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'निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना' किसान हितैषी या फिर जले पर 'नमक' छिड़कने वाली! - state government scheme for rearing stray cattle

प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना चलाने के अंतर्गत विभाग से पशुओं को पालने वाले इच्छुक किसानों को प्रति गाय 30 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाएगा. यह योजना कितनी सफल हो रही है देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट.

गोवंशों को स्थल देने के लिए सरकार ने चलाई सहभागिता योजना
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Published : Oct 12, 2019, 11:48 PM IST

अयोध्या: प्रदेश सरकार ने पशुपालन विभाग को निर्देश जारी किया है, जिसके तहत गौशाला के पशुओं को पालने के इच्छुक पशुपालकों और किसानों को प्रति गाय 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से देने की बात कही गई है. वहीं केंद्र की एनडीए सरकार के यह वायदे धरातल पर कितने उतारे गए हैं, इसका अनुमान तो किसानों की स्थिति देखकर ही लगाया जा सकता है.

गोवंशों को स्थल देने के लिए सरकार ने चलाई सहभागिता योजना.

महज 30 रुपये प्रतिदिन में पशुओं को पालने के आदेश
सरकार का शासनादेश ऐसे समय में आया है जब सूखे की मार झेल रहे किसानों के खेत पहले तो पशुओं ने बर्बाद कर दिया. उसके बाद अतिवृष्टि में फसलें तबाह हो गईं हैं. ऐसे में जब पशुओं के चारे के लिए किसानों के पास कुछ बचा ही नहीं है तो निराश्रित पशुओं को पालने में किसान कैसे सक्षम होंगे. सरकार के हिसाब से एक जानवर पालने के लिए महज 30 रुपये का खर्च आता है, लेकिन पशुपालकों का कहना है कि इतनी राशि में अगर कोई उनका पशु पालना चाहे तो वह खुशी से देने को तैयार होंगे.

इसे भी पढे़ं:-अनसुलझी पहेली बना पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर मामला, पुलिस पर उठे सवालिया निशान

गोवंश आश्रय स्थल नहीं हैं कारगर
आपको बता दें कि खुले में घूम रहे आवारा पशुओं ने किसानों की फसलें तबाह कर दी हैं. सरकार के बनवाए गए आश्रय स्थल कितने कारगर साबित हुए हैं, इसका अनुमान किसानों के खेतों को देखकर लग जाता है. एनडीए सरकार ने सत्ता में आने से पहले किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था लेकिन राज्य सरकार निराश्रित पशुओं के लिए आश्रय स्थल की व्यवस्था नहीं कर सकी.

इसे भी पढ़ें:-अयोध्या: जहां भगवान राम करते थे दातून, वहां होगा ब्रह्मा का जन्म

सरकार जन सहभागिता का सहारा ले रही है
निराश्रित और बेसहारा पशुओं को ठिकाने लगाने के लिए अब राज्य सरकार ने जन सहभागिता का सहारा लेने के प्रयास में है लेकिन पहले से तबाही की मार झेल रहे किसान अब खुले में घूम रहे गोवंश को 30 रुपये प्रतिदिन की कीमत पर पालने के लिए तैयार नहीं है. किसानों का कहना है कि सरकार ऐसी योजना लाकर किसानों का सिर्फ मजाक उड़ाने का काम कर रही है. सरकार के इस जन सहभागिता योजना के तहत कोई भी पशुपालक अगर कोई भी जानवर पशुपालक विभाग से लेकर जाता है तो वह उस जानवर को बेच नहीं सकता. साथ ही मृत्यु होने पर पोस्टमार्ट कारएगा और बीमार होने पर इलाज भी कराएगा.

इसे भी पढे़ं:-अयोध्याः विवादित स्थल पर 51 हजार दीप जलाने की तैयारी में विश्व हिंदू परिषद्

इस जनपद में पशुपालन विभाग द्वारा माननीय मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सह भागिता योजना चलाई जा रही है. इसे योजना के अंतर्गत जो हमारे गोवंश आश्रय स्थल हैं . वहीं से कोई भी पशुपालक अगर जानवर लेना चाहता है तो उसे तीस रुपये प्रतिदिन औऱ प्रति पशु के हिसाब से विभाग द्वारा दिया जाएगा. यह पेमेंट डीबीटी के माध्यम से होगा.
-डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

अयोध्या: प्रदेश सरकार ने पशुपालन विभाग को निर्देश जारी किया है, जिसके तहत गौशाला के पशुओं को पालने के इच्छुक पशुपालकों और किसानों को प्रति गाय 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से देने की बात कही गई है. वहीं केंद्र की एनडीए सरकार के यह वायदे धरातल पर कितने उतारे गए हैं, इसका अनुमान तो किसानों की स्थिति देखकर ही लगाया जा सकता है.

गोवंशों को स्थल देने के लिए सरकार ने चलाई सहभागिता योजना.

महज 30 रुपये प्रतिदिन में पशुओं को पालने के आदेश
सरकार का शासनादेश ऐसे समय में आया है जब सूखे की मार झेल रहे किसानों के खेत पहले तो पशुओं ने बर्बाद कर दिया. उसके बाद अतिवृष्टि में फसलें तबाह हो गईं हैं. ऐसे में जब पशुओं के चारे के लिए किसानों के पास कुछ बचा ही नहीं है तो निराश्रित पशुओं को पालने में किसान कैसे सक्षम होंगे. सरकार के हिसाब से एक जानवर पालने के लिए महज 30 रुपये का खर्च आता है, लेकिन पशुपालकों का कहना है कि इतनी राशि में अगर कोई उनका पशु पालना चाहे तो वह खुशी से देने को तैयार होंगे.

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गोवंश आश्रय स्थल नहीं हैं कारगर
आपको बता दें कि खुले में घूम रहे आवारा पशुओं ने किसानों की फसलें तबाह कर दी हैं. सरकार के बनवाए गए आश्रय स्थल कितने कारगर साबित हुए हैं, इसका अनुमान किसानों के खेतों को देखकर लग जाता है. एनडीए सरकार ने सत्ता में आने से पहले किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था लेकिन राज्य सरकार निराश्रित पशुओं के लिए आश्रय स्थल की व्यवस्था नहीं कर सकी.

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सरकार जन सहभागिता का सहारा ले रही है
निराश्रित और बेसहारा पशुओं को ठिकाने लगाने के लिए अब राज्य सरकार ने जन सहभागिता का सहारा लेने के प्रयास में है लेकिन पहले से तबाही की मार झेल रहे किसान अब खुले में घूम रहे गोवंश को 30 रुपये प्रतिदिन की कीमत पर पालने के लिए तैयार नहीं है. किसानों का कहना है कि सरकार ऐसी योजना लाकर किसानों का सिर्फ मजाक उड़ाने का काम कर रही है. सरकार के इस जन सहभागिता योजना के तहत कोई भी पशुपालक अगर कोई भी जानवर पशुपालक विभाग से लेकर जाता है तो वह उस जानवर को बेच नहीं सकता. साथ ही मृत्यु होने पर पोस्टमार्ट कारएगा और बीमार होने पर इलाज भी कराएगा.

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इस जनपद में पशुपालन विभाग द्वारा माननीय मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सह भागिता योजना चलाई जा रही है. इसे योजना के अंतर्गत जो हमारे गोवंश आश्रय स्थल हैं . वहीं से कोई भी पशुपालक अगर जानवर लेना चाहता है तो उसे तीस रुपये प्रतिदिन औऱ प्रति पशु के हिसाब से विभाग द्वारा दिया जाएगा. यह पेमेंट डीबीटी के माध्यम से होगा.
-डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

Intro:अयोध्या: बीते एक साल में अगर किसानों की आय पर गौर करें तो स्थिति चिंताजनक है. किसानों की आय दोगुना करने का वादा करने वाली केंद्र की एनडीए सरकार के दावे धरातल पर कितना उतर पाए हैं. इसका अनुमान गांवों की मौजूदा स्थिति को देखकर ही लगाया जा सकता है. दरअसल बात हो रही है यूपी सरकार द्वारा जारी एक शासनादेश की जिसमें पशुपालन विभाग को गौशाला के पशुओं को पालने की इच्छुक पशुपालकों और किसानों को प्रति गाय 30 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से देने की बात कही गई है.





Body:किसानों के लिए मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना योगी सरकार ने शुरू की है. इस योजना के तहत निराश्रित गोवंश को पालने वाले किसानों और पशुपालकों को 30 रुपए प्रति गोवंश प्रतिदिन दिया जाएगा. सरकारी अनुदान गोपाल को के खाते में डीबीटी स्कीम के जरिए देगी.

अब सवाल इस बात का है कि क्या एक पशु को पालने में 1 दिन में महज 30 का खर्चा है. सरकार का शासनादेश ऐसे समय में आया है जब सूखे की मार झेल रहे किसानों के खेत पहले तो पशुओं ने बर्बाद कर दिया. उसके बाद अतिवृष्टि में फसलें तबाह हो गईं हैं. ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि जब पशुओं के चारे के लिए किसानों के पास कुछ बचा ही नहीं है तो हुए निराश्रित पशुओं को पालने में कैसे सक्षम होंगे सरकार के हिसाब से एक जानवर पालने के लिए महज ₹30 का खर्च आता है, लेकिन पशु पालकों का कहना है कि इतनी राशि में अगर कोई उनका पशु पालना चाहे तो वह खुशी से देने को तैयार होंगे.

आपको बता दें कि खुले में घूम रहे आवारा पशुओं ने किसानों की फसलें तबाह कर दी हैं. सरकार द्वारा बनवाए गए आश्रय स्थल कितने कारगर साबित हुए हैं, इसका अनुमान किसानों के खेतों को देखकर लग जाता है. एनडीए सरकार ने सत्ता में आने से पहले किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था जिसके लिए केंद्र ने कई योजनाएं भी चलाईं, लेकिन राज्य सरकार ने निराश्रित पशुओं के लिए व्यवस्था नहीं कर सकी. इसके चलते फसलें तबाही की कगार पर पहुंच गई हैं.


Conclusion:निराश्रित और बेसहारा पशुओं को ठिकाने लगाने के लिए अब राज्य सरकार ने जन सहभागिता का सहारा लेने के प्रयास में है, लेकिन पहले से तबाही की मार झेल रहे किसान अब खुले में घूम रहे गोवंश को 30 रुपए प्रतिदिन की कीमत पर पालने के लिए तैयार नहीं है. उनका कहना है कि सरकार ऐसी योजना लाकर किसानों का सिर्फ मजाक उड़ाने का काम कर रही है.

बाइट- डॉ अशोक कुमार श्रीवास्तव, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, अयोध्या

मुकेश पांडेय, ईटीवी भारत, अयोध्या

9026959111

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