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अयोध्या पर फैसले से संत समाज में खुशी, बोले- परमहंस रामचंद्र जी की आत्मा को मिली होगी शांति - अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

आज अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. वहीं कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में संत समाज ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आज महंत परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज की आत्मा को शांति मिली होगी.

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी व्यक्त करते संत
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Published : Nov 9, 2019, 5:56 PM IST

अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या भूमि विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. जजों की पांच सदस्यीय बेंच ने विवादित जमीन पर राम मंदिर और मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन देने का फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कुछ संतों ने अयोध्या में नयाघाट स्थित महंत परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज की समाधि स्थल पर पहुंचकर उन्हें याद किया और फैसले पर खुशी व्यक्त की.

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी व्यक्त करते संत.

संत समाज के लोगों ने कहा कि महंत परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष थे. वह वर्ष 1949 से राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय हुए तथा 1975 में उन्होंने दिगंबर अखाड़े के महंत का पद संभाला. संतों ने कहा कि उनकी तीन अभिलाषाएं थीं, जिसमें राम मंदिर, कृष्ण मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण शामिल है. आज राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने पर काफी खुशी हुई है, इसलिए आज उनकी समाधि स्थल पर आए हैं. महंत परमहंस रामचंद्र दास जी ने अपना पूरा जीवन प्रभु श्रीराम को समर्पित कर दिया. आज इस फैसले के बाद महंत जी की आत्मा को शांति मिली होगी.

कौन थे परमहंस जी महाराज
महंत परमहंस रामचंद्र दास का बचपन का नाम चंद्रेश्वर तिवारी था. वर्ष 1912 में बिहार के छपरा जिला के सिंहनीपुर ग्राम में उनका जन्म हुआ था. 17 वर्ष की उम्र में साधु जीवन में आने के बाद उनका नाम रामचंद्र दास हो गया. श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रामानंदाचार्य के बाद परमहंस जी महाराज को श्रीराम जन्मभूमि न्यास का कार्याध्यक्ष घोषित किया गया. इसके बाद वह राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष भी चुने गए. वर्ष 1949 से राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय हुए और 1975 से उन्होंने दिगम्बर अखाड़े के महंत का पद संभाला. 31 जुलाई 2003 को महंत परमहंस रामचंद्र दास जी पंचतत्व में विलीन हो गए. दरअसल महंत अंतिम समय तक राम मंदिर के लिए लड़ते रहे.

अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या भूमि विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. जजों की पांच सदस्यीय बेंच ने विवादित जमीन पर राम मंदिर और मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन देने का फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कुछ संतों ने अयोध्या में नयाघाट स्थित महंत परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज की समाधि स्थल पर पहुंचकर उन्हें याद किया और फैसले पर खुशी व्यक्त की.

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी व्यक्त करते संत.

संत समाज के लोगों ने कहा कि महंत परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष थे. वह वर्ष 1949 से राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय हुए तथा 1975 में उन्होंने दिगंबर अखाड़े के महंत का पद संभाला. संतों ने कहा कि उनकी तीन अभिलाषाएं थीं, जिसमें राम मंदिर, कृष्ण मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण शामिल है. आज राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने पर काफी खुशी हुई है, इसलिए आज उनकी समाधि स्थल पर आए हैं. महंत परमहंस रामचंद्र दास जी ने अपना पूरा जीवन प्रभु श्रीराम को समर्पित कर दिया. आज इस फैसले के बाद महंत जी की आत्मा को शांति मिली होगी.

कौन थे परमहंस जी महाराज
महंत परमहंस रामचंद्र दास का बचपन का नाम चंद्रेश्वर तिवारी था. वर्ष 1912 में बिहार के छपरा जिला के सिंहनीपुर ग्राम में उनका जन्म हुआ था. 17 वर्ष की उम्र में साधु जीवन में आने के बाद उनका नाम रामचंद्र दास हो गया. श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रामानंदाचार्य के बाद परमहंस जी महाराज को श्रीराम जन्मभूमि न्यास का कार्याध्यक्ष घोषित किया गया. इसके बाद वह राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष भी चुने गए. वर्ष 1949 से राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय हुए और 1975 से उन्होंने दिगम्बर अखाड़े के महंत का पद संभाला. 31 जुलाई 2003 को महंत परमहंस रामचंद्र दास जी पंचतत्व में विलीन हो गए. दरअसल महंत अंतिम समय तक राम मंदिर के लिए लड़ते रहे.

Intro:सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज राम मंदिर व मस्जिद विवाद पर ऐतेहासिक फैसला दिया गया है जिसमें जजों की पांच सदस्यीय बेंच ने विवादित जमीन को राम मंदिर बनाने के आदेश दिए हैं एवं मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन देने का फैसला दिया है। आज अयोध्या में नयाघाट स्थित परमहंस रामचंद्र दास के समाधि स्थल पर श्रद्धालु जन इकट्ठे होकर उन्हें याद करने पहुचे थे बता दें कि महंत परमहंस रामचंद्र दास जी राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष थे। वह सन 1949 से राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय हुए तथा 1975 में उन्होंने दिगंबर अखाड़े के महंत का पद संभाला। बता दें उन्होंने कहा था हमारी तीन ही अभिलाषाएं हैं जिसमें राम मंदिर, कृष्ण मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण शामिल है। जिसमें आज राम मंदिर पर फैसला आने पर।श्रद्धालुओं ने बताया कि हम आज उनके समाधि स्थल पर आए हैं उन्होंने अपना पूरा जीवन राम को समर्पित कर दिया आज इस फैसले से हम बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि आज महंत जी की आत्मा बेहद खुश होगी आज हम बेहद प्रसन्न हैं।




Body:कौन थे परमहंस जी महाराज

परमहंस जी का असली नाम चंद्रेश्वर तिवारी था। उन्होंने 17 वर्ष की आयु में साधु जीवन में आये। श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रामानंदाचार्य के बाद उन्हें श्री राम जन्म भूमि न्यास का कार्याध्यक्ष घोषित किया गया। इसके पश्चात वह राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष भी चुने गए। 31 जुलाई 2003 को पंचतत्व में विलीन हो गए। अंतिम समय तक वह राम मंदिर के लिए लड़ते रहे।


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