अयोध्या: जिले में एक 11 वर्षीय किशोर को कोरोना संक्रमण का खतरा बताकर जिला अस्पताल उसे परिजनों के साथ दिनभर भटकाता रहा. प्रशासनिक अधिकारियों की दखल के बाद जब दोबारा उसे जिला अस्पताल में भर्ती किया गया तब तक देर हो गई. बाद में बताया गया कि उसे किसी जहरीले जंतु के काटने की आशंका है. इलाज में देरी होने की वजह से परिजन चाहकर भी उसे नहीं बचा पाए. मृतक के पिता ने इलाज करने वाले डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
दरअसल, 12 जून को मूलचंद प्रजापति ने अपने बेटे वीर प्रजापति को अयोध्या जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. कोरोना वायरस संक्रमण का हवाला देते हुए गंभीर हालत के चलते उसे जिला प्रशासन ने हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया. परिजन जब किशोर को लेकर हायर सेंटर राजर्षि दशरथ राजकीय मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो वहां के डॉक्टरों ने किशोर की हालत गंभीर बताते हुए भर्ती करने से इनकार कर दिया.
सिटी मजिस्ट्रेट के दखल के बाद किया गया भर्ती
दिनभर भटकने के बाद परिजनोंं ने एक निजी चिकित्सक को किशोर को दिखाया, लेकिन वहां भी उसे भर्ती नहीं किया गया. काफी परेशान होने के बाद परिजनों ने सिटी मजिस्ट्रेट सत्य प्रकाश से बात की, जिसके बाद जिला अस्पताल में फिर से किशोर को भर्ती किया गया. यहां इलाज के दौरान शनिवार शाम करीब 8 बजे उसकी मौत हो गई गई.
पिता ने लगाए गंभीर आरोप
मृतक के पिता मूलचंद प्रजापति का कहना है कि बेटे की मौत जिला अस्पताल के चिकित्सकों की लापरवाही की वजह से हुई है. मूलचंद का कहना है कि जब बेटे की हालत गंभीर थी, उसे इलाज की आवश्यकता थी तो कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए अस्पताल से बाहर उसे लेकर भटकने को मजबूर किया गया, जिसके चलते इलाज में देरी हुई और बेटे की मौत हो गई. मामले में मृतक के पिता मूलचंद ने प्रशासन से न्याय की मांग की है. उन्होंने कहा है कि अस्पताल के चिकित्सकों की लापरवाही की वजह से उनके बेटे की मौत हुई है.
जिला अस्पताल के डॉक्टर ने दी सफाई
वहीं जिला अस्पताल के डॉ. एके राय का कहना है कि जब किशोर को भर्ती किया गया तो उसकी हालत गंभीर थी. लगातार उसकी सांस बढ़ती जा रही थी और शरीर का तापमान भी बढ़ रहा था. अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर इलाज करने की भरसक कोशिश की गई, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ, जिसके चलते किशोर को हायर सेंटर के लिए रेफर करना पड़ा.
शरीर में जहर फैलने की बता रहे वजह
डॉ. एके राय ने कहा कि बताया जा रहा है कि किशोर को किसी जहरीले जन्तु ने काटा था. शरीर में विष का असर होने के चलते उसका तापमान बढ़ रहा था और धीरे-धीरे सांस भी बढ़ती जा रही थी. ऐसे में कोरोना संक्रमण के लक्षण को देखते हुए जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और उसे हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया. बाद में जब तक जहरीले जन्तु के काटने का पता जिला अस्पताल के डॉक्टरों को चलता, तब तक देर हो गई थी. शरीर में पूरी तरह जहर फैलने की वजह से किशोर की मौत हो गई.
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