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अयोध्या: तीस साल से अब तक नहीं हुआ गन्ना भुगतान, भूख हड़ताल पर बैठा अन्नदाता

उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में तीस साल पहले का गन्ना भुगतान अब तक न होने से नाराज किसान खेत में ही धरने पर बैठ गया है. करीब 14 दिन तक धरने के बाद भी किसी अधिकारी द्वारा किसान का हाल न जानने के बाद अब किसान ने भूख हड़ताल करने का ऐलान किया है.

भूख हड़ताल पर बैठा किसान
भूख हड़ताल पर बैठा किसान
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Published : Nov 4, 2020, 2:18 PM IST

अयोध्या: बीकापुर तहसील क्षेत्र में गन्ने का बकाया भुगतान न मिलने से आक्रोशित एक वृद्ध किसान अपने खेत पर अनशन कर रहा है. किसान की समस्या के निराकरण के लिए डीएम ने जिला गन्ना अधिकारी को निर्देश दिए हैं. इसके बाजवजूद अब तक वृद्ध की अब सुध नहीं ली गई. अब किसान ने 3 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठने का निर्णय है. वृद्ध किसान ने चेतावनी दी है कि अगर समस्या का समाधान नहीं होता है और उसकी मृत्यु हो जाएगी तो इसके जिम्मेदार गन्ना अधिकारी और जिलाधिकारी होंगे.

भूख हड़ताल पर बैठा किसान.

चार ट्रॉली गन्ने का भुगतान बकाया

गन्ना मूल्य भुगतान की यह समस्या केएम सुगर मिल के गन्ना पेराई वर्ष 1990-91 की है. जब विकासखंड क्षेत्र बीकापुर स्थित दोहरी पातूपुर गांव के रहने वाले गन्ना किसान रामतेज वर्मा के पिता त्रिवेणी राम वर्मा के नाम से केएम सुगर मिल मसौधा को अपना गन्ना बेचा था. किसान के 4 ट्राली गन्ने का भुगतान आज करीब 30 वर्ष बाद भी मिल की ओर से नहीं किया गया.

गन्ना समिति और मिल के अधिकारियों ने नहीं सुनी समस्या

पीड़ित किसान मिल और गन्ना समिति के समक्ष अपनी समस्याएं उठाते-उठाते वृद्ध हो गया, लेकिन समाधान अब तक नहीं हो पाया. थक हार कर अब किसान रामतेज वर्मा अपने खेत में ही धरने पर बैठ गए हैं. रामतेज का कहना है कि कोरोना काल है ऐसे में समिति, मिल या फिर किसी प्रशासनिक कार्यालय के बाहर धरना देना उचित नहीं है. वह नियमों का पालन करते हुए अपनी मांग की पूर्ति के लिए अपने खेत में धरने पर बैठे हैं.

किसान रामतेज वर्मा का कहना है कि उनके पिता त्रिवेणी वर्मा के नाम पर वर्ष 1990-91 में गन्ना सहकारी समिति मोती नगर मसौधा द्वारा गन्ना आपूर्ति किया गया था. 30 वर्ष बीत जाने के बावजूद चार ट्रॉली गन्ने का पैसा अभी तक नहीं मिला है. इसकी शिकायत कई बार वरिष्ठ अधिकारियों से की गई. इसके बावजूद भुगतान नहीं हो पाया. मजबूर होकर उन्होंने अब अपने खेत में बैठकर विरोध शुरू कर दिया है. रामतेज ने बताया कि जिले के आला अधिकारियों से फरियाद करने के अलावा वह लखनऊ में मुख्यमंत्री जनता दरबार में भी पेश हो चुके हैं, इसके बावजूद शासन और प्रशासन ने मामले का संज्ञान नहीं लिया.

भूख हड़ताल पर बैठने का लिया निर्णय

14 दिन तक अनशन पर बैठने के बाद वृद्ध रामतेज वर्मा का हाल जानने कोई भी वरिष्ठ अधिकारी नहीं पहुंचा. अब किसान ने अपने खेत में भूख हड़ताल पर बैठने का निर्णय लिया है. रामतेज वर्मा का कहना है कि 20 अक्टूबर से वह अपने खेत पर धरना दे रह हैं. अब तक किसी ने उनकी सुध नहीं ली है. जब तक धरना स्थल पर जिला गन्ना अधिकारी और जिलाधिकारी नहीं पहुंचेंगे और समस्या का समाधान नहीं होगा तब तक विरोध जारी रहेगा. रामतेज ने कहा कि इस दौरान अगर उन्हें कुछ भी होता है तो उसके जिम्मेदार गन्ना समिति के अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी होंगे.

वहीं पूरे मामले पर जिलाधिकारी का कहना है कि गन्ना मूल्य के भुगतान की यह शिकायत काफी पुरानी है. रामतेज वर्मा का कहना है कि उन्होंने 30 वर्ष पहले गन्ना समिति के माध्यम से केएम सुगर मिल को गन्ना सप्लाई किया था. इस संबंध में जिला गन्ना अधिकारी को निर्देशित किया गया है. प्रकरण बहुत पुराना है. गन्ना सप्लाई और भुगतान से संबंधित अभिलेखों की जांच करवाकर नियमानुसार समस्या का समाधान किया जाएगा.

अयोध्या: बीकापुर तहसील क्षेत्र में गन्ने का बकाया भुगतान न मिलने से आक्रोशित एक वृद्ध किसान अपने खेत पर अनशन कर रहा है. किसान की समस्या के निराकरण के लिए डीएम ने जिला गन्ना अधिकारी को निर्देश दिए हैं. इसके बाजवजूद अब तक वृद्ध की अब सुध नहीं ली गई. अब किसान ने 3 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठने का निर्णय है. वृद्ध किसान ने चेतावनी दी है कि अगर समस्या का समाधान नहीं होता है और उसकी मृत्यु हो जाएगी तो इसके जिम्मेदार गन्ना अधिकारी और जिलाधिकारी होंगे.

भूख हड़ताल पर बैठा किसान.

चार ट्रॉली गन्ने का भुगतान बकाया

गन्ना मूल्य भुगतान की यह समस्या केएम सुगर मिल के गन्ना पेराई वर्ष 1990-91 की है. जब विकासखंड क्षेत्र बीकापुर स्थित दोहरी पातूपुर गांव के रहने वाले गन्ना किसान रामतेज वर्मा के पिता त्रिवेणी राम वर्मा के नाम से केएम सुगर मिल मसौधा को अपना गन्ना बेचा था. किसान के 4 ट्राली गन्ने का भुगतान आज करीब 30 वर्ष बाद भी मिल की ओर से नहीं किया गया.

गन्ना समिति और मिल के अधिकारियों ने नहीं सुनी समस्या

पीड़ित किसान मिल और गन्ना समिति के समक्ष अपनी समस्याएं उठाते-उठाते वृद्ध हो गया, लेकिन समाधान अब तक नहीं हो पाया. थक हार कर अब किसान रामतेज वर्मा अपने खेत में ही धरने पर बैठ गए हैं. रामतेज का कहना है कि कोरोना काल है ऐसे में समिति, मिल या फिर किसी प्रशासनिक कार्यालय के बाहर धरना देना उचित नहीं है. वह नियमों का पालन करते हुए अपनी मांग की पूर्ति के लिए अपने खेत में धरने पर बैठे हैं.

किसान रामतेज वर्मा का कहना है कि उनके पिता त्रिवेणी वर्मा के नाम पर वर्ष 1990-91 में गन्ना सहकारी समिति मोती नगर मसौधा द्वारा गन्ना आपूर्ति किया गया था. 30 वर्ष बीत जाने के बावजूद चार ट्रॉली गन्ने का पैसा अभी तक नहीं मिला है. इसकी शिकायत कई बार वरिष्ठ अधिकारियों से की गई. इसके बावजूद भुगतान नहीं हो पाया. मजबूर होकर उन्होंने अब अपने खेत में बैठकर विरोध शुरू कर दिया है. रामतेज ने बताया कि जिले के आला अधिकारियों से फरियाद करने के अलावा वह लखनऊ में मुख्यमंत्री जनता दरबार में भी पेश हो चुके हैं, इसके बावजूद शासन और प्रशासन ने मामले का संज्ञान नहीं लिया.

भूख हड़ताल पर बैठने का लिया निर्णय

14 दिन तक अनशन पर बैठने के बाद वृद्ध रामतेज वर्मा का हाल जानने कोई भी वरिष्ठ अधिकारी नहीं पहुंचा. अब किसान ने अपने खेत में भूख हड़ताल पर बैठने का निर्णय लिया है. रामतेज वर्मा का कहना है कि 20 अक्टूबर से वह अपने खेत पर धरना दे रह हैं. अब तक किसी ने उनकी सुध नहीं ली है. जब तक धरना स्थल पर जिला गन्ना अधिकारी और जिलाधिकारी नहीं पहुंचेंगे और समस्या का समाधान नहीं होगा तब तक विरोध जारी रहेगा. रामतेज ने कहा कि इस दौरान अगर उन्हें कुछ भी होता है तो उसके जिम्मेदार गन्ना समिति के अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी होंगे.

वहीं पूरे मामले पर जिलाधिकारी का कहना है कि गन्ना मूल्य के भुगतान की यह शिकायत काफी पुरानी है. रामतेज वर्मा का कहना है कि उन्होंने 30 वर्ष पहले गन्ना समिति के माध्यम से केएम सुगर मिल को गन्ना सप्लाई किया था. इस संबंध में जिला गन्ना अधिकारी को निर्देशित किया गया है. प्रकरण बहुत पुराना है. गन्ना सप्लाई और भुगतान से संबंधित अभिलेखों की जांच करवाकर नियमानुसार समस्या का समाधान किया जाएगा.

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