अयोध्या : वाराणसी जिला कोर्ट की ओर से ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में एएसआई से सर्वे कराने का आदेश दिया गया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद से अयोध्या के संतों में खुशी की लहर है. अयोध्या के प्रमुख सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी राजू दास ने भी खुशी जताई है. कहा कि अयोध्या तो झांकी है, काशी की तैयारी है, मथुरा अभी बाकी है. ज्ञानवापी का वह स्थान भगवान शिव का प्राचीन स्थल है. हिंदुओं की आस्था के केंद्र पर समुदाय विशेष के लोग कुल्ला कर रहे हैं. आखिर यह कैसी गंगा जमुनी तहजीब है.
सामने आएगा स्थल का सच : कोर्ट का आदेश आने के बाद सोशल मीडिया में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पुजारी राजू दास ने कहा कि जिस स्थान पर देश के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हो, उस स्थान पर वर्ग विशेष के लोग जाकर कुल्ला कर रहे हैं. हाथ-पैर धो रहे हैं. आखिर यह कैसी गंगा जमुनी तहजीब है. हम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं. हमें विश्वास है कि इस जांच के बाद अयोध्या की तरह ही काशी के श्रृंगार गौरी स्थल का सच भी सामने आएगा. सावन के इस पवित्र महीने में भोलेनाथ ने आशीर्वाद दे दिया है. जांच में यह स्पष्ट हो जाएगा कि वह स्थान भगवान शिव का पवित्र मंदिर है.
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चार अगस्त को पेश की जाएगी रिपोर्ट : वाराणसी जिला कोर्ट में 14 जुलाई को हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने जिला जज की अदालत में ज्ञानवापी आदि विश्वेश्वर का मूल स्थान बताते हुए इसे लाखों लोगों की भावनाओं से जुड़ा बताया था. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि पिछले कमीशन की कार्रवाई के दौरान परिसर में पश्चिमी दीवार पर जो निशान और अवशेष मिले थे, वह कह रहे थे कि यह पूरा परिसर मंदिर को गिराकर बनाया गया है. मंदिर के भग्नावशेष आज भी अंदर मौजूद हैं. वे स्पष्ट कर रहे हैं, इसलिए इस पूरे परिसर का वैज्ञानिक सर्वे होना अति आवश्यक है. दूसरे पक्ष की तरफ से भी इसे लगातार पुरातन मस्जिद बताते हुए औरंगजेब की तरफ से मंदिर न तोड़े जाने की बात कही थी, जिसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनते हुए फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि श्रृंगार गौरी परिसर में वजू स्थल को छोड़कर परिसर के बाकी पूरे एरिया का वैज्ञानिक सर्वे कराया जाए. चार अगस्त को इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए.
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