अयोध्या: धर्म नगरी अयोध्या में चल रहे भव्य राम मंदिर निर्माण के साथ ही परिसर के आसपास मंदिर से जुड़े अन्य भवनों के निर्माण के लिए कई अन्य इमारतों को भी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने खरीदा है. इन्हीं में से एक भवन के रूप में रामनिवास मंदिर की खरीद-फरोख्त के मामले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. रामलला के पक्षकार रहे महंत धर्मदास ने इस पूरे प्रकरण को लेकर ट्रस्ट के ऊपर बेहद संगीन आरोप लगाए हैं.
उन्होंने भगवान की संपत्ति को जबरिया कथित लोगों द्वारा खरीदे और बेचे जाने का आरोप लगाया है. वहीं ट्रस्ट की ओर से भी सफाई दी गई है कि ट्रस्ट ने कानूनी रूप से अधिकृत लोगों के खाते में पैसा देकर उनसे संपत्ति खरीदी है और संपत्ति पर कब्जा लिया है. खास बात यह है कि मंदिर में रहने वाले एक किराएदार ने आरोप लगाया है कि उसे धोखे में रखकर मंदिर का सौदा किया गया. उसे पूरे पैसे नहीं दिए गए और जबरिया मकान खाली करा लिया गया और अब उसे जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है.
श्री रामजन्मभूमि मंदिर से चंद कदम पहले सड़क किनारे अति प्राचीन रामनिवास मंदिर स्थित है. जिसका अधिकतर हिस्सा जर्जर हो चुका है. इसके तीन उत्तराधिकारियों महंत वीरेंद्र दास, महंत विवेक दास, लालकृष्ण दास से 5 करोड़ 80 लाख में श्री राम मंदिर ट्रस्ट ने खरीदने का अनुबंध 22 दिसंबर 2022 को किया था. इसमें ट्रस्ट ने 20 लाख 30 हजार की स्टांप ड्यूटी दी थी. ताजा विवाद रामनिवास मंदिर से जुड़ा है, जिसके एक हिस्से में लंबे समय से किराएदार के रूप में विनय गुप्ता मकान और दुकान बनाकर रहते थे.
इसीलिए ट्रस्ट ने उन्हें अपना कब्जा छोड़ने के एवज में 24 लाख 99 हजार 750 का एक चेक दिया. विनय गुप्ता का आरोप है कि ट्रस्ट ने जिनसे मंदिर खरीदा है उन्हीं में से एक वारिस ने उनसे कहीं और बसने के लिए 50 लाख रुपए देने की बात की थी. इस संबंध में उससे एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी कराए गए थे लेकिन उसकी कोई कॉपी नहीं दी गई. अब जैसे ही उसने चेक को बैंक में लगाया उसी के बाद उसके परिवार को घर से निकाल कर ताला बंद कर दिया गया और अब परिवार सड़क पर है.
महंत धर्मदास बोले, भगवान की संपत्ति को कोई नहीं बेच सकता
इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब बीती शुक्रवार की रात ताला बंद होने के बाद राम मंदिर के पूर्व पक्षकार रहे महंत धर्मदास वहां पहुंच गए. उनका आरोप है कि मंदिर किसी की व्यक्तिगत प्रॉपर्टी नहीं, भगवान की होती है. इसलिए उस पर न जबरन कब्जा किया जा सकता है और न उसे बेचा जा सकता है. इसलिए उन्होंने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्स करके राम मंदिर ट्रस्ट को सलाह दी है कि वह कोई ऐसा कार्य न करें, जिससे अयोध्या की जनता में अफरा-तफरी फैले.
ट्रस्ट ने कहा, हमने लीगल लोगों को पैसा देकर खरीदी है संपत्ति
वहीं इस पूरे मामले पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने साफ किया है कि जो लीगल लोग हैं उनको ट्रस्ट बाकायदा पैसा देकर प्रॉपर्टी लेता है. वह जो पैसा मांगते हैं उनको दिया जाता है और उसके बाद उसकी रजिस्ट्री ली जाती है. राम मंदिर ट्रस्ट किसी से कोई जबरदस्ती नहीं करता, बल्कि सुरक्षा के आधार पर संपत्ति उनके खाते में पैसा देकर खरीदी जाती है. संपत्ति खरीदने के बाद उसमें मरम्मत आदि कराने के लिए कब्जा लिया जाता है और ताला बंद किया जाता है. आपको बता दें कि ताला बंद करने के मामले में निशेन्द्र मोहन मिश्रा उर्फ गुड्डू मिश्रा और ट्रस्ट कर्मचारी आशीष अग्निहोत्री का नाम सामने आ रहा है, इसीलिए राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से यह सफाई सामने आई है.