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जानिए कहां है भगवान राम की इकलौती बहन का मंदिर - अयोध्या में शृंगी ऋषि

उत्तर प्रदेश अयोध्या जिले में 30 किलोमीटर की दूरी पर शृंगी ऋषि का आश्रम है, जहां भगवान राम की बहन शांता देवी और शृंगी ऋषि की पूजा की जाती है. मंदिर निर्माण भूमि पूजन के अवसर पर आश्रम को भी आकर्षक तरीके से सजाया गया है.

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शृंगी ऋषि आश्रम.
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Published : Aug 5, 2020, 12:39 AM IST

अयोध्या: बहुत कम लोगों को पता होगा कि भगवान राम के चार भाइयों के साथ एक बहन भी थी. इस बहन के पति ने ही रघुकुल के अस्तित्व को बचाया था. आज जब भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, तो उस महान ऋषि का स्मरण करना जरूरी है, जिसने भगवान राम के जन्म के लिए अपने हजारों वर्षों के तप का त्याग किया था.

शृंगी ऋषि आश्रम.
राजा दशरथ के तीन रानियां होने के बाद भी काफी समय तक कोई पुत्र नहीं पैदा हुआ. भविष्य में राज सिंहासन को संभालने और रघुकुल के अस्तित्व की समाप्ति का खतरा मंडराने लगा. लंबे समय तक संतान उत्पन्न न होने के कारण राजा दशरथ ने पुत्र की कामना को लेकर यज्ञ कराने का निर्णय लिया. राजा दशरथ के राजगुरु महर्षि वशिष्ठ ने बताया कि पुत्र कामेष्ठि वहीं कर सकता है, जिसने 12 वर्षों तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया हो और कठोर तप किया हो. यह बात जाने के बाद राजा दशरथ चिंता में पड़ गए. बाद में पुत्र कामेष्ठी यज्ञ के लिए शृंगी ऋषि को सहमत करने की बात तय हुई.
माना जाता है कि शृंगी ऋषि योग मुद्रा में तप किया करते थे. लंबे समय से तप करने के चलते उन्हें योग मुद्रा से उठाने और उसके बाद उनके क्रोध को सहन करने की क्षमता किसी में नहीं थी. भगवान राम की बहन यानी शृंगी ऋषि की पत्नी शांता देवी को वरदान था कि उन पर क्रोध का प्रभाव नहीं होगा. जिसके चलते भगवान राम की बहन शांता देवी सामने आईं और उन्होंने अपने पति को योग मुद्रा से उठाया. शांता देवी के अनुरोध पर शृंगी ऋषि राजा दशरथ के लिए पुत्र कामेष्ठि यज्ञ कराने के लिए तैयार हुए.
मखौड़ा धाम में हुआ था पुत्र कामेष्ठि यज्ञ

शृंगी आश्रम से महज 5 से 6 किलोमीटर की दूरी पर मखौड़ा धाम स्थित है, जहां पर अश्वमेघ और पुत्रकामेष्ठी यज्ञ संपन्न कराया गया. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस यज्ञ वेदी से एक अलौकिक पुरुष यज्ञ पुरुष उत्पन्न हुआ और दशरथ को स्वर्ण पात्र में प्रसाद प्रदान करके कहा गया कि पत्नियों को यह प्रसाद खिलाकर वह पुत्र प्राप्त कर सकते हैं. राजा दशरथ प्रसन्नता से अपनी रानी कौशल्या को आधा भाग दिया और बचे हुए भाग को अन्य रानियों को दे दिया. माना जाता है कि इस यज्ञ के बाद त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और उनके तीन भाइयों, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ.

आपको बता दें कि शृंगी ऋषि का आश्रम अयोध्या के गोसाईगंज क्षेत्र में स्थित है. यह राम नगरी से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर है. जहां आज भी शांता देवी और शृंगी ऋषि की पूजा की जाती है. भगवान राम के जन्म स्थान पर, जब राम मंदिर बनने जा रहा है तो यहां उत्साह का माहौल है. शृंगी ऋषि आश्रम के पुजारी महेंद्र कुमार गोस्वामी बताते हैं कि यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं. यह प्राचीन तप स्थल है. राम मंदिर भूमि पूजन से पहले इस आश्रम को भी आकर्षक तरीके से सजाया गया है. शाम को यहां अद्भुत नजारा दिखता है.

अयोध्या: बहुत कम लोगों को पता होगा कि भगवान राम के चार भाइयों के साथ एक बहन भी थी. इस बहन के पति ने ही रघुकुल के अस्तित्व को बचाया था. आज जब भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, तो उस महान ऋषि का स्मरण करना जरूरी है, जिसने भगवान राम के जन्म के लिए अपने हजारों वर्षों के तप का त्याग किया था.

शृंगी ऋषि आश्रम.
राजा दशरथ के तीन रानियां होने के बाद भी काफी समय तक कोई पुत्र नहीं पैदा हुआ. भविष्य में राज सिंहासन को संभालने और रघुकुल के अस्तित्व की समाप्ति का खतरा मंडराने लगा. लंबे समय तक संतान उत्पन्न न होने के कारण राजा दशरथ ने पुत्र की कामना को लेकर यज्ञ कराने का निर्णय लिया. राजा दशरथ के राजगुरु महर्षि वशिष्ठ ने बताया कि पुत्र कामेष्ठि वहीं कर सकता है, जिसने 12 वर्षों तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया हो और कठोर तप किया हो. यह बात जाने के बाद राजा दशरथ चिंता में पड़ गए. बाद में पुत्र कामेष्ठी यज्ञ के लिए शृंगी ऋषि को सहमत करने की बात तय हुई.
माना जाता है कि शृंगी ऋषि योग मुद्रा में तप किया करते थे. लंबे समय से तप करने के चलते उन्हें योग मुद्रा से उठाने और उसके बाद उनके क्रोध को सहन करने की क्षमता किसी में नहीं थी. भगवान राम की बहन यानी शृंगी ऋषि की पत्नी शांता देवी को वरदान था कि उन पर क्रोध का प्रभाव नहीं होगा. जिसके चलते भगवान राम की बहन शांता देवी सामने आईं और उन्होंने अपने पति को योग मुद्रा से उठाया. शांता देवी के अनुरोध पर शृंगी ऋषि राजा दशरथ के लिए पुत्र कामेष्ठि यज्ञ कराने के लिए तैयार हुए.
मखौड़ा धाम में हुआ था पुत्र कामेष्ठि यज्ञ

शृंगी आश्रम से महज 5 से 6 किलोमीटर की दूरी पर मखौड़ा धाम स्थित है, जहां पर अश्वमेघ और पुत्रकामेष्ठी यज्ञ संपन्न कराया गया. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस यज्ञ वेदी से एक अलौकिक पुरुष यज्ञ पुरुष उत्पन्न हुआ और दशरथ को स्वर्ण पात्र में प्रसाद प्रदान करके कहा गया कि पत्नियों को यह प्रसाद खिलाकर वह पुत्र प्राप्त कर सकते हैं. राजा दशरथ प्रसन्नता से अपनी रानी कौशल्या को आधा भाग दिया और बचे हुए भाग को अन्य रानियों को दे दिया. माना जाता है कि इस यज्ञ के बाद त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और उनके तीन भाइयों, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ.

आपको बता दें कि शृंगी ऋषि का आश्रम अयोध्या के गोसाईगंज क्षेत्र में स्थित है. यह राम नगरी से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर है. जहां आज भी शांता देवी और शृंगी ऋषि की पूजा की जाती है. भगवान राम के जन्म स्थान पर, जब राम मंदिर बनने जा रहा है तो यहां उत्साह का माहौल है. शृंगी ऋषि आश्रम के पुजारी महेंद्र कुमार गोस्वामी बताते हैं कि यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं. यह प्राचीन तप स्थल है. राम मंदिर भूमि पूजन से पहले इस आश्रम को भी आकर्षक तरीके से सजाया गया है. शाम को यहां अद्भुत नजारा दिखता है.

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