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बाबरी विध्वंस केस में फांसी की सजा भी स्वीकार: डॉ. रामविलास दास वेदांती

बाबरी विध्वंस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद सीबीआई स्पेशल कोर्ट 30 दिसंबर को फैसला सुनाएगा. पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती ने भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर बनाने के लिए पुराने निर्माण को ढहाने की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने कहा है कि कोर्ट मामले में उन्हें जो भी सजा देगा वह मंजूर होगा.

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रामविलास दास वेदांती.
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Published : Sep 28, 2020, 12:36 PM IST

Updated : Oct 20, 2020, 5:03 PM IST

अयोध्या: बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई स्पेशल कोर्ट 30 दिसंबर फैसला सुनाने वाली है. मामले में आरोपी पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती ने भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर बनाने के लिए पुराने निर्माण को ढहाने की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने कहा है कि कोर्ट मामले में फांसी, उम्रकैद या जो भी सजा देगा वह मंजूर है.

संवाददाता से बातचीत करते रामविलास दास वेदांती.

पूर्व सांसद ने कहा है कि उन्हें 30 सितंबर को कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा गया है. राम मंदिर के संघर्ष में अब तक 25 बार जेल जा चुके हूं. अगर 26वीं बार फिर से जेल जाना पड़ा या फिर फांसी की सजा मिलती है तो उन्हें सहर्ष स्वीकार है.

बता दें कि भगवान राम के जन्म स्थान पर स्थित तत्कालीन विवादित ढांचे को 6 सितंबर 1992 के दिन लाखों कारसेवकों ने मिनटों में ढहा दिया था. राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था. राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या पहुंचे लाखों कारसेवकों को पुलिस के डंडे और गोलियां भी खानी पड़ी थी. कई कारसेवक शहीद हो गए थे. कारसेवकों के साथ बर्बरता को लेकर पूरे देश में आक्रोश का माहौल था. दिसंबर 1992 को राम जन्मभूमि परिसर में स्थित ढांचा गिराने का कारसेवा का एलान होने के बाद कार्य सेवकों ने परिसर पर चढ़ाई कर दिया. अगले कुछ क्षणों में देखते ही देखते ढांचे को ध्वस्त कर दिया.

कोर्ट पहुंचा मामला

मामले को लेकर मुस्लिम पक्षकार कोर्ट पहुंचे. ढांचा गिराए जाने को लेकर याचिका दाखिल की गई. राम मंदिर आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लोगों को आरोपी बनाया गया. लंबे समय तब चली सुनवाई के बाद यह मामला सीबीआई की अदालत में पहुंचा, जहां अंतिम सुनवाई के बाद आगामी 30 सितंबर को फैसला सुनाया जाना है.

राम भक्तों के मन में मंदिर निर्माण की इच्छा थी- वेदांती

बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी और भाजपा के पूर्व सांसद डॉक्टर रामविलास दास वेदांती ने कहा है कि वर्ष 1992 की कार सेवा में वे स्थल पर मौजूद थे. ढांचे को गिराने के लिए किसी बाहर से औजार का प्रयोग नहीं किया गया. पानी की पाइपों को तोड़कर उसी से ढांचे को गिराया गया. कार सेवा के दौरान वे कार सेवकों का उत्साहवर्धन करते रहे.

सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान अदालत के पूछने पर वेदांती है स्पष्ट कर चुके हैं कि उस ढांचे में भगवान श्री रामलला विराजमान थे. वह ढांचा खंडहर हो गया था, जो कभी भी गिरकर रामलला को क्षति पहुंचा सकता था. इसलिए उस मंदिर के खंडहर को तुड़वाया, जिसे तोड़ने वाले देश के लाखों लोग थे. डॉ. वेदांती ने कोर्ट को बताया कि सभी राम भक्तों के मन में मंदिर निर्माण करने की इच्छा थी, जिसकी पूर्ति लोगों ने की. उस स्थान पर कोई मस्जिद नहीं था. उन्होंने कहा कि वर्ष 1968 में जब से वह अयोध्या आए उस स्थान पर किसी को नवाज पढ़ते नहीं देखा.

वेदांती की मौजूदगी में खंडहर तोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि उस मंदिर के खंडहर को उन्होंने तुड़वाया. वेदांती कहते हैं कि मामले में सीबीआई कोर्ट की विशेष अदालत का फैसला 30 तारीख को आने वाला है. बाबरी विध्वंस के समय तक वे 25 बार जेल जा चुके हैं. अगर 26वीं बार जेल, उम्रकैद या फिर फांसी की सजा होती है तो उन्हें सहर्ष स्वीकार है.

अयोध्या: बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई स्पेशल कोर्ट 30 दिसंबर फैसला सुनाने वाली है. मामले में आरोपी पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती ने भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर बनाने के लिए पुराने निर्माण को ढहाने की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने कहा है कि कोर्ट मामले में फांसी, उम्रकैद या जो भी सजा देगा वह मंजूर है.

संवाददाता से बातचीत करते रामविलास दास वेदांती.

पूर्व सांसद ने कहा है कि उन्हें 30 सितंबर को कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा गया है. राम मंदिर के संघर्ष में अब तक 25 बार जेल जा चुके हूं. अगर 26वीं बार फिर से जेल जाना पड़ा या फिर फांसी की सजा मिलती है तो उन्हें सहर्ष स्वीकार है.

बता दें कि भगवान राम के जन्म स्थान पर स्थित तत्कालीन विवादित ढांचे को 6 सितंबर 1992 के दिन लाखों कारसेवकों ने मिनटों में ढहा दिया था. राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था. राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या पहुंचे लाखों कारसेवकों को पुलिस के डंडे और गोलियां भी खानी पड़ी थी. कई कारसेवक शहीद हो गए थे. कारसेवकों के साथ बर्बरता को लेकर पूरे देश में आक्रोश का माहौल था. दिसंबर 1992 को राम जन्मभूमि परिसर में स्थित ढांचा गिराने का कारसेवा का एलान होने के बाद कार्य सेवकों ने परिसर पर चढ़ाई कर दिया. अगले कुछ क्षणों में देखते ही देखते ढांचे को ध्वस्त कर दिया.

कोर्ट पहुंचा मामला

मामले को लेकर मुस्लिम पक्षकार कोर्ट पहुंचे. ढांचा गिराए जाने को लेकर याचिका दाखिल की गई. राम मंदिर आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लोगों को आरोपी बनाया गया. लंबे समय तब चली सुनवाई के बाद यह मामला सीबीआई की अदालत में पहुंचा, जहां अंतिम सुनवाई के बाद आगामी 30 सितंबर को फैसला सुनाया जाना है.

राम भक्तों के मन में मंदिर निर्माण की इच्छा थी- वेदांती

बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी और भाजपा के पूर्व सांसद डॉक्टर रामविलास दास वेदांती ने कहा है कि वर्ष 1992 की कार सेवा में वे स्थल पर मौजूद थे. ढांचे को गिराने के लिए किसी बाहर से औजार का प्रयोग नहीं किया गया. पानी की पाइपों को तोड़कर उसी से ढांचे को गिराया गया. कार सेवा के दौरान वे कार सेवकों का उत्साहवर्धन करते रहे.

सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान अदालत के पूछने पर वेदांती है स्पष्ट कर चुके हैं कि उस ढांचे में भगवान श्री रामलला विराजमान थे. वह ढांचा खंडहर हो गया था, जो कभी भी गिरकर रामलला को क्षति पहुंचा सकता था. इसलिए उस मंदिर के खंडहर को तुड़वाया, जिसे तोड़ने वाले देश के लाखों लोग थे. डॉ. वेदांती ने कोर्ट को बताया कि सभी राम भक्तों के मन में मंदिर निर्माण करने की इच्छा थी, जिसकी पूर्ति लोगों ने की. उस स्थान पर कोई मस्जिद नहीं था. उन्होंने कहा कि वर्ष 1968 में जब से वह अयोध्या आए उस स्थान पर किसी को नवाज पढ़ते नहीं देखा.

वेदांती की मौजूदगी में खंडहर तोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि उस मंदिर के खंडहर को उन्होंने तुड़वाया. वेदांती कहते हैं कि मामले में सीबीआई कोर्ट की विशेष अदालत का फैसला 30 तारीख को आने वाला है. बाबरी विध्वंस के समय तक वे 25 बार जेल जा चुके हैं. अगर 26वीं बार जेल, उम्रकैद या फिर फांसी की सजा होती है तो उन्हें सहर्ष स्वीकार है.

Last Updated : Oct 20, 2020, 5:03 PM IST
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