अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या भूमि विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. जजों की पांच सदस्यीय बेंच ने विवादित जमीन पर राम मंदिर और मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन देने का फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कुछ संतों ने अयोध्या में नयाघाट स्थित महंत परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज की समाधि स्थल पर पहुंचकर उन्हें याद किया और फैसले पर खुशी व्यक्त की.
संत समाज के लोगों ने कहा कि महंत परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष थे. वह वर्ष 1949 से राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय हुए तथा 1975 में उन्होंने दिगंबर अखाड़े के महंत का पद संभाला. संतों ने कहा कि उनकी तीन अभिलाषाएं थीं, जिसमें राम मंदिर, कृष्ण मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण शामिल है. आज राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने पर काफी खुशी हुई है, इसलिए आज उनकी समाधि स्थल पर आए हैं. महंत परमहंस रामचंद्र दास जी ने अपना पूरा जीवन प्रभु श्रीराम को समर्पित कर दिया. आज इस फैसले के बाद महंत जी की आत्मा को शांति मिली होगी.
कौन थे परमहंस जी महाराज
महंत परमहंस रामचंद्र दास का बचपन का नाम चंद्रेश्वर तिवारी था. वर्ष 1912 में बिहार के छपरा जिला के सिंहनीपुर ग्राम में उनका जन्म हुआ था. 17 वर्ष की उम्र में साधु जीवन में आने के बाद उनका नाम रामचंद्र दास हो गया. श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रामानंदाचार्य के बाद परमहंस जी महाराज को श्रीराम जन्मभूमि न्यास का कार्याध्यक्ष घोषित किया गया. इसके बाद वह राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष भी चुने गए. वर्ष 1949 से राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय हुए और 1975 से उन्होंने दिगम्बर अखाड़े के महंत का पद संभाला. 31 जुलाई 2003 को महंत परमहंस रामचंद्र दास जी पंचतत्व में विलीन हो गए. दरअसल महंत अंतिम समय तक राम मंदिर के लिए लड़ते रहे.