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अब विदेशों में रहने वाले राम भक्त भी मंदिर निर्माण में कर सकेंगे आर्थिक सहयोग

अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए देश भर से राम भक्त आर्थिक सहयोग कर रहे हैं, लेकिन अब विदेश में रह रहे राम भक्त भी मंदिर निर्माण में अपना सहयोग दे सकते हैं. इसके लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने विदेशों से आर्थिक सहयोग लेने के लिए 'फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट' के तहत गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी है. इसके लिए पत्र भी लिखा जा चुका है.

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Published : Sep 18, 2020, 1:09 PM IST

विदेश में रहने वाले राम भक्त कर सकेंगे आर्थिक सहयोग
विदेश में रहने वाले राम भक्त कर सकेंगे आर्थिक सहयोग

अयोध्या: राम नगरी में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए जहां देशभर से राम भक्त अपना आर्थिक सहयोग दे रहे हैं तो वहीं विदेशों में रहने वाले राम भक्त भी इस धार्मिक कार्य में अपना आर्थिक सहयोग दे सकेंगे. इसी कड़ी में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने विदेशों से आर्थिक सहयोग लेने के लिए 'फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट' के तहत गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी है. इसके लिए गृह मंत्रालय को पत्र लिखा जा चुका है.

विदेश में रहने वाले भक्त भी कर सकेंगे आर्थिक सहायता
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीते 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के बाद अभी तक लगभग 70 करोड़ का चंदा आ चुका है. यह चंदा चेक, नकद, ऑनलाइन ट्रांसफर सहित सोने-चांदी के आभूषण और सोने-चांदी की ईंट के जरिए दिया गया है. जिसे राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के खाते में जमा करा दिया गया है. सबसे ज्यादा चंदा ट्रस्ट के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए आया है.

अभी तक जहां देश में रहने वाले राम भक्त ट्रस्ट को अपना आर्थिक सहयोग दे रहे थे, वहीं विदेशों में रहने वाले एनआरआई राम भक्त भी चंदा देने के लिए ट्रस्ट के अधिकृत फोन नंबर पर लगातार फोन कर रहे हैं, लेकिन समस्या यही है कि अभी ट्रस्ट विदेशों में रहने वाले एनआरआई से चंदा नहीं ले सकता. यही कारण है कि ट्रस्ट ने गृह मंत्रालय से 'फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट' के तहत इजाजत मांगी है.

ट्रस्ट ने FCRA के तहत मांगी अनुमति
बता दें कि अगर भारत में रहने वाले किसी भी संस्था एनजीओ या व्यक्ति को विदेश से किसी भी आर्थिक मदद में चंदा लेना है तो उसे 'फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट(FCRA)' यानी विदेशी सहयोग मिनिमम अधिनियम के नियमों का पालन करना होता है. पहले एफसीआरए 1976 को लागू किया गया था, लेकिन साल 2010 में नया फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 2010 आ गया है और 1 मई से लागू भी हो गया है. राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसी कानून का पालन करते हुए गृह मंत्रालय से विदेशों से चंदा लेने के लिए अनुमति मांगी है.

अयोध्या: राम नगरी में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए जहां देशभर से राम भक्त अपना आर्थिक सहयोग दे रहे हैं तो वहीं विदेशों में रहने वाले राम भक्त भी इस धार्मिक कार्य में अपना आर्थिक सहयोग दे सकेंगे. इसी कड़ी में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने विदेशों से आर्थिक सहयोग लेने के लिए 'फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट' के तहत गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी है. इसके लिए गृह मंत्रालय को पत्र लिखा जा चुका है.

विदेश में रहने वाले भक्त भी कर सकेंगे आर्थिक सहायता
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीते 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के बाद अभी तक लगभग 70 करोड़ का चंदा आ चुका है. यह चंदा चेक, नकद, ऑनलाइन ट्रांसफर सहित सोने-चांदी के आभूषण और सोने-चांदी की ईंट के जरिए दिया गया है. जिसे राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के खाते में जमा करा दिया गया है. सबसे ज्यादा चंदा ट्रस्ट के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए आया है.

अभी तक जहां देश में रहने वाले राम भक्त ट्रस्ट को अपना आर्थिक सहयोग दे रहे थे, वहीं विदेशों में रहने वाले एनआरआई राम भक्त भी चंदा देने के लिए ट्रस्ट के अधिकृत फोन नंबर पर लगातार फोन कर रहे हैं, लेकिन समस्या यही है कि अभी ट्रस्ट विदेशों में रहने वाले एनआरआई से चंदा नहीं ले सकता. यही कारण है कि ट्रस्ट ने गृह मंत्रालय से 'फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट' के तहत इजाजत मांगी है.

ट्रस्ट ने FCRA के तहत मांगी अनुमति
बता दें कि अगर भारत में रहने वाले किसी भी संस्था एनजीओ या व्यक्ति को विदेश से किसी भी आर्थिक मदद में चंदा लेना है तो उसे 'फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट(FCRA)' यानी विदेशी सहयोग मिनिमम अधिनियम के नियमों का पालन करना होता है. पहले एफसीआरए 1976 को लागू किया गया था, लेकिन साल 2010 में नया फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 2010 आ गया है और 1 मई से लागू भी हो गया है. राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसी कानून का पालन करते हुए गृह मंत्रालय से विदेशों से चंदा लेने के लिए अनुमति मांगी है.

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