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अयोध्या आतंकी हमले पर कोर्ट के फैसले से खुश नहीं सत्येंद्र दास, कहा- आरोपियों को हो फांसी - अयोध्या आतंकी हमले पर आया कोर्ट का फैसला

पांच जुलाई 2005 को अयोध्या में रामजन्मभूमि परिसर में हुए आतंकी हमले के मामले में प्रयागराज कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने मामले में नैनी जेल में बंद पांच आरोपियों में से चार को आजीवन कारावास और एक को बरी कर दिया है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते आचार्य सत्येंद्र दास.
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Published : Jun 18, 2019, 9:11 PM IST

अयोध्या: अयोध्या आतंकी हमले में चार आरोपियों को मिली आजीवन कारावास की सजा पर रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा के बजाए फांसी की सजा होनी चाहिए थी.

ईटीवी भारत से बातचीत करते आचार्य सत्येंद्र दास.

जानें अयोध्या आतंकी हमले पर कोर्ट का फैसला

  • पांच जुलाई 2005 को अयोध्या में हुए आतंकी हमले के मामले में प्रयागराज की विशेष अदालत ने चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
  • इस आतंकी हमले के एक अन्य आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया है.
  • इस आतंकी हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी. हमला रामजन्मभूमि परिसर में हुआ था.
  • फैसला प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में सुनाया गया.
  • इस मामले की सुनवाई स्पेशल जज SC/ST दिनेश चंद्र ने की.
  • बता दें कि मामले में पांच आरोपी पिछले काफी समय से नैनी सेंट्रल जेल में ही बंद हैं.

फैसले पर क्या बोले आचार्य सत्येंद्र दास

  • अयोध्या आतंकी हमले के इस फैसले पर रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.
  • आचार्य सत्येंद्र दास ने कोर्ट के इस फैसले से संतुष्ट नहीं नजर आए.
  • आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि कोर्ट के आदेश का विरोध नहीं है, लेकिन आरोपियों को सजा कम मिली है.
  • कोर्ट ने पांचों आरोपियों में चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और एक को बरी किया है.
  • इस प्रकार की घटना में आरोपी आजीवन कारावास के पात्र नहीं बल्कि फांसी के पात्र हैं.

अयोध्या: अयोध्या आतंकी हमले में चार आरोपियों को मिली आजीवन कारावास की सजा पर रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा के बजाए फांसी की सजा होनी चाहिए थी.

ईटीवी भारत से बातचीत करते आचार्य सत्येंद्र दास.

जानें अयोध्या आतंकी हमले पर कोर्ट का फैसला

  • पांच जुलाई 2005 को अयोध्या में हुए आतंकी हमले के मामले में प्रयागराज की विशेष अदालत ने चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
  • इस आतंकी हमले के एक अन्य आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया है.
  • इस आतंकी हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी. हमला रामजन्मभूमि परिसर में हुआ था.
  • फैसला प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में सुनाया गया.
  • इस मामले की सुनवाई स्पेशल जज SC/ST दिनेश चंद्र ने की.
  • बता दें कि मामले में पांच आरोपी पिछले काफी समय से नैनी सेंट्रल जेल में ही बंद हैं.

फैसले पर क्या बोले आचार्य सत्येंद्र दास

  • अयोध्या आतंकी हमले के इस फैसले पर रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.
  • आचार्य सत्येंद्र दास ने कोर्ट के इस फैसले से संतुष्ट नहीं नजर आए.
  • आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि कोर्ट के आदेश का विरोध नहीं है, लेकिन आरोपियों को सजा कम मिली है.
  • कोर्ट ने पांचों आरोपियों में चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और एक को बरी किया है.
  • इस प्रकार की घटना में आरोपी आजीवन कारावास के पात्र नहीं बल्कि फांसी के पात्र हैं.
Intro:अयोध्या। अयोध्या में 5 जुलाई 2005 के आतंकी हमले में नैनी जेल में बंद आरोपियों में से 4 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा स्पेशल जज ने सुनाई है। ऐसे में आतंकी हमले के आरोपियों पर आए इस फैसले से अयोध्या से श्री राम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने ईटीवी से विशेष बातचीत में कहा कि हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं है। हालांकि कोर्ट के आदेश का विरोध नहीं है। कोर्ट का निर्णय है। लेकिन सजा कम मिली है।


Body:5 जुलाई 2005 को अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में हुए आतंकी विस्फोट पर आए फैसले को लेकर रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दाज़ जी ने ईटीवी से विशेष बातचीत में कहा कि जिस तरह से उन लोगों ने कृत्य किया था उस तरह से तो उनको नष्ट भ्रष्ट कर देना चाहिए था। इतने बम छोड़े थे इतना सब कुछ किया था और पांच आतंकी यहां आए थे। हमारे नौजवानों ने उन पांचों को पकड़ लिया था। उसके जो अन्य सहयोगी थे वह बच गए थे। निकल भागे थे, लेकिन जो पांच पकड़े गए थे उनपर आज जो कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई और एक को बरी किया है। और जो भी कार्रवाई हुआ है यह तो कोर्ट की बात है लेकिन जिस प्रकार की उन्होंने घटनाएं की है। वह केवल आजीवन कारावास के पात्र नहीं है। वह फांसी के पात्र हैं। उनको सीधे फांसी देना चाहिए था और कोर्ट को चाहिए था कि जल्दी से जल्द इसका निस्तारण करें और जिस प्रकार के अपराध है। उसी प्रकार से कोर्ट अपराधी को दंड दे। मेरे हिसाब से कोर्ट को आतंकियों को फांसी की सजा देनी चाहिए थी, लेकिन कोर्ट की बात मान्य है। क्या परिस्थिति देखकर कोर्ट ने आतंकियों को आजीवन कारावास दिया और एक को बरी कर दिया। यह बात तो सिर्फ कोर्ट ही जानता है। हमें इस बात से संतुष्टि नहीं है। लेकिन जो कोर्ट ने निर्णय किया। वास्तविकता में फांसी की सजा होनी चाहिए थी और यह आजीवन कारावास के लायक नहीं था।


Conclusion:आज हुए कोर्ट के फैसले से देर भले ही आतंकियों को सजा मिली, लेकिन अयोध्या का समाज आज भी उस खौफनाक मंजर को भूल नहीं पाया है।
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