से बेचते हैं और मुबारकपुर को जो पहचान मिलनी चाहिए वह पहचान नहीं मिल पा रही। हम लोगों की समस्याएं नेता नहीं सुनते हैं जिसे कारण हम लोग अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। बुनकर नसीरउद्दीन का कहना है कि 12 घंटे की मेहनत में हम लोगों को बमुश्किल 2 से ₹300 ही मिल पाता है इसी पैसे से हम लोग अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। नसरुद्दीन का कहना है कि किसी भी राजनेता ने हम बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। गुलाम रसूल का कहना है कि जो भी राजनेता चुनाव के समय आता है वोट लेकर चला जाता है लेकिन बुनकरों की समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं दिया उनका कहना है कि मुबारकपुर के 80% से अधिक घरों में पत्थर के चलते हैं लेकिन इन राजनीतिक दलों के नेताओं ने कभी बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जिसके कारण बुनकरों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।


Conclusion:वीओ: 2 बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद के मुबारकपुर के 80% से अधिक घरों में हैंडलूम व हथकरघे चलते हैं। यहां के लोगों कोई नहीं याद कर दो उसे रोजगार मिला हुआ है। यहां की जनता का आरोप है कि राजनीतिक दलों ने कभी भी बुनकरों की समस्याओं को नहीं उठाया जिसके कारण बुनकरों को उनकी पहचान नहीं मिल पा रही।

बाइट: जफर आमिर, नसीरुद्दीन, गुलाम रसूल
अजय कुमार में आजमगढ़ 9453766900
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