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राम नगरी में एक नवाब ने बनवाई थी अयोध्या की हनुमानगढ़ी, पढ़िए इसके पीछे की कहानी...

राम नगरी अयोध्या (Ramnagari Ayodhya) में प्रसिद्ध सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी की महिमा सबसे निराली है. परंपरा के अनुसार कार्तिक मास में हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) दीपावली के एक दिन पहले हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 8, 2023, 3:40 PM IST

संत अभय रामदास और संत सुभाष दास ने बताया.

अयोध्या: राम नगरी अयोध्या को भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली के रूप में पूरा विश्व जानता है. इस प्राचीन नगरी में लगभग 5000 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं. जिनमें विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं और पूरे साल नकी पूजा अर्चना भी जाती है. लेकिन अयोध्या के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी की महिमा सबसे निराली है. यही वजह है कि रामलला के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु बिना हनुमानगढ़ी में बजरंगबली का दर्शन किए वापस नहीं जाते हैं. आपको यह जानकार हैरानी होगी यह मंदिर किसी हिंदू ने नहीं बल्कि एक नवाब ने बनवाई थी.

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अयोध्या हनुमानगढ़ी.

300 साल पहले बना हनुमानगढ़ी का किला
इस बार 10 नवंबर को हनुमान जयंती अयोध्या में धूमधाम से मनाया जाएगी. जिसकी तैयारियां हनुमानगढ़ी में जोर-जोर से चल रही हैं. इस प्राचीन और पौराणिक पीठ के बारे में मान्यता है कि 300 वर्ष पूर्व इस टीले पर प्रसिद्ध संत अभय रामदास जी रहा करते थे. उस समय नवाब मंसूर अली कुष्ठ रोग से बुरी तरह से प्रभावित थे और उनके प्राण संकट में पड़ गए थे. ऐसे में दरबारियों ने उन्हें बाबा अभय रामदास जी की कीर्ति के बारे में बताया. इसके बाद बाबा अभय रामदास जी द्वारा दी गई भभूत को शरीर पर लगाने से उनका चर्म रोग ठीक हो गया था. इससे प्रसन्न होकर नवाब ने बाबा अभयराम दास के कहने पर इस किले का निर्माण कराया. जिसे आज हनुमानगढ़ी के रूप में लोग जानते हैं. इसके प्रमाण आज भी ताम्र पत्र पर हनुमानगढ़ी के अंदरूनी हिस्से में मौजूद है.

अयोध्या में है प्राचीन हनुमानगढ़ी मंदिरः अयोध्या नगरी के मध्य में एक ऊंचे टीले पर स्थित यह प्राचीन मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है. मंदिर तक पहुंचाने के लिए 50 से अधिक सीढ़ियों को चढ़ने का सफर भी तय करना पड़ता है. पूरे मंदिर परिसर में जगह-जगह पर हनुमान चालीसा का पाठ और हनुमान बाहुक पाठ दीवारों पर अंकित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में दर्शन पूजन करने से कष्ट से मुक्ति और विपत्तियों से छुटकारा मिलता है. इसी वजह से प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में शीश नवाने आते हैं.

कलयुग के देव हैं हनुमान
त्रेता युग में भगवान राम ने गुप्त होने से पूर्व हनुमान जी को अयोध्या की देख रेख की जिम्मेदारी सौंपी थी और तब से हनुमान जी दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके विराजमान हैं. हनुमान जी के दक्षिण मुखी विराजमान होने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि दक्षिण दिशा में ही लंका थी और लंका से पुनः कोई राक्षस आक्रमण न कर सके. इसलिए अयोध्या की सुरक्षा के लिए हनुमान जी लंका की तरफ मुंह करके विराजमान हैं. हनुमान जी को कलयुग का देवता भी कहा जाता है.

धूमधाम से मनाई जाएगी बजरंगबली जयंती
हनुमानगढ़ी के नागा संत सुभाष दास ने बताया कि हनुमान जी की जयंती को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है. अयोध्या की परंपरा में कार्तिक मास में हनुमान जी का जन्म माना गया है. इसलिए दीपावली के एक दिन पहले हनुमान जयंती का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा. इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है. इस आयोजन में शामिल होने के लिए दूर दराज से भक्त श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं.

यह भी पढ़ें- Aaj Ka panchang : आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि, कर सकते हैं ये शुभ काम

यह भी पढ़ें- दिल्ली की तरह गैस चैंबर बन रहे आगरा और मेरठ, आब-ओ-हवा हो रही जहरीली, एहतियात बरतने की सलाह

संत अभय रामदास और संत सुभाष दास ने बताया.

अयोध्या: राम नगरी अयोध्या को भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली के रूप में पूरा विश्व जानता है. इस प्राचीन नगरी में लगभग 5000 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं. जिनमें विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं और पूरे साल नकी पूजा अर्चना भी जाती है. लेकिन अयोध्या के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी की महिमा सबसे निराली है. यही वजह है कि रामलला के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु बिना हनुमानगढ़ी में बजरंगबली का दर्शन किए वापस नहीं जाते हैं. आपको यह जानकार हैरानी होगी यह मंदिर किसी हिंदू ने नहीं बल्कि एक नवाब ने बनवाई थी.

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अयोध्या हनुमानगढ़ी.

300 साल पहले बना हनुमानगढ़ी का किला
इस बार 10 नवंबर को हनुमान जयंती अयोध्या में धूमधाम से मनाया जाएगी. जिसकी तैयारियां हनुमानगढ़ी में जोर-जोर से चल रही हैं. इस प्राचीन और पौराणिक पीठ के बारे में मान्यता है कि 300 वर्ष पूर्व इस टीले पर प्रसिद्ध संत अभय रामदास जी रहा करते थे. उस समय नवाब मंसूर अली कुष्ठ रोग से बुरी तरह से प्रभावित थे और उनके प्राण संकट में पड़ गए थे. ऐसे में दरबारियों ने उन्हें बाबा अभय रामदास जी की कीर्ति के बारे में बताया. इसके बाद बाबा अभय रामदास जी द्वारा दी गई भभूत को शरीर पर लगाने से उनका चर्म रोग ठीक हो गया था. इससे प्रसन्न होकर नवाब ने बाबा अभयराम दास के कहने पर इस किले का निर्माण कराया. जिसे आज हनुमानगढ़ी के रूप में लोग जानते हैं. इसके प्रमाण आज भी ताम्र पत्र पर हनुमानगढ़ी के अंदरूनी हिस्से में मौजूद है.

अयोध्या में है प्राचीन हनुमानगढ़ी मंदिरः अयोध्या नगरी के मध्य में एक ऊंचे टीले पर स्थित यह प्राचीन मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है. मंदिर तक पहुंचाने के लिए 50 से अधिक सीढ़ियों को चढ़ने का सफर भी तय करना पड़ता है. पूरे मंदिर परिसर में जगह-जगह पर हनुमान चालीसा का पाठ और हनुमान बाहुक पाठ दीवारों पर अंकित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में दर्शन पूजन करने से कष्ट से मुक्ति और विपत्तियों से छुटकारा मिलता है. इसी वजह से प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में शीश नवाने आते हैं.

कलयुग के देव हैं हनुमान
त्रेता युग में भगवान राम ने गुप्त होने से पूर्व हनुमान जी को अयोध्या की देख रेख की जिम्मेदारी सौंपी थी और तब से हनुमान जी दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके विराजमान हैं. हनुमान जी के दक्षिण मुखी विराजमान होने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि दक्षिण दिशा में ही लंका थी और लंका से पुनः कोई राक्षस आक्रमण न कर सके. इसलिए अयोध्या की सुरक्षा के लिए हनुमान जी लंका की तरफ मुंह करके विराजमान हैं. हनुमान जी को कलयुग का देवता भी कहा जाता है.

धूमधाम से मनाई जाएगी बजरंगबली जयंती
हनुमानगढ़ी के नागा संत सुभाष दास ने बताया कि हनुमान जी की जयंती को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है. अयोध्या की परंपरा में कार्तिक मास में हनुमान जी का जन्म माना गया है. इसलिए दीपावली के एक दिन पहले हनुमान जयंती का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा. इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है. इस आयोजन में शामिल होने के लिए दूर दराज से भक्त श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं.

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