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अयोध्या में है जनकपुर की 'अनमोल विरासत', मां सीता लाई थीं अपने साथ

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Published : Nov 20, 2019, 2:55 PM IST

राम की नगरी अयोध्या देश की संस्कृतियों को संजोए हुए है. रघुकुल के साथ जनकपुर की विरासत भी सुरक्षित है. मान्यता है कि जब मां सीता जनकपुर से राम के साथ ब्याह कर आयोध्या आई थीं तो वह जनकपुर से विरासत अपने साथ लाई थीं. यहां का छोटी देवकाली मंदिर इसीके प्रतीक स्वरूप स्थापित है.

सर्वमंगला पार्वती

अयोध्याः तीर्थ स्थलों में श्रेष्ठ राम की नगरी का अध्यात्म में अहम स्थान है. अयोध्या के मध्य स्थापित मां देवकाली मंदिर शक्ति परंपरा के वाहकों का अनूठा स्थान है. मान्यता है कि छोटी देवकाली मिथिला धाम जनकपुरी की देवी सर्वमंगला पार्वती जी हैं. अत्रि संहिता के मिथिला खंड में इस बात का जिक्र किया गया है. संहिता में कहा गया है कि मां सीता जब जनकपुर से अयोध्या पहुंची तो पार्वती जी का विग्रह अपने साथ लेकर आईं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

ईशान कोण पर है पार्वती जी का मंदिर
राजा दशरथ ने अयोध्या के सब सागर के ईशान कोण पर पार्वती जी का मंदिर बनवाया था. जहां मां सीता और राजकुल की अन्य रानी पूजन के लिए जाया करती थीं. इस मंदिर में प्रतिष्ठित देवी की मान्यता नगर देवी के रूप में है. अयोध्या नगर देवी की पूजन की परंपरा आज भी कायम है. यहां विवाह समारोह समेत अन्य सभी शुभ कार्यों में छोटी देवकाली मंदिर में पूजा अवश्य की जाती है.

छोटी देवकाली को अपने साथ लाई थी मां सीता
मान्यता है कि मां छोटी देवकाली जनकपुर की कुलदेवी थी. मां की प्रतिमा माता सीता अपने मायके से अयोध्या लेकर आई थी. कनक भवन के ईशान कोण पर स्थित इस मंदिर में मां सीता नित्य पूजा-पाठ किया करती थीं. मान्यता है कि विवाह से पहले मां सीता ने छोटी देवकाली से योग्य वर की कामना की थी. उनकी यह इच्छा मां की आराधना से पूरी हुई. यही मान्यता आज भी कायम है, जिसके चलते युवतियां इस मंदिर में आती हैं और मत्था टेकती हैं.

छोटी देवकाली मंदिर भारत का प्रमुख मंदिर
ऐतिहासिक तथ्यों की बात करें तो, ईसा के तीसरी शताब्दी तक यह मंदिर अपनी भव्यता के चलते भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक था. मुगलों और हूण राजाओं के आक्रमण के कारण देवकाली मंदिर दो बार ध्वस्त हुआ. पहली बार इसका निर्माण पुष्यमित्र ने करवाया, जबकि दूसरी बार मुगलों के आक्रमण में जब यह मंदिर ध्वस्त हुआ तो बिंदु संप्रदाय के महंत ने मंदिर के स्थान पर छोटी कोठरी का निर्माण करवाया था. मौजूदा समय में मंदिर में स्थापित मां देवकाली को उमा, कात्यायनी, गौरी, कल्याणी, दैत्य मर्दिनी, दुर्गतिनाशिनी, दुर्गा, शंकर प्राणवल्लभा, अपर्णा, पार्वती, काली, स्कंद माता, गणेश की माता, योगिनी, भुवनेश्वरी और सर्वमंगला नाम से जाना जाता है.

अयोध्याः तीर्थ स्थलों में श्रेष्ठ राम की नगरी का अध्यात्म में अहम स्थान है. अयोध्या के मध्य स्थापित मां देवकाली मंदिर शक्ति परंपरा के वाहकों का अनूठा स्थान है. मान्यता है कि छोटी देवकाली मिथिला धाम जनकपुरी की देवी सर्वमंगला पार्वती जी हैं. अत्रि संहिता के मिथिला खंड में इस बात का जिक्र किया गया है. संहिता में कहा गया है कि मां सीता जब जनकपुर से अयोध्या पहुंची तो पार्वती जी का विग्रह अपने साथ लेकर आईं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

ईशान कोण पर है पार्वती जी का मंदिर
राजा दशरथ ने अयोध्या के सब सागर के ईशान कोण पर पार्वती जी का मंदिर बनवाया था. जहां मां सीता और राजकुल की अन्य रानी पूजन के लिए जाया करती थीं. इस मंदिर में प्रतिष्ठित देवी की मान्यता नगर देवी के रूप में है. अयोध्या नगर देवी की पूजन की परंपरा आज भी कायम है. यहां विवाह समारोह समेत अन्य सभी शुभ कार्यों में छोटी देवकाली मंदिर में पूजा अवश्य की जाती है.

छोटी देवकाली को अपने साथ लाई थी मां सीता
मान्यता है कि मां छोटी देवकाली जनकपुर की कुलदेवी थी. मां की प्रतिमा माता सीता अपने मायके से अयोध्या लेकर आई थी. कनक भवन के ईशान कोण पर स्थित इस मंदिर में मां सीता नित्य पूजा-पाठ किया करती थीं. मान्यता है कि विवाह से पहले मां सीता ने छोटी देवकाली से योग्य वर की कामना की थी. उनकी यह इच्छा मां की आराधना से पूरी हुई. यही मान्यता आज भी कायम है, जिसके चलते युवतियां इस मंदिर में आती हैं और मत्था टेकती हैं.

छोटी देवकाली मंदिर भारत का प्रमुख मंदिर
ऐतिहासिक तथ्यों की बात करें तो, ईसा के तीसरी शताब्दी तक यह मंदिर अपनी भव्यता के चलते भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक था. मुगलों और हूण राजाओं के आक्रमण के कारण देवकाली मंदिर दो बार ध्वस्त हुआ. पहली बार इसका निर्माण पुष्यमित्र ने करवाया, जबकि दूसरी बार मुगलों के आक्रमण में जब यह मंदिर ध्वस्त हुआ तो बिंदु संप्रदाय के महंत ने मंदिर के स्थान पर छोटी कोठरी का निर्माण करवाया था. मौजूदा समय में मंदिर में स्थापित मां देवकाली को उमा, कात्यायनी, गौरी, कल्याणी, दैत्य मर्दिनी, दुर्गतिनाशिनी, दुर्गा, शंकर प्राणवल्लभा, अपर्णा, पार्वती, काली, स्कंद माता, गणेश की माता, योगिनी, भुवनेश्वरी और सर्वमंगला नाम से जाना जाता है.

Intro:अयोध्या: रामनगरी 2 देशों की संस्कृतियों को संजोए हुए है. यहां रघुकुल के साथ जनकपुर की विरासत भी सुरक्षित है. मान्यता है कि जब मां सीता जनकपुर से राम के साथ ब्याह कर आयोध्या आई थी तो वह यह विरासत अपने साथ लाई थीं. अयोध्या का छोटी देवकाली मंदिर इसी तथ्य के प्रतीक स्वरूप स्थापित है.


Body:मान्यता है कि छोटी देवकाली मिथिला धाम इन जनकपुरी की देवी सर्वमंगला पार्वती जी हैं. अत्रि संहिता के मिथिला खंड मैं इस बात का जिक्र किया गया है. संहिता में कहा गया है कि मां सीता जब जनकपुर से अयोध्या पहुंचे तो पार्वती जी का विग्रह अपने साथ लेकर आईं. राजा दशरथ ने अयोध्या के सब सागर के ईशान कोण पर पार्वती जी का मंदिर बनवाया था. जहां मां सीता और राजकुल की अन्य रनिया पूजन के लिए जाया करती थीं. इस मंदिर मैं प्रतिष्ठित देवी की मान्यता नगर देवी के रूप में है. अयोध्या नगर देवी की पूजन की परंपरा आज भी कायम है. यहां विवाह समारोह समेत अन्य सभी शुभ कार्यों में छोटी देवकाली मंदिर में पूजा अवश्य की जाती है.

जनकपुर से छोटी देवकाली को अपने साथ लाई थी मां सीता
मान्यता है कि मां छोटी देवकाली जनकपुर की कुलदेवी थी मां का विग्रह शुरू प्रतिमा माता सीता मायके से अयोध्या अपने साथ लेकर आई थी कनक भवन की ईशान कोण पर स्थित इस मंदिर में मां सीता नित्य पूजा पाठ किया करती थीं.

छोटी देवकाली मंदिर में पूजन से युवतियों को मिलता है योग्य वर
छोटी देवकाली मां सीता की आराध्य देवी थीं. वह देवी की पूजा नित्य मायके में करती थीं और यह क्रम ना टूटे इसके लिए वह अयोध्या जब आए तो देवी जी की विग्रह शुरू प्रतिमा को साथ लेकर आईं. मान्यता है कि विवाह से पहले मां सीता ने छोटी देवकाली से योग्य वर की कामना की थी. उनकी यह इच्छा मां की आराधना से पूरी हुई. यही मान्यता आज भी कायम है, जिसके चलते युवतियां इस मंदिर में आती हैं और मत्था टेकती हैं.


Conclusion:ईसा की तीसरी शताब्दी तक छोटी देवकाली भारत का प्रमुख मंदिर
ऐतिहासिक तथ्यों की बात करें तो ईसा की तीसरी शताब्दी तक यह मंदिर अपनी भव्यता के चलते भारत का प्रमुख धार्मिक स्थल था. मुगलों और हूण राजाओं के आक्रमण के कारण देवकाली मंदिर दो बार ध्वस्त हुआ. पहली बार इसका निर्माण पुष्यमित्र ने करवाया, जबकि दूसरी बार मुगलों के आक्रमण में जब यह मंदिर ध्वस्त हुआ तो बिंदु संप्रदाय के महंत ने मंदिर के स्थान पर छोटी कोठरी का निर्माण करवाया था. मौजूदा समय में मंदिर में स्थापित मां देवकाली को उमा, कात्यायनी, गौरी, कल्याणी, दैत्य मर्दिनी, दुर्गतिनाशिनी, दुर्गा, शंकर प्राणवल्लभा, अपर्णा, पार्वती, काली, स्कंद माता, गणेश की माता, योगिनी, भुवनेश्वरी और सर्वमंगला नाम से जाना जाता है.

बाइट- अजय कुमार द्विवेदी, पुजारी, छोटी देवकाली मंदिर
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