अयोध्या: जिले में पैतृक संपत्ति के विवाद के चलते एक विधवा महिला का आरोप है कि उसे और उसकी दो बच्चियों को एसडीएम सदर ज्योति सिंह के आदेश पर घर से बाहर कर दिया गया. इतना ही नहीं पीड़ित महिला ने एसडीएम सदर के ऊपर फोन पर अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप भी लगाया है. मामले की खबर जब राज्य महिला आयोग की सदस्य इन्द्रवास सिंह को मिली तो वे तत्काल मौके पर पहुंचीं. उनके प्रयास से घर से बेघर हुई महिला को एक बार फिर से उसी घर में आसरा मिल गया है.
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दो बच्चियों की मां ने लगाया आरोप
महिला शिप्रा शुक्ला ने बताया कि उसके पति की पूर्व में मृत्यु हो चुकी है. महिला की दो छोटी बच्चियां भी हैं. सदर तहसील के विवेकानंदपुरम कॉलोनी के जिस मकान में शिप्रा शुक्ला अपनी दो बच्चियों के साथ रहती हैं, उसको लेकर विवाद उनके देवर आशीष शुक्ला से चल रहा है. इस विवाद के संबंध में आशीष शुक्ला ने एसडीएम सदर से शिकायत की कि यह मकान उसकी पर्सनल प्रॉपर्टी है, जो कि उसकी पत्नी पल्लवी शुक्ला के नाम पर है. उसकी भाभी जबरदस्ती उसके मकान में रह रही है. एसडीएम सदर ज्योति सिंह ने मौके का जायजा लेने के बाद विधवा का सामान बाहर निकलवा दिया. पीड़ित महिला शिप्रा शुक्ला का आरोप है की एसडीएम सदर ज्योति सिंह ने उनके साथ फोन पर अभद्र भाषा का भी प्रयोग किया है.
अपनी इच्छा से महिला बैठी घर के बाहर
इस पूरे मामले पर अपना पक्ष रखते हुए एसडीएम सदर ज्योति सिंह ने कहा कि यह उसके देवर की पर्सनल प्रॉपर्टी है, पैतृक नहीं. फिर भी महिला शिप्रा शुक्ला कोर्ट की मदद लेकर अपने देवर से मुकदमा लड़ सकती हैं. उन्हें घर से बाहर नहीं निकाला गया, बल्कि एक वकील के कहने पर वह अपने घर के बाहर सामान रखकर बैठी हुई हैं.
बेसहारा महिला को मिली मदद
पीड़ित महिला के साथ हुई इस घटना की जानकारी राज्य महिला आयोग की सदस्य इंदिरावास सिंह को दी गई. मौके पर पहुंचीं इंदिरावास सिंह ने एसडीएम सदर को आदेश दिया कि मानवीय संवेदना के आधार पर उसका सामान घर में रखवाया जाए, क्योंकि यह बारिश का मौसम है. उसका घर के बाहर रहना ठीक नहीं है. इसके बाद एसडीएम सदर ज्योति सिंह को बैकफुट पर आना पड़ा और उन्होंने मौके पर पहुंचकर पीड़ित महिला का सामान घर के अंदर रखने के निर्देश दिए.
कोर्ट तय करेगा महिला को संपत्ति में हिस्सा मिलेगा या नहीं
जिस मकान में रहने को लेकर विवाद चल रहा है उस मकान में विधवा महिला और उसकी बच्चियों का अधिकार है या नहीं यह तो जांच का विषय है. बरसात के मौसम में जिस प्रकार से एक बेसहारा महिला को दो बच्चियों के साथ घर के बाहर किया गया यह अपने आप में शर्मनाक है.