आजमगढ़ : जनपद के मुबारकपुर विधानसभा के 80 प्रतिशत से अधिक घरों में हथकरघा चलते हैं, फिर भी यहां के बुनकरों की समस्याएं किसी राजनीतिक दल के एजेंडे में नहीं हैं. चुनाव के समय यहां नेता तो आते हैं, लेकिन वादे करके चले जाते हैं. बुनकरों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. बुनकरों का आरोप है कि यहां की बनी साड़ियों को बनारस वाले बनारसी साड़ी के नाम पर बेचते हैं.
- ईटीवी भारत से बातचीत में बुनकर जफर आमिर ने कहा कि वो लोग मजदूरी से अपना पालन पोषण करते हैं.
- उनका कहना है कि यहां जो साड़ियां बनती हैं, उन्हीं को बनारस के लोग बनारसी साड़ियों के नाम से बेचते हैं.
- मुबारकपुर को जो पहचान मिलनी चाहिए, वह पहचान नहीं मिल पा रही.
- उनकी समस्याएं नेता नहीं सुनते हैं, जिससे वे लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.
- बुनकर नसीरुद्दीन का कहना है कि 12 घंटे की मेहनत में उन्हें बमुश्किल 2 से 3 सौ रुपये ही मिल पाते हैं.
- नसरुद्दीन का कहना है कि किसी भी राजनेता ने बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया.
- गुलाम रसूल का कहना है कि जो भी राजनेता चुनाव के समय आता है वोट लेकर चला जाता है, लेकिन बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता.
- उनका कहना है कि मुबारकपुर के 80 प्रतिशत से अधिक घरों में हथकरघे चलते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के नेताओं ने कभी बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया. इस कारण बुनकरों की स्थिति जस की तस बनी हुई है.
- यहां की जनता का आरोप है कि राजनीतिक दलों ने कभी भी बुनकरों की समस्याओं को नहीं उठाया, जिसके कारण बुनकरों को पहचान नहीं मिल पा रही.