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अयोध्या की बेटी ने रूस में रचा इतिहास, 23 देशों के 800 खिलाड़ियों को दी मात

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Published : Nov 1, 2019, 8:22 PM IST

Updated : Nov 1, 2019, 9:24 PM IST

रूस की राजधानी मास्को में वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में अयोध्या की बेटी सीमा पांडेय ने स्वर्ण पदक हासिल कर देश का नाम रोशन किया है. ईटीवी भारत ने सीमा पांडेय से खास बातचीत की.

वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियन सीमा पांडेय.

अयोध्या: जब अयोध्या अपने नाम 4 लाख 10 हजार दीयों को एक साथ जलाने का रिकॉर्ड दर्ज कर रहा था, उसी वक्त अवध की धरती से हजारों मील दूर रूस में एक और विश्व रिकॉर्ड बन रहा था. यह रिकॉर्ड जिले की एक बेटी बना रही थी. टिमटिमाते दीयों और दूधिया रोशनी चकाचौंध में शायद इसकी खबर किसी को न थी.

सीमा पांडेय ने स्वर्ण पदक किया अपने नाम.

मास्को में वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप का आयोजन
रूस की राजधानी मास्को में वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप आयोजित किया गया था. इस चैंपियनशिप में राम की नगरी मे जन्म लेने वाली बेटी सीमा पांडेय ने 24 देशों की 800 खिलाड़ियों के बीच अपना लोहा मनवाया है.

विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सीमा पांडेय ने खुद को साबित किया है. उन्होंने वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 75 किलोग्राम भार वर्ग में कुल 490 किलोग्राम वजन उठाकर स्वर्ण पदक हासिल किया है.

कमिटमेंट के प्रति दृढ़ता
अपने लक्ष्य और कमिटमेंट के प्रति दृढ़ता अवध की मिट्टी की पहचान रही है. इसका उदाहरण रामचरितमानस में राजा दशरथ का चरित्र प्रस्तुत करता है. ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान सीमा ने बताया कि उन्होंने वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल करने की ठान ली थी और उन्होंने इसे साबित कर दिखाया है.

सीमा के नाम हैं कई पावर लिफ्टिंग पदक
सीमा एक सामान्य परिवार से हैं, जिनके पिता पूजा पाठ करते हैं. पूजा पाठ करने से मिले दान दक्षिणा से घर का खर्च चलता था. सीमा का कहना है कि वह तीन बार सीनियर नेशनल में पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं और एक बार सिल्वर, एक बार ब्रांज मेडल भी हासिल किया है.

इससे पहले वह जूनियर नेशनल पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भी तीन बार प्रतिभाग कर चुकी हैं, जिसमें तीनों बार उन्हें गोल्ड मेडल मिल चुका है. सब जूनियर नेशनल में वह तीन बार गोल्ड मेडल पा चुकी हैं.

विपरीत परिस्थितियों में जारी रखा अभ्यास
सीमा पांडे ने अपने पावर लिफ्टिंग की शुरुआत सीतापुर से की थी. शुरुआत में उनके कोच जमुना गौरांग थे. बाद में उन्होंने लखनऊ में कोच धीरेंद्र के निर्देशन में ट्रेनिंग ली. सीमा बताती हैं कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते वह ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाई थी, जिसके चलते उन्हें घर वापस लौटना पड़ा था. घर वापस आने के बाद वह पड़ोस की एक जिम में ट्रेनिंग किया करती थी.

सीमा पांडे को मिला दो गोल्ड मेडल
रूस की राजधानी मास्को में 26 और 27 अक्टूबर को हुए वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में सीमा ने दो गोल्ड मेडल हासिल किए. पहला गोल्ड मेडल 75 किलो बाडीवेट के लिए और दूसरा चैंपियनशिप में प्रथम स्थान हासिल करने पर प्राप्त हुआ.

800 खिलाड़ियों के बीच सीमा पांडे ने मनवाया लोहा
26 और 27 अक्टूबर को रूस की राजधानी मास्को में हुई वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में विश्व के कुल 24 देश के कुल 800 खिलाड़ियों ने भाग लिया था, जिसमें गोल्ड मेडल हासिल कर सीमा पांडे ने भारत के साथ अयोध्या की धरती का भी नाम रोशन किया.

सीमा की सफलता पर माता- पिता के निकले खुशी के आंसू
सीमा के पिता भवन नाथ पांडेय कहते हैं कि जब पता चला कि बेटी को रूस जाना है तो उनके पास पैसे नहीं थे. कई परिचित लोगों से उन्होंने अपनी समस्या बताई, लेकिन मदद करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ. अंत में बेटी की जीत पर उन्हें अपने घर के गहने गिरवी रखने पड़े, जिसके बाद पैसे का प्रबंध हो सका. साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें इतनी बड़ी सफलता की उम्मीद ही नहीं थी.

वहीं सीमा की मां मीना देवी का कहना है कि बेटी को सफल होने की जिद थी. वह जो सोचती है उसे करने के लिए पूरे मन से लग जाती है.

अयोध्या: जब अयोध्या अपने नाम 4 लाख 10 हजार दीयों को एक साथ जलाने का रिकॉर्ड दर्ज कर रहा था, उसी वक्त अवध की धरती से हजारों मील दूर रूस में एक और विश्व रिकॉर्ड बन रहा था. यह रिकॉर्ड जिले की एक बेटी बना रही थी. टिमटिमाते दीयों और दूधिया रोशनी चकाचौंध में शायद इसकी खबर किसी को न थी.

सीमा पांडेय ने स्वर्ण पदक किया अपने नाम.

मास्को में वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप का आयोजन
रूस की राजधानी मास्को में वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप आयोजित किया गया था. इस चैंपियनशिप में राम की नगरी मे जन्म लेने वाली बेटी सीमा पांडेय ने 24 देशों की 800 खिलाड़ियों के बीच अपना लोहा मनवाया है.

विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सीमा पांडेय ने खुद को साबित किया है. उन्होंने वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 75 किलोग्राम भार वर्ग में कुल 490 किलोग्राम वजन उठाकर स्वर्ण पदक हासिल किया है.

कमिटमेंट के प्रति दृढ़ता
अपने लक्ष्य और कमिटमेंट के प्रति दृढ़ता अवध की मिट्टी की पहचान रही है. इसका उदाहरण रामचरितमानस में राजा दशरथ का चरित्र प्रस्तुत करता है. ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान सीमा ने बताया कि उन्होंने वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल करने की ठान ली थी और उन्होंने इसे साबित कर दिखाया है.

सीमा के नाम हैं कई पावर लिफ्टिंग पदक
सीमा एक सामान्य परिवार से हैं, जिनके पिता पूजा पाठ करते हैं. पूजा पाठ करने से मिले दान दक्षिणा से घर का खर्च चलता था. सीमा का कहना है कि वह तीन बार सीनियर नेशनल में पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं और एक बार सिल्वर, एक बार ब्रांज मेडल भी हासिल किया है.

इससे पहले वह जूनियर नेशनल पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भी तीन बार प्रतिभाग कर चुकी हैं, जिसमें तीनों बार उन्हें गोल्ड मेडल मिल चुका है. सब जूनियर नेशनल में वह तीन बार गोल्ड मेडल पा चुकी हैं.

विपरीत परिस्थितियों में जारी रखा अभ्यास
सीमा पांडे ने अपने पावर लिफ्टिंग की शुरुआत सीतापुर से की थी. शुरुआत में उनके कोच जमुना गौरांग थे. बाद में उन्होंने लखनऊ में कोच धीरेंद्र के निर्देशन में ट्रेनिंग ली. सीमा बताती हैं कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते वह ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाई थी, जिसके चलते उन्हें घर वापस लौटना पड़ा था. घर वापस आने के बाद वह पड़ोस की एक जिम में ट्रेनिंग किया करती थी.

सीमा पांडे को मिला दो गोल्ड मेडल
रूस की राजधानी मास्को में 26 और 27 अक्टूबर को हुए वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में सीमा ने दो गोल्ड मेडल हासिल किए. पहला गोल्ड मेडल 75 किलो बाडीवेट के लिए और दूसरा चैंपियनशिप में प्रथम स्थान हासिल करने पर प्राप्त हुआ.

800 खिलाड़ियों के बीच सीमा पांडे ने मनवाया लोहा
26 और 27 अक्टूबर को रूस की राजधानी मास्को में हुई वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में विश्व के कुल 24 देश के कुल 800 खिलाड़ियों ने भाग लिया था, जिसमें गोल्ड मेडल हासिल कर सीमा पांडे ने भारत के साथ अयोध्या की धरती का भी नाम रोशन किया.

सीमा की सफलता पर माता- पिता के निकले खुशी के आंसू
सीमा के पिता भवन नाथ पांडेय कहते हैं कि जब पता चला कि बेटी को रूस जाना है तो उनके पास पैसे नहीं थे. कई परिचित लोगों से उन्होंने अपनी समस्या बताई, लेकिन मदद करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ. अंत में बेटी की जीत पर उन्हें अपने घर के गहने गिरवी रखने पड़े, जिसके बाद पैसे का प्रबंध हो सका. साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें इतनी बड़ी सफलता की उम्मीद ही नहीं थी.

वहीं सीमा की मां मीना देवी का कहना है कि बेटी को सफल होने की जिद थी. वह जो सोचती है उसे करने के लिए पूरे मन से लग जाती है.

Intro:अयोध्या: जब अयोध्या अपने नाम 4 लाख 10 हजार दीयों को एक साथ जलाने का रिकॉर्ड दर्ज कर रही थी, उसी वक्त अवध की धरती से हजारों मील दूर रूस में एक और विश्व रिकॉर्ड बन रहा था. यह रिकॉर्ड अयोध्या की धरती पर जन्मी एक बेटी बना रही थी. टिमटिमाते दीयों और दूधिया रोशनी चकाचौंध में शायद इसकी खबर किसी को न थी.

हम बात कर रहे हैं रूस की राजधानी मास्को में हुई वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप की. राम की नगरी मे जन्म लेने वाली बेटी ने 24 देशों की 800 खिलाड़ियों के बीच अपना लोहा मनवाया है. विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सीमा पांडेय ने खुद को साबित किया है. उन्होंने वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 70 किलोग्राम भार वर्ग में कुल 390 किलोग्राम वजन उठाकर स्वर्ण पदक हासिल किया है. सीमा पांडे अयोध्या के दंत धावन कुंड मोहल्ले की रहने वाली हैं.




Body:अपने लक्ष्य और कमिटमेंट के प्रति दृढ़ता अवध की मिट्टी की पहचान रही है. इसका उदाहरण रामचरितमानस में राजा दशरथ का चरित्र प्रस्तुत करता है. सीमा पांडेय ने इसे एक बार फिर वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर साबित कर दिया है. ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान सीमा ने बताया कि उन्होंने वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल करने की ठान ली थी और उन्होंने इसे साबित कर दिखाया.

सीमा के नाम हैं कई पावर लिफ्टिंग पदक
सीमा एक सामान्य परिवार से हैं जिनके पिता पूजा पाठ करते हैं. पूजा पाठ करने से मिले दान दक्षिणा से घर का खर्च चलता है. सीमा का कहना है कि हुए तीन बार सीनियर नेशनल में पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं. एक बार सिल्वर, एक बार ब्रांज मेडल हासिल हुआ है. इससे पहले वे जूनियर नेशनल पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भी तीन बार प्रतिभाग कर चुकी हैं. जिसमें तीनों बार वह गोल्ड मेडल की विजेता रही थीं. सब जूनियर नेशनल में वह तीन बार गोल्ड मेडल पा चुकी हैं.

विपरीत परिस्थितियों में जारी रखा अभ्यास
सीमा पांडे ने अपने पावर लिफ्टिंग की शुरुआत सीतापुर से की थी. शुरुआत में उनके कोच जमुना गौरांग थे. बाद में लखनऊ में उन्होंने कोच धीरेंद्र के निर्देशन में ट्रेनिंग ली. सीमा बताती हैं कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते और ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाई थी जिसके चलते उन्हें घर वापस लौटना पड़ा था. घर वापस आने के बाद वह पड़ोस की एक जिम में ट्रेनिंग किया करती थीं.




Conclusion:सीमा पांडे को मिला दो गोल्ड मेडल
रूस की राजधानी मास्को में 26 और 27 अक्टूबर को हुए वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में उन्हें दो गोल्ड मेडल हासिल हुए हैं. पहला गोल्ड मेडल 75 किलो बाडीवेट के लिए और दूसरा चैंपियनशिप में प्रथम स्थान हासिल करने पर मिला है.

800 खिलाड़ियों के बीच सीमा पांडे ने मनवाया लोहा
26 और 27 अक्टूबर को रूस की राजधानी मास्को में हुई वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में विश्व के कुल 24 देश के कुल 800 खिलाड़ियों ने भाग लिया था. जिसमें गोल्ड मेडल हासिल कर सीमा पांडे ने भारत के साथ अयोध्या की धरती का नाम रोशन किया है.

सीमा की सफलता पर माता- पिता के निकले खुशी के आंसू
सीमा के पिता भवन नाथ पांडेय कहते हैं कि जब पता चला कि बेटी को रूस जाना है तो उनके पास पैसे नहीं थे. कई परिचित लोगों से उन्होंने अपनी समस्या बताई लेकिन मदद करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ. अंत में बेटी की जीत पर उन्हें अपने घर के गहने गिरवी रखने पड़े जिसके बाद पैसे का प्रबंध हो सका. अब बेटी की सफलता पर पिता के आंसू छलक रहे हैं. वह कह रहे हैं कि हमें इतनी बड़ी सफलता की उम्मीद ही नहीं थी. वही सीमा की मां मीना देवी का कहना है कि बेटी को सफल होने की जिद थी. वह जो शांति है उसे करने के लिए पूरे मन से लग जाती है.

बाइट- 1- सीमा पांडेय, पावर लिफ्टर, गोल्ड मेडल विजेता, वर्ल्ड पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप
2- भवन नाथ पांडेय, सीमा के पिता
3- मीना देवी, सीमा की मां
Last Updated : Nov 1, 2019, 9:24 PM IST
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