अयोध्याः जिले में पुलिस ने डीलरशिप और लोन का झांसा देकर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गैंग के सदस्य को गिरफ्तार किया है. यह गैंग डीलरशिप और लोन का झांसा देकर ठगी करता था.
ये है पूरा मामला
एक शिकायत के आधार पर साइबर क्राइम पुलिस ने एक जालसाज को पकड़ने में सफलता पाई है. यह जालसाज ऐसे गैंग का सदस्य है, जो सरकारी और निजी पेट्रोलियम कंपनियों जैसे इंडियन आयल कार्पोरेशन, इंडेन गैस, लोकप्रिय वेबसाइट नापतोल, बजाज फाइनेंस, कोटेक, अमेजन के फर्जी कागज बनाकर गैस एजेंसी, पेट्रोल पंप की डीलरशिप और लोन का झांसा देकर करोड़ों की ठगी करता है. पुलिस की पूछताछ में पकड़े गए जालसाज ने पूरी वारदात को अंजाम देने की कहानी बयान की तो पुलिस भी चौंक गई.
अयोध्या में ठगे थे 14.50 लाख रुपये
पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले वर्ष 18 सितंबर को राम अजोर यादव निवासी ग्राम बैसिंह पोस्ट दर्शन, नगर थाना कोतवाली, अयोध्या ने ठगी की शिकायत की थी. उन्होंने बताया था कि मेरे वाट्सएप पर एक मैसेज प्राप्त हुआ था, जिसमें इण्डेन गैस एजेंसी, पेट्रोल पंप के लाइसेंस के लिए आवेदन मांगे गए थे. इस मैसेज पर दी गई वेबसाइट इंडेन गैस एजेंसी पर अपनी जानकारी दर्ज की गई. इस वेबसाइट के अधिकारी के रूप में अपराधियों द्वारा भिन्न–भिन्न मद (रजिस्ट्रेशन, सर्टिफिकेट फीस, सिक्योरिटी फीस, एश्योरेन्स फीस, सर्वे आदि) के रूप में 14,43,400/- रुपये फर्जी खातों में जमा करा लिए गए.
इंदौर में साइबर क्राइम पुलिस के हत्थे चढ़ा जालसाज
इस धोखाधड़ी के संबंध में साइबर क्राइम थाना अयोध्या की टीम की ओर से इन्दौर, उज्जैन (मध्य प्रदेश), झारखण्ड सहित अन्य राज्यों में सबूत इकठ्ठा किए गए. जांच के दौरान साइबर अपराध करने वाले गैंग के एक सदस्य सौरभ कुमार सिंह पुत्र अशोक कुमार कौशिक का पता चला. सौरभ कुमार संतकबीर नगर निवासी है, जो फिलहाल मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के थाना कनाड़िया में रहा था. साइबर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसके पास से बरामद मोबाइल में फर्जी आधार कार्ड की कॉपी, सरकारी वेबसाईटों से मिलते जुलते पंजीकृत 10 डोमेन नेम, कई बैकों के खाते, रजिस्टर मोबाइल नंबर और इंटरनेट बैकिंग के यूजर आईडी और पासवर्ड संरक्षित मिले.
लोन दिलाने, नौकरी लगवाने, गैस एजेंसी दिलाने के नाम पर ठगी
पूछताछ में यह पता चला कि सौरभ कुमार सिंह और उसके गैंग के अन्य सदस्य लोगों का रिज्यूम अपनी प्लेसमेंट एजेंसी में इकट्ठा करवाकर उनको Navy, BSF, Railway में चयनित होने की फर्जी कॉल करते थे. फिर सीट कन्फर्म करवाने हेतु खाते में पैसा जमा करने को कहते थे. इसी दौरान उनके Resume एवं बैंक खाते में अंकित मोबाइल नंबर पर भेजा गया ओटीपी पूछकर उनके खाते में जमा धनराशि को निकाल लेते थे. ठगी का सिलसिला यहीं नहीं रुकता था. इसके बाद गूगल पर एड्वरटाईजमेंट, प्रमोशनल मैसेज और शॉर्ट वीडियो बनाकर ऐसे लोगों को टारगेट किया जाता था, जिनका किसी कारणवश बैंको द्वारा लोन पास नहीं हो सका हो. उनको बताया जाता था कि उनका सिविल स्कोर ठीक नहीं है. इस कारण उनका लोन पास नहीं हो सका है. सिविल स्कोर ठीक करवाने के नाम पर उनके बैंक खातों की डिटेल ले ली जाती थी और उनके बैंक खातों को गैंग से सदस्य आपरेट करते थे. उसमें ठगी का पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता था और बाद में एटीएम आदि के माध्यम से उस धनराशि को निकाल लिया जाता था .