लखनऊ: श्रीराम मंदिर की बुनियाद रखे जाने के बाद अब अयोध्या से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर धन्नीपुर गांव में मस्जिद निर्माण की कवायद भी तेज हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की सरपरस्ती में बने इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नामक ट्रस्ट ने मस्जिद के लिए सरकार से मिली 5 एकड़ जमीन पर निर्माण कार्य योजना पर अमल शुरू कर दिया है. बीते रविवार को इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ट्रस्ट ने अपना आधिकारिक लोगो जारी किया है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा गठित इंडो-इस्लामिक कल्चरल ट्रस्ट ने रविवार को अपना आधिकारिक प्रतीक चिह्न जारी किया है. इस लोगो का उपयोग मस्जिद और अन्य इमारतों के निर्माण कार्य और व्यवस्था के साथ अन्य आधिकारिक कामों में किया जाएगा. सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन ने बताया कि इस लोगो की इंडो इस्लामिक कल्चर में काफी अहमियत है. उन्होंने कहा कि इंडो इस्लामिक आर्किटेक्चर में इस चिह्न का इस्तेमाल हुआ है. मुगलकाल में बादशाह अकबर के दौर में निर्माण हुए हुमायूं के मक़बरे में इस चिह्न का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल पाया जाता है.
इस्लामिक पहलू से जानिए इस प्रतीक चिह्न की खासियत
फाउंडेशन के प्रवक्ता अतहर हुसैन का कहना है कि मस्जिद के साथ ही 5 एकड़ जमीन पर अस्पताल, पुस्तकालय, कम्युनिटी किचन और शोध संस्थान का भी निर्माण होना है. ट्रस्ट ने इसी क्रम में बीते रविवार को अपना आधिकारिक लोगो जारी कर दिया है, जिसमें दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे में इस्तेमाल हुए इंडो इस्लामिक आर्किटेक्चर की झलक मिलती है. हालांकि इसे 'रब उल हिज़्ब' से लिया गया है. इस लोगो का हुमायूं के मकबरे से सिर्फ इतना ताल्लुक है कि वह इसी शैली में बना है.
क्या है रब उल हिज़्ब
अतहर हुसैन ने बताया कि यह एक इस्लामिक प्रतीक 'रब उल हिज़्ब' है. उन्होंने कहा कि अरबी में 'रब' का अर्थ एक चौथाई है. 'हिज़्ब' का मतलब समूह है. उन्होंने कहा कि पवित्र क़िताब कुरान को याद (हिफ़्ज़) करने का यह आसान तरीका है, जिसे 60 'हिज़्बो' में बांटा गया है. अतहर हुसैन ने कहा कि इस्लामिक आर्ट फॉर्म कैलीग्राफी में भी हर अध्याय के अंत में इस प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल किया जाता है.
क्या होगा मस्जिद का नाम
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन का कहना है कि मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन अयोध्या के रौनाही कस्बे के धन्नीपुर में दी गई है. ऐसे में अब धन्नीपुर में ही मस्जिद का निर्माण होगा तो मस्जिद का नाम भी धन्नीपुर गांव के नाम पर ही रखा जा सकता है. हालांकि मस्जिद के नाम का अभी कोई एलान नहीं हुआ है.
3 महीने बाद शुरू हो सकता है निर्माण
अतहर हुसैन ने कहा कि धन्नीपुर में मिली 5 एकड़ जमीन पर अभी धान की फसल लगी हुई है. इस्लाम में हरे पेड़ काटने को मना किया गया है. लिहाजा 2 से 3 महीने बाद फसल कटने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू करवाया जाएगा.
अभी तय नहीं आर्किटेक्ट
ट्रस्ट ने मस्जिद के साथ ही कम्युनिटी किचन, अस्पताल, शोध संस्थान आदि के निर्माण की घोषणा की है. मगर अब तक इसके लिए कोई आर्किटेक्ट तय नहीं किया गया है. फाउंडेशन के नुमाइंदों का कहना है कि 5 एकड़ परिसर में पर्यावरण, अप्रोच मार्ग और जरूरी सहूलियत के हिसाब से ही नक्शा तैयार कराया जाएगा. अभी सिर्फ प्लानिंग के लेवल पर काम चल रहा है. जल्द ही इसका ब्लू प्रिंट तैयार किया जाएगा.
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सदस्य
सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा मस्जिद निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में 15 सदस्य मौजूद होंगे. हालांकि अभी सिर्फ 9 नाम का ही ऐलान किया गया है. ट्रस्ट के अध्यक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़ुफर अहमद फारूकी लंबे वक्त से सुन्नी वक्फ बोर्ड की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं. ट्रस्ट के उपाध्यक्ष के तौर पर गोरखपुर के निवासी अदनान फारूक शाह हैं, जो गोरखपुर में संस्था चलाते हैं. वहीं ट्रस्ट के प्रवक्ता और सचिव लखनऊ निवासी अतहर हुसैन हैं