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Shri Krishna Janmashtami 2023: श्रीराम के अवतार थे भगवान कृष्ण, मथुरा की तरह अयोध्या में जन्माष्टमी की धूम

अयोध्या में कृष्ण जन्मोत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है.पौराणिक धार्मिक ग्रंथो के आधार पर भगवान श्री कृष्ण को राम का ही अवतार माना गया है.जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने भगवान कृष्ण के बारे में दी जानकारी.

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मथुरा की तरह अयोध्या में भी कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 6, 2023, 5:16 PM IST

मथुरा की तरह अयोध्या में भी कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास,जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने दी जानकारी

अयोध्या: सुदर्शन चक्रधारी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव 6 और 7 सितंबर को देश भर में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. हालांकि उदया तिथि को मुख्य मुहूर्त मानकर अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि सहित सभी मंदिरों में 7 सितंबर को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. लेकिन, भगवान कृष्ण के जन्म से पूर्व ही अयोध्या के मंदिरों में श्री कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास बिखरा हुआ है.

पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के आधार पर भगवान श्री कृष्ण को राम का ही अवतार माना गया है. यही वजह है कि मथुरा की तरह ही अयोध्या में भी कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास है और मंदिरों में भजन-कीर्तन और बधाई गीत गाए जा रहे हैं. हिंदू धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक श्रीकृष्णजी का जन्म भद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि को हुआ था. जब सूर्य सिंह राशि में चन्द्रमा वृष राशि में तथा रोहिणी नक्षत्र होती है, तब इनके जन्म के समय का उल्लेख किया गया है. महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने लगभग 36 वर्ष द्वारिका पर राज किया था, जिसका प्रभाव पूरे भूमण्डल पर था.

श्री कृष्णा थे भगवान विष्णु और राम के अवतार: ओम सोम सोमाय नमः यह प्रसंग श्रीमद्भागवत के कृष्ण जन्म खण्ड एवं भविष्य पुराण के उत्तर पर्व के 55वें अध्याय में उल्लेखित है. श्रीकृष्ण पूर्ण रूप से भगवान विष्णु एवं राम के ही अवतार थे, पर इनका जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था. उस समय दुष्ट कंश का शासन था. इसलिए उनका जन्मोत्सव गोपनीय तरीके से ही मनाया जाता था. लेकिन जब भगवान श्रीकृष्ण एवं बलराम ने अपने 14वें वर्ष में मामा कंश का वध किया तब से इनका जन्मोत्सव भव्यता से मनाया जाने लगा. जगद्गुरु रामदिनेशाचार्य मुताबिक यही वजह है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरी अयोध्या में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. अयोध्या के हर मंदिर में श्री कृष्ण जन्मोत्सव से लेकर भगवान कृष्ण की छठी उत्सव तक पूरे सप्ताह भर कार्यक्रम चलते हैं.

इसे भी पढ़े-माल खाने में 20 साल से कैद हैं भगवान श्री कृष्ण और उनके परिजनों की मूर्तियां, जानें वजह

वासुदेव जी थे महर्षि कश्यप और राजा दशरथ के अवतार: पौराणिक मान्यता के अनुसार आज से लगभग 5125 वर्ष पूर्व योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था. उस समय मथुरा के तत्कालीन समय में कंस का शासन था, जो भगवान श्रीकृष्ण के मामा थे. उनकी मां का नाम देवकी एवं पिता का नाम वासुदेव था. माता देवकी स्वयं अदिति की अवतार थी, तथा वासुदेव स्वयं महर्षि कश्यप एवं महाराज दशरथ के अवतार थे. कृष्णजी के अग्रज बलराम जी शेषनाग के अवतार थे तथा नन्द बाबा दक्ष प्रजापति जी के अवतार थे. माता यशोदा दिति एवं कौशल्या की अवतार थी. गर्गऋषि स्वयं बृहस्पति एवं ऋषि वशिष्ठ के अवतार थे. कंश स्वयं कालनेमी राक्षस के अवतार था. मां यशोदा के गर्भ से जो कन्या उत्पन्न हुई थी स्वयं जगदम्बा है. जो विन्ध्याचल में निवास करती है. जगद्गुरु परमहंस आचार्य के मुताबिक भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए इस सृष्टि पर अवतार लिया. कभी बंसी बजाकर प्रेम दिखाया तो कहीं सुदर्शन चलकर पापियों का संहार भी किया है.

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मथुरा की तरह अयोध्या में भी कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास,जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने दी जानकारी

अयोध्या: सुदर्शन चक्रधारी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव 6 और 7 सितंबर को देश भर में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. हालांकि उदया तिथि को मुख्य मुहूर्त मानकर अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि सहित सभी मंदिरों में 7 सितंबर को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. लेकिन, भगवान कृष्ण के जन्म से पूर्व ही अयोध्या के मंदिरों में श्री कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास बिखरा हुआ है.

पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के आधार पर भगवान श्री कृष्ण को राम का ही अवतार माना गया है. यही वजह है कि मथुरा की तरह ही अयोध्या में भी कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास है और मंदिरों में भजन-कीर्तन और बधाई गीत गाए जा रहे हैं. हिंदू धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक श्रीकृष्णजी का जन्म भद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि को हुआ था. जब सूर्य सिंह राशि में चन्द्रमा वृष राशि में तथा रोहिणी नक्षत्र होती है, तब इनके जन्म के समय का उल्लेख किया गया है. महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने लगभग 36 वर्ष द्वारिका पर राज किया था, जिसका प्रभाव पूरे भूमण्डल पर था.

श्री कृष्णा थे भगवान विष्णु और राम के अवतार: ओम सोम सोमाय नमः यह प्रसंग श्रीमद्भागवत के कृष्ण जन्म खण्ड एवं भविष्य पुराण के उत्तर पर्व के 55वें अध्याय में उल्लेखित है. श्रीकृष्ण पूर्ण रूप से भगवान विष्णु एवं राम के ही अवतार थे, पर इनका जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था. उस समय दुष्ट कंश का शासन था. इसलिए उनका जन्मोत्सव गोपनीय तरीके से ही मनाया जाता था. लेकिन जब भगवान श्रीकृष्ण एवं बलराम ने अपने 14वें वर्ष में मामा कंश का वध किया तब से इनका जन्मोत्सव भव्यता से मनाया जाने लगा. जगद्गुरु रामदिनेशाचार्य मुताबिक यही वजह है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरी अयोध्या में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. अयोध्या के हर मंदिर में श्री कृष्ण जन्मोत्सव से लेकर भगवान कृष्ण की छठी उत्सव तक पूरे सप्ताह भर कार्यक्रम चलते हैं.

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वासुदेव जी थे महर्षि कश्यप और राजा दशरथ के अवतार: पौराणिक मान्यता के अनुसार आज से लगभग 5125 वर्ष पूर्व योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था. उस समय मथुरा के तत्कालीन समय में कंस का शासन था, जो भगवान श्रीकृष्ण के मामा थे. उनकी मां का नाम देवकी एवं पिता का नाम वासुदेव था. माता देवकी स्वयं अदिति की अवतार थी, तथा वासुदेव स्वयं महर्षि कश्यप एवं महाराज दशरथ के अवतार थे. कृष्णजी के अग्रज बलराम जी शेषनाग के अवतार थे तथा नन्द बाबा दक्ष प्रजापति जी के अवतार थे. माता यशोदा दिति एवं कौशल्या की अवतार थी. गर्गऋषि स्वयं बृहस्पति एवं ऋषि वशिष्ठ के अवतार थे. कंश स्वयं कालनेमी राक्षस के अवतार था. मां यशोदा के गर्भ से जो कन्या उत्पन्न हुई थी स्वयं जगदम्बा है. जो विन्ध्याचल में निवास करती है. जगद्गुरु परमहंस आचार्य के मुताबिक भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए इस सृष्टि पर अवतार लिया. कभी बंसी बजाकर प्रेम दिखाया तो कहीं सुदर्शन चलकर पापियों का संहार भी किया है.

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