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अयोध्या: दीपोत्सव में चुनिंदा कुम्हारों को मिला दिया बनाने का मौका, बाकी खस्ताहाल

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Published : Oct 14, 2019, 7:58 AM IST

अयोध्या जिले में दीपोत्सव में कुम्हार समाज के परिवारों को बड़ी संख्या में मिट्टी के दिये बनाने का ऑर्डर मिलना उनके लिए बड़ी बात है. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें पिछले तीन वर्षों में दीपोत्सव के दिये बनाने का एक भी ऑर्डर नहीं मिला है.

दीपोत्सव में चुनिंदा कुम्हारों को मिला दिया बनाने का मौका.

अयोध्या: राम नगरी में दीपोत्सव कुम्हार समाज के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. आज के समय में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले चॉक से नई पीढ़ी का भरोसा उठ चुका है. ऐसे में कुम्हार समाज के परिवारों को बड़ी संख्या में मिट्टी के दिये बनाने का ऑर्डर मिलना उनके लिए बड़ी बात है. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें पिछले तीन वर्षों में दीपोत्सव के दिये बनाने का एक भी ऑर्डर नहीं मिला है.

दीपोत्सव में चुनिंदा कुम्हारों को मिला दिया बनाने का मौका.
दीपोत्सव में चुनिंदा कुम्हारों को मिला दिया बनाने का मौकाजब ईटीवी भारत की टीम फैजाबाद शहर के बेगमगंज मकबरा और लालबाग मोहल्ले में पहुंची तो स्थिति निराश करने वाली दिखी. यहां हर बार की तरह कुम्हार समाज के लोगों का चॉक बंद था. दीपावली का पर्व आने में अब लंबा समय नहीं है. कुछ लोग घरों में मिट्टी के दिए सप्लाई करने के लिए काम करते दिखे. ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं दिखा, जिसे कोई बड़ा ऑर्डर मिला हो और वह उसे पूरा करने में व्यस्त हो.

30 से अधिक कुम्हार समाज के लोग रहते हैं
आपको बता दें कि इस क्षेत्र में 30 से अधिक कुम्हार समाज के लोग रहते हैं, जिनमें से किसी को भी दीपोत्सव के दिए बनाने का आर्डर नहीं मिला है. यह स्थिति शहर की है. जब टीम ने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले दो बार से उनको दीया बनाने का ऑर्डर नहीं दिया गया था. इस बार जब उनसे संपर्क किया गया तो समय इतना कम था कि वह आर्डर पूरा नहीं किया जा सकता था, जिसके चलते उन्हें मिट्टी के दीए बनाने का ऑर्डर नहीं दिया गया.

समाज की उपेक्षा कर रही सरकार
पिछले दो वर्ष से अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है. हर वर्ष होने वाले इस आयोजन में सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर देती है. वहीं स्थानीय कुम्हार समाज के लोगों को मिट्टी के बर्तन बनाने का भी मौका नहीं दिया जाता. ईटीवी भारत के साथ अपने दर्द बयां करते हुए फैजाबाद की कुम्हार टॉलर निवासी डब्बू प्रजापति कहते हैं कि अयोध्या में दीपोत्सव उनके लिए गौरव की बात है, लेकिन जब शासन-प्रशासन उनके साथ भेदभाव करता है तो ठेस पहुंचती है. वहीं सदन लाल प्रजापति का कहना है कि दिये का ऑर्डर उन्हें न देकर सरकार स्थानीय कुम्हार समाज की उपेक्षा कर रही है.

133 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं पर किया जा रहा काम
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अयोध्या में 133 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है. वहीं इस जुड़वा शहर के आमजन को इस आयोजन से कितना लाभ हो रहा है, यह बता पाना मुश्किल है. वर्षों से मिट्टी के बर्तन बनाने का काम कर रहे कुम्हार समाज के लोगों का व्यवसाय अब चौपट हो चुका है. प्लास्टिक और साइबर के बर्तनों के आगे मिट्टी के बर्तनों की मांग बेहद कम हो गई है. ऐसे में अयोध्या दीपोत्सव के मिट्टी के बर्तनों का ऑर्डर कुछ चुनिंदा लोगों को देकर सरकार स्थानीय कुम्हार समाज के लोगों की अनदेखी कर रही है.

आपको बता दें कि मिट्टी के बर्तन बनाने का व्यवसाय कभी समाज में प्रमुख व्यवसाय के रूप में स्थापित था, लेकिन बढ़ती टेक्नोलॉजी के दौर में अब इस व्यवसाय की हालत यह है कि कुम्हार समाज आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए इस समाज के अधिकतर लोग अब अपना पुश्तैनी व्यवसाय छोड़कर मजदूरी करने को मजबूर हैं.

13 धार्मिक स्थलों पर किया जाएगा दीपदान
अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं. दीपोत्सव के दो दिन पहले 11 स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होना है. अयोध्या के कुल 13 धार्मिक स्थलों पर भी दीपदान किया जाएगा. इन सभी स्थलों पर 5001- 5001 दीप जलाए जाएंगे. वहीं राम की पैड़ी पर 3 लाख 21 हजार दिये जलाने का कार्यक्रम प्रस्तावित है. इसके लिए आशिफबाग और जय सिंहपुर गांव के 40 परिवारों को चार लाख दीये बनाने का ऑर्डर मिला है. यह ऑर्डर उन्हें 24 अक्टूबर तक पूरा करना है. वहीं फैजाबाद के करीब 30 से अधिक परिवार पिछले तीन वर्षों से दीपोत्सव में दीये के ऑर्डर की प्रतीक्षा में रहते हैं, लेकिन अंत में उन्हें निराशा हाथ लगती है.

अयोध्या: राम नगरी में दीपोत्सव कुम्हार समाज के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. आज के समय में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले चॉक से नई पीढ़ी का भरोसा उठ चुका है. ऐसे में कुम्हार समाज के परिवारों को बड़ी संख्या में मिट्टी के दिये बनाने का ऑर्डर मिलना उनके लिए बड़ी बात है. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें पिछले तीन वर्षों में दीपोत्सव के दिये बनाने का एक भी ऑर्डर नहीं मिला है.

दीपोत्सव में चुनिंदा कुम्हारों को मिला दिया बनाने का मौका.
दीपोत्सव में चुनिंदा कुम्हारों को मिला दिया बनाने का मौकाजब ईटीवी भारत की टीम फैजाबाद शहर के बेगमगंज मकबरा और लालबाग मोहल्ले में पहुंची तो स्थिति निराश करने वाली दिखी. यहां हर बार की तरह कुम्हार समाज के लोगों का चॉक बंद था. दीपावली का पर्व आने में अब लंबा समय नहीं है. कुछ लोग घरों में मिट्टी के दिए सप्लाई करने के लिए काम करते दिखे. ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं दिखा, जिसे कोई बड़ा ऑर्डर मिला हो और वह उसे पूरा करने में व्यस्त हो.

30 से अधिक कुम्हार समाज के लोग रहते हैं
आपको बता दें कि इस क्षेत्र में 30 से अधिक कुम्हार समाज के लोग रहते हैं, जिनमें से किसी को भी दीपोत्सव के दिए बनाने का आर्डर नहीं मिला है. यह स्थिति शहर की है. जब टीम ने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले दो बार से उनको दीया बनाने का ऑर्डर नहीं दिया गया था. इस बार जब उनसे संपर्क किया गया तो समय इतना कम था कि वह आर्डर पूरा नहीं किया जा सकता था, जिसके चलते उन्हें मिट्टी के दीए बनाने का ऑर्डर नहीं दिया गया.

समाज की उपेक्षा कर रही सरकार
पिछले दो वर्ष से अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है. हर वर्ष होने वाले इस आयोजन में सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर देती है. वहीं स्थानीय कुम्हार समाज के लोगों को मिट्टी के बर्तन बनाने का भी मौका नहीं दिया जाता. ईटीवी भारत के साथ अपने दर्द बयां करते हुए फैजाबाद की कुम्हार टॉलर निवासी डब्बू प्रजापति कहते हैं कि अयोध्या में दीपोत्सव उनके लिए गौरव की बात है, लेकिन जब शासन-प्रशासन उनके साथ भेदभाव करता है तो ठेस पहुंचती है. वहीं सदन लाल प्रजापति का कहना है कि दिये का ऑर्डर उन्हें न देकर सरकार स्थानीय कुम्हार समाज की उपेक्षा कर रही है.

133 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं पर किया जा रहा काम
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अयोध्या में 133 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है. वहीं इस जुड़वा शहर के आमजन को इस आयोजन से कितना लाभ हो रहा है, यह बता पाना मुश्किल है. वर्षों से मिट्टी के बर्तन बनाने का काम कर रहे कुम्हार समाज के लोगों का व्यवसाय अब चौपट हो चुका है. प्लास्टिक और साइबर के बर्तनों के आगे मिट्टी के बर्तनों की मांग बेहद कम हो गई है. ऐसे में अयोध्या दीपोत्सव के मिट्टी के बर्तनों का ऑर्डर कुछ चुनिंदा लोगों को देकर सरकार स्थानीय कुम्हार समाज के लोगों की अनदेखी कर रही है.

आपको बता दें कि मिट्टी के बर्तन बनाने का व्यवसाय कभी समाज में प्रमुख व्यवसाय के रूप में स्थापित था, लेकिन बढ़ती टेक्नोलॉजी के दौर में अब इस व्यवसाय की हालत यह है कि कुम्हार समाज आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए इस समाज के अधिकतर लोग अब अपना पुश्तैनी व्यवसाय छोड़कर मजदूरी करने को मजबूर हैं.

13 धार्मिक स्थलों पर किया जाएगा दीपदान
अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं. दीपोत्सव के दो दिन पहले 11 स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होना है. अयोध्या के कुल 13 धार्मिक स्थलों पर भी दीपदान किया जाएगा. इन सभी स्थलों पर 5001- 5001 दीप जलाए जाएंगे. वहीं राम की पैड़ी पर 3 लाख 21 हजार दिये जलाने का कार्यक्रम प्रस्तावित है. इसके लिए आशिफबाग और जय सिंहपुर गांव के 40 परिवारों को चार लाख दीये बनाने का ऑर्डर मिला है. यह ऑर्डर उन्हें 24 अक्टूबर तक पूरा करना है. वहीं फैजाबाद के करीब 30 से अधिक परिवार पिछले तीन वर्षों से दीपोत्सव में दीये के ऑर्डर की प्रतीक्षा में रहते हैं, लेकिन अंत में उन्हें निराशा हाथ लगती है.

Intro:अयोध्या: राम नगरी में दीपोत्सव कुम्हार समाज के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. आज के समय में मिट्टी बर्तन बनाने वाले चॉक से नई पीढ़ी का भरोसा उठ चुका है. ऐसे में कुम्हार समाज के परिवारों को बड़ी संख्या में मिट्टी के दिए बनाने का ऑर्डर मिलना उनके लिए बड़ी बात है. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें पिछले तीन वर्षों में दीपोत्सव के दिए बनाने का एक भी ऑर्डर नहीं मिला है.





Body:जब ईटीवी भारत की टीम फैजाबाद शहर के बेगमगंज मकबरा और लालबाग मोहल्ले में पहुंची तो इसकी निराश करने वाली दिखी. यहां हर बार की तरह कुम्हार समाज से लोग का चॉक बंद था दीपावली का पर्व हनी में लंबा समय नहीं है. कुछ लोग घरों में मिट्टी के दिए सप्लाई करने के लिए काम करते दिखे. ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं दिखा, जिसे कोई बड़ा ऑर्डर मिला हो और वह उसे पूरा करने की में व्यस्त हो.

आपको बता दें कि इस क्षेत्र में 30 से अधिक कुम्हार समाज के लोग रहते हैं, जिनमें से किसी को भी दीपोत्सव के दिए बनाने का आर्डर नहीं मिला है. यह स्थिति शहर की है. जब टीम ने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले दो बार से उनको दीया बनाने का ऑर्डर नहीं दिया गया था. इस बार जब उनसे संपर्क किया गया तो समय इतना कम था कि वह आर्डर पूरा नहीं किया जा सकता था, जिसके चलते उन्हें मिट्टी के दीए बनाने का ऑर्डर नहीं दिया गया.

पिछले दो वर्ष से अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है. हर वर्ष होने वाले इस आयोजन में सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर देती है. वहीं स्थानीय कुम्हार समाज के लोगों को मिट्टी की बर्तन बनाने का भी मौका नहीं दिया जाता. etv भारत के साथ अपने दर्द बयां करते हुए फैजाबाद की कुमार टॉलर निवासी डब्बू प्रजापति कहते हैं अयोध्या में दीपोत्सव उनके लिए गौरव की बात है लेकिन जब शासन और प्रशासन उनके साथ भेदभाव करता है तो ठेस पहुंचती है. वही सदन लाल प्रजापति का कहना है कि दिए का ऑर्डर उन्हें ना देकर सरकार स्थानीय कुम्हार समाज की उपेक्षा कर रही है.

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अयोध्या में 133 करोड़ रुपए की विकास योजनाओं कार्य किया जा रहा है. वहीं इस जुड़वा शहर की आम जन को इस आयोजन से कितना लाभ हो रहा है, यह अच्छा पाना मुश्किल है. वर्षों से मिट्टी क के बर्तन बनाने का काम कर रहे कुम्हार समाज के लोगों का व्यवसाय अब चौपट हो चुका है. प्लास्टिक और साइबर की बर्तनों के आगे मिट्टी के बर्तनों की मांग बेहद कम हो गई है. ऐसे में अयोध्या दीपोत्सव के मिट्टी के बर्तनों का आर्डर कुछ चुनिंदा लोगों को देकर सरकार स्थानीय कुमार समाज के लोग की अनदेखी कर रही है.

आपको बता दें कि मिट्टी के बर्तन बनाने का व्यवसाय कभी समाज में प्रमुख व्यवसाय के रूप में स्थापित था. लेकिन बढ़ती टेक्नोलॉजी के दौर में अब इस व्यवसाय की हालत यह है कि कुम्हार समाज आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए इस समाज के अधिकतर लोग अब अपना पुश्तैनी व्यवसाय छोड़कर मजदूरी करने को मजबूर हैं.






Conclusion:अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर है. दीपोत्सव के 2 दिन पहले 11 स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होना है. अयोध्या के कुल 13 धार्मिक स्थलों पर भी दीपदान किया जाएगा. इन सभी स्थलों पर 5001- 5001 दीप जलाए जाएंगे. वहीं राम की पैड़ी पर 3 लाख 21 हजार दिए जलाने का कार्यक्रम प्रस्तावित है. इसके लिए आशिफबाग और जय सिंहपुर गांव के 40 परिवारों को 4 लाख दीये बनाने का आर्डर मिला है. यह आर्डर उन्हें 24 अक्टूबर तक पूरा करना है. वहीं फैजाबाद के करीब 30 से अधिक परिवार पिछले तीन वर्षों से दीपोत्सव में दीये के ऑर्डर की प्रतीक्षा में रहते हैं, लेकिन अंत में उन्हें निराशा हाथ लगती है.

बाइट- स्थानीय कुम्हार समाज के लोग

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