अयोध्या: न्यायालय में बैठकर अपराधियों को उनके किए गए अपराध की सजा देने वाले और निर्दोषों को बाइज्जत रिहा करने का आदेश देने वाले न्यायाधीशों ने भी अयोध्या में चल रही 14 कोसी परिक्रमा में पुण्य कमाया.
अक्षय नवमी तिथि के मौके पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या में चल रही 14 कोसी परिक्रमा में जहां बड़ी संख्या में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं ने श्रद्धालुओं की सेवा के लिए स्टॉल लगाए. वहीं इस बार एक नई परंपरा शुरू करते हुए जिला जज ज्ञान प्रकाश तिवारी ने सेवा कैंप में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया. इस आयोजन में जनपद के कई अन्य न्यायाधीश भी मौजूद रहे.
न्यायाधीशों ने शुरू की एक नई परंपरा
दरअसल, 45 किलोमीटर लंबे 14 कोसी परिक्रमा पथ पर लाखों की संख्या में राम भक्त जय श्रीराम का उद्घोष कर परिक्रमा कर रहे हैं. इस लंबे पथ पर तमाम श्रद्धालु नंगे पांव चलते हुए जख्मी भी हो जाते हैं. वहीं, 24 घंटे तक चलने वाली इस परिक्रमा में श्रद्धालुओं को जलपान और भोजन की भी आवश्यकता होती है. इसके मद्देनजर विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाएं राम भक्तों के लिए सेवा स्टॉल लगाते हैं.
इस बार कोविड-19 प्रोटोकाल के कारण परिक्रमा पथ पर काफी कम संख्या में सहायता शिविर लगे हैं. इसे दृष्टिगत रखते हुए जनपद के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने एक नई परंपरा की शुरुआत की है. जिला जज ज्ञान प्रकाश तिवारी के नेतृत्व में सहादत गंज स्थित जजेस कॉलोनी के पास श्रद्धालुओं के लिए एक सेवा शिविर लगाया, जिसमें श्रद्धालुओं को न्यायाधीशों ने अपने हाथों से हलवा और पूरी का प्रसाद वितरित किया.
जिला जज ज्ञान प्रकाश तिवारी ने बताया कि यह श्रद्धालुओं की भक्ति और आस्था है कि वह प्रत्येक वर्ष इतनी कठिन परिक्रमा करने आते हैं. हम लोगों का प्रयास है कि इन श्रद्धालुओं की सेवा कर अपना धर्म निभाएं. इस मौके पर मौजूद सीजीएम सुनील सिंह ने कहा कि अक्षय नवमी तिथि पर राम नगरी अयोध्या में होने वाली परिक्रमा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए हैं. हम लोगों ने एक सहायता शिविर का आयोजन किया है. इसमें कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए श्रद्धालुओं की सेवा की जा रही है.
कोरोना वायरस के चलते परिक्रमा को अनुमति नहीं
कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस वर्ष अयोध्या में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को परिक्रमा करने की अनुमति नहीं मिली थी, जिसके कारण श्रद्धालुओं की संख्या कम है. 14 कोसी परिक्रमा में अयोध्या के साधु-संत और आम नागरिक ही शामिल हैं. यह परिक्रमा पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ जारी है.
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