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अयोध्या में अधिग्रहित परिसर का विस्तार कर 13 मंदिरों का पुनर्निर्माण करने की तैयारी

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Published : Dec 12, 2020, 10:26 AM IST

सन् 1992 में विवादित ढांचा हटाए जाने के बाद से परिसर के एक दर्जन से ज्यादा मंदिरों का पूजा-पाठ प्रभावित रहा. सुरक्षा कारणों से इसे बार-बार बांध के बावजूद चालू नहीं किया जा सका. अब जबकि भव्य राम मंदिर निर्माण का काम चल रहा है. परिसर के इन 13 मंदिरों का स्थापित देवताओं को दोबारा उनका स्थान दिए जाने की योजना है.

अयोध्या में रामकोट का विकास
अयोध्या में जर्जर मंदिरों का होगा पुनर्निर्माण

अयोध्याः श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ-साथ जन्मभूमि के चारों ओर पूरे राम कोट क्षेत्र की सुंदरता भव्य करने की योजना है. इसके तहत न केवल अधिकृत परिसर का विस्तार उसे समतल व चौरस किया जाएगा बल्कि परिसर के जर्जर हो चुके मंदिरों का मलबा हटाए जाने के बाद उन्हें दोबारा स्थापित कर देवताओं को उनका स्थान दिए जाने की योजना है.

13 मंदिरों में पूजा-पाठ प्रभावित

सन 1992 में विवादित ढांचा हटाए जाने के बाद से परिसर के एक दर्जन से ज्यादा मंदिरों का पूजा-पाठ प्रभावित रहा. सुरक्षा कारणों से इसे बार-बार बांध के बावजूद चालू नहीं किया जा सका. अब जबकि भव्य राम मंदिर निर्माण का काम चल रहा है. परिसर के इन 13 मंदिरों का स्थापित देवताओं को दुबारा उनका स्थान दिए जाने की योजना है.

अयोध्या में मंदिर निर्माण
रामकोट मे स्थित मंदिर
ये हैं वो मंदिर जो बंद होने के बाद हुए जर्जरअधिग्रहित परिसर के 13 जर्जर मंदिर थे जिनका मलबा भी लगभग हटाया जा चुका है. ये बड़े हनुमान मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर, रामजानकी मंदिर, राम खजाना मंदिर, बाराबंकी मंदिर, आनंद भवन, कोहबर भवन , विश्वामित्र आश्रम व मानस भवन, कुबेरेश्वर महादेव मंदिर आदि शामिल हैं. इन मंदिरों को नए रूप में भव्य स्वरूप प्रदान किया जाएगा.

इतना ही नहीं अधिग्रहीत परिसर जो वर्तमान में करीब 70 एकड़ का है, उसे विस्तारित कर करोड़ों राम भक्तों की स्कूल बनाए जाने व करोड़ों रामभक्तों की आकांक्षाओं की दृष्टि से विकसित किए जाने का भी निर्णय लिया गया है और इस पर गुपचुप प्रयास भी चल रहा है. कोशिश है एसे भवनों से जुड़े स्वामी यदि चाहें तो उसे दान कर दें अथवा मुआवजे की रकम लेकर उसे दे दें. लेकिन यह सब काम ट्रस्ट से जुड़े लोग बहुत ही सौहार्दपूर्ण ढंग से अपनी आवश्यकताओं को बताते हुए करना चाह रहे हैं.

कुल मिलाकर बहुप्रतीक्षित राम मंदिर के साथ-साथ पूरे रामकोट क्षेत्र को भव्य व अति सुंदर बनाए जाने की योजना है. इसके साथ ही मंदिर के साथ-साथ पूरा राम जन्मभूमि परिसर वास्तु शास्त्र की दृष्टि से भी विकसित किए जाने की योजना को अंतिम रूप दिया जा चुका है. इसके साथ ही मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग को को चौड़ा व सुंदर मजबूत बनाए जाने की योजना है.

अयोध्याः श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ-साथ जन्मभूमि के चारों ओर पूरे राम कोट क्षेत्र की सुंदरता भव्य करने की योजना है. इसके तहत न केवल अधिकृत परिसर का विस्तार उसे समतल व चौरस किया जाएगा बल्कि परिसर के जर्जर हो चुके मंदिरों का मलबा हटाए जाने के बाद उन्हें दोबारा स्थापित कर देवताओं को उनका स्थान दिए जाने की योजना है.

13 मंदिरों में पूजा-पाठ प्रभावित

सन 1992 में विवादित ढांचा हटाए जाने के बाद से परिसर के एक दर्जन से ज्यादा मंदिरों का पूजा-पाठ प्रभावित रहा. सुरक्षा कारणों से इसे बार-बार बांध के बावजूद चालू नहीं किया जा सका. अब जबकि भव्य राम मंदिर निर्माण का काम चल रहा है. परिसर के इन 13 मंदिरों का स्थापित देवताओं को दुबारा उनका स्थान दिए जाने की योजना है.

अयोध्या में मंदिर निर्माण
रामकोट मे स्थित मंदिर
ये हैं वो मंदिर जो बंद होने के बाद हुए जर्जरअधिग्रहित परिसर के 13 जर्जर मंदिर थे जिनका मलबा भी लगभग हटाया जा चुका है. ये बड़े हनुमान मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर, रामजानकी मंदिर, राम खजाना मंदिर, बाराबंकी मंदिर, आनंद भवन, कोहबर भवन , विश्वामित्र आश्रम व मानस भवन, कुबेरेश्वर महादेव मंदिर आदि शामिल हैं. इन मंदिरों को नए रूप में भव्य स्वरूप प्रदान किया जाएगा.

इतना ही नहीं अधिग्रहीत परिसर जो वर्तमान में करीब 70 एकड़ का है, उसे विस्तारित कर करोड़ों राम भक्तों की स्कूल बनाए जाने व करोड़ों रामभक्तों की आकांक्षाओं की दृष्टि से विकसित किए जाने का भी निर्णय लिया गया है और इस पर गुपचुप प्रयास भी चल रहा है. कोशिश है एसे भवनों से जुड़े स्वामी यदि चाहें तो उसे दान कर दें अथवा मुआवजे की रकम लेकर उसे दे दें. लेकिन यह सब काम ट्रस्ट से जुड़े लोग बहुत ही सौहार्दपूर्ण ढंग से अपनी आवश्यकताओं को बताते हुए करना चाह रहे हैं.

कुल मिलाकर बहुप्रतीक्षित राम मंदिर के साथ-साथ पूरे रामकोट क्षेत्र को भव्य व अति सुंदर बनाए जाने की योजना है. इसके साथ ही मंदिर के साथ-साथ पूरा राम जन्मभूमि परिसर वास्तु शास्त्र की दृष्टि से भी विकसित किए जाने की योजना को अंतिम रूप दिया जा चुका है. इसके साथ ही मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग को को चौड़ा व सुंदर मजबूत बनाए जाने की योजना है.

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