अयोध्या: ईटीवी भारत ने उस दलित बस्ती का जायजा लिया जहां सीएम योगी ने एक दलित परिवार के घर खाना खाया. इस बस्ती में रहने वाले लोगों की हालत बद से बदतर दिखी. हकीकत ये है कि यहां लोगों के पास रहने के लिए पक्के मकान तक नहीं हैं.
अयोध्या: जानिए उन दलितों की सच्चाई, जिनकी बस्ती में सीएम योगी ने किया भोजन
बुधवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने शहर की एक मलिन बस्ती में दलित परिवार के साथ खाना खाया, जिसकी मीडिया में खूब चर्चा हुई. ईटीवी भारत ने इस बस्ती का दौरा किया और वहां के लोगों का सच जाना.
दलित बस्ती की दुर्दशा
अयोध्या: ईटीवी भारत ने उस दलित बस्ती का जायजा लिया जहां सीएम योगी ने एक दलित परिवार के घर खाना खाया. इस बस्ती में रहने वाले लोगों की हालत बद से बदतर दिखी. हकीकत ये है कि यहां लोगों के पास रहने के लिए पक्के मकान तक नहीं हैं.
Intro:अयोध्या. लोकसभा चुनाव 2019 अपनी चरम पर है। नेता जुबानी जंग और गरीबों को अपना बता बता कर के वोट हासिल करने की जुबत में है। ठीक इसी तरह से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आज अपने एकदिवसीय दौरे पर अयोध्या आए। यहां उन्होंने दलित परिवार के साथ बैठकर के भोजन किया और बिना किसी से कोई बात किये ही चले गए। चुनाव आयोग के उन पर 72 घंटे के प्रतिबंध के बाद योगी किसी से बोले तो नहीं लेकिन देश भर में उनके मंदिर दर्शन और दलित परिवार के घर भोजन की चर्चाएं हो रही है। ईटीवी भारत सामने ला रहा है उस दलित कॉलोनी का सच जिसको देखने और सुनने के बाद शायद योगी जी दोबारा यहां आना पसंद नहीं करेंगे। या हो सकता है अपने अधिकारियों की लंबी चौड़ी पूरी फौज को ही सस्पेंड कर दें। क्योंकि यह काला सच उसी दलित कॉलोनी का है। जहां योगी जी को भव्य और दिव्य सरकार के काम के दर्शन कराए गए। जी हां एक काम के दर्शन, कल रात 12:00 बजे से शुरू हुए थे। और आज दोपहर सीएम योगी के विजिट करने के 1 घंटे पहले सारे काम खत्म कर दिया। क्या यह वही दिव्य और भव्य कॉलोनी है जिसकी काली सच्चाई और अधिकारियों की करतूत आज हम आपको बताने जा रहे हैं वहां के लोकल निवासियों के जरिए।
Body:सीएम योगी आदित्यनाथ ने जिस मेवा लाल के घर भोजन किया। उसकी पत्नी सावित्री ने उनकी आरती उतारी उनका कल रात में 11:00 बजे सूचना गई की मुख्यमंत्री आपके घर कल भोजन पर आएंगे पूरा परिवार खुश था। क्यों होना भी चाहिए। मुख्यमंत्री जो आ रहे हैं। लेकिन उनकी खुशी के पीछे सबसे बड़ा कारण यह कि उनकी पूरी गली मोहल्ले का कायाकल्प होने जा रहा था रातो-रात उस गली में बड़े-बड़े गड्ढे भर दिए गए नगर निगम की सारी गाड़ियां आकर के वहां की नालियों को साफ करके चली गई मच्छरों के काटने से जो बच्चे बीमार होते थे उस पर छिड़काव हो गया। कहीं योगी जी को गलती से भी मच्छर ने छू लिया तो बवाल हो जाएगा। अधिकारी सस्पेंड हो जाए। मामला जो भी रहा हो, फिलहाल रातो रात मोहल्ले की किस्मत बदल गई।
मेवा लाल के ठीक बगल रहने वाले करीब 8 परिवार से हैं जिनका मकान पिछली 2017 की बारिश में ही गिर गया था यह सब भी दलित हैं और यहीं के निवासी है।
जिन्होंने भी प्रधानमंत्री रोजगार योजना प्रधानमंत्री आवास योजना में फॉर्म भर रखे हैं और तो और शौचालय बनाने की योजना में भी इन सब ने अपना फॉर्म डाला है, लेकिन किसी को भी ना तो शौचालय योजना का कोई लाभ मिला है और ना ही प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए उन्हें पैसा मिला है या उनका मकान बना है, सभी बिना छत के बरसते पानी से भीगते हुए जीने को मजबूर हैं।
जी हां यही सच्चाई है उनके आवासों को अभी इंतज़ार है पीएम योजना के बजट का। उसी दलित परिवार के सामने रहने वाली एक टूटे फूटे घर की एक बुढ़िया जिसकी उम्र करीब 80 साल से ऊपर है अकेले रहती है। उसके बेटे की सरयू नदी में डूबकर मौत हो गई उसकी बहू एक्सीडेंट में खत्म हो गई। अब आगे पीछे कोई नहीं है।
उसके घर में केंद्र सरकार की योजना के तहत सिलेंडर गैस उज्वला योजना भी नहीं मिला। चूल्हे पर खाना बनाती है वह भी लकड़ी बीनकर लाती है। उसके घर में घर के नाम पर सिर्फ 2 जोड़ी कपड़े एक टूटी खाट और जर्जर चार दीवारें हैं। उसने बताया कि पिछले साल हमने प्रधानमंत्री आवास योजना में अप्लाई किया था, लेकिन हमें मिला ना मकान मिला ना पैसा मिला अधिकारी आए थे, साइन करा कर ले गए। 1 साल हो गया पैसा नहीं मिला, मेरे घर पूरा गिर चुका था 2018 में टीन शेड मोहल्ले वालों ने डलवाया था। बस वही है, बारिश में पूरा पानी भर जाता है। वहीं शौचालय योजना के तहत नगर निगम में अप्लाई किया था, जो कि ₹12000 मिलते हैं 2 साल हो गया, शौचालय के लिए सिर्फ 4हज़ार रु मिले। बाकी पैसा अभी तक नहीं मिला। टॉयलेट में भी न दरवाजा है, न छत है, दीवार भी सिर्फ 2तरफ बनीं है, उसके बाद बनवाने का पैसा 2साल से नहीं आया।
इस बुढ़िया के अलावा भी एक और दलित परिवार है। जिसके घर सीएम योगी आदित्यनाथ गए थे, उसी दलित परिवार का छोटा भाई उसी परिवार के मकान के सामने ही थोड़ी दूर रहता है, उसके पास मकान के नाम पर सिर्फ लकड़ियों के बल्लियों पर टिका हुआ, एक टीन शेड है और वह भी महज 40 स्क्वायर फीट। पेशे से लेबर हैं। 40 स्क्वायर फीट जमीन है। उसके आगे पीछे कोई नहीं है उसकी पोती 13 साल की है। साथ में रहती है जो कहती है कि मैं यहां आई हूं लेकिन यहां पर तो घर ही नहीं है घर के नाम पर हमने लकड़ियों के ऊपर टीन शेड डालकर रहते हैं।
यह कहानी दलित सोसायटी कटरा क्षेत्र की है यह सिर्फ एक व्यक्ति एक परिवार एक बुढ़िया या उसे एक बच्चे की कहानी नहीं है जिसको प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला यह बात पूरी की पूरी सोसाइटी की है अब योगी जी के अधिकारी कब नींद से जागे गे और फाइलों को आगे बढ़ाने के बजाय उन पर सही हस्ताक्षर करेंगे इसका जवाब भगवान श्रीराम ही दे सकते हैं क्योंकि अधिकारियों का काम करने का मूड है या नहीं उनकी बात की मन की बात सिर्फ वही बता सकते हैं। पर जब तक अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक की कार्य प्रणाली में बदलाव नहीं आएगा तब तक किसी दलित के घर जाकर खाना खाने से कोई बदलाव नहीं आने वाला।
Conclusion:
Body:सीएम योगी आदित्यनाथ ने जिस मेवा लाल के घर भोजन किया। उसकी पत्नी सावित्री ने उनकी आरती उतारी उनका कल रात में 11:00 बजे सूचना गई की मुख्यमंत्री आपके घर कल भोजन पर आएंगे पूरा परिवार खुश था। क्यों होना भी चाहिए। मुख्यमंत्री जो आ रहे हैं। लेकिन उनकी खुशी के पीछे सबसे बड़ा कारण यह कि उनकी पूरी गली मोहल्ले का कायाकल्प होने जा रहा था रातो-रात उस गली में बड़े-बड़े गड्ढे भर दिए गए नगर निगम की सारी गाड़ियां आकर के वहां की नालियों को साफ करके चली गई मच्छरों के काटने से जो बच्चे बीमार होते थे उस पर छिड़काव हो गया। कहीं योगी जी को गलती से भी मच्छर ने छू लिया तो बवाल हो जाएगा। अधिकारी सस्पेंड हो जाए। मामला जो भी रहा हो, फिलहाल रातो रात मोहल्ले की किस्मत बदल गई।
मेवा लाल के ठीक बगल रहने वाले करीब 8 परिवार से हैं जिनका मकान पिछली 2017 की बारिश में ही गिर गया था यह सब भी दलित हैं और यहीं के निवासी है।
जिन्होंने भी प्रधानमंत्री रोजगार योजना प्रधानमंत्री आवास योजना में फॉर्म भर रखे हैं और तो और शौचालय बनाने की योजना में भी इन सब ने अपना फॉर्म डाला है, लेकिन किसी को भी ना तो शौचालय योजना का कोई लाभ मिला है और ना ही प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए उन्हें पैसा मिला है या उनका मकान बना है, सभी बिना छत के बरसते पानी से भीगते हुए जीने को मजबूर हैं।
जी हां यही सच्चाई है उनके आवासों को अभी इंतज़ार है पीएम योजना के बजट का। उसी दलित परिवार के सामने रहने वाली एक टूटे फूटे घर की एक बुढ़िया जिसकी उम्र करीब 80 साल से ऊपर है अकेले रहती है। उसके बेटे की सरयू नदी में डूबकर मौत हो गई उसकी बहू एक्सीडेंट में खत्म हो गई। अब आगे पीछे कोई नहीं है।
उसके घर में केंद्र सरकार की योजना के तहत सिलेंडर गैस उज्वला योजना भी नहीं मिला। चूल्हे पर खाना बनाती है वह भी लकड़ी बीनकर लाती है। उसके घर में घर के नाम पर सिर्फ 2 जोड़ी कपड़े एक टूटी खाट और जर्जर चार दीवारें हैं। उसने बताया कि पिछले साल हमने प्रधानमंत्री आवास योजना में अप्लाई किया था, लेकिन हमें मिला ना मकान मिला ना पैसा मिला अधिकारी आए थे, साइन करा कर ले गए। 1 साल हो गया पैसा नहीं मिला, मेरे घर पूरा गिर चुका था 2018 में टीन शेड मोहल्ले वालों ने डलवाया था। बस वही है, बारिश में पूरा पानी भर जाता है। वहीं शौचालय योजना के तहत नगर निगम में अप्लाई किया था, जो कि ₹12000 मिलते हैं 2 साल हो गया, शौचालय के लिए सिर्फ 4हज़ार रु मिले। बाकी पैसा अभी तक नहीं मिला। टॉयलेट में भी न दरवाजा है, न छत है, दीवार भी सिर्फ 2तरफ बनीं है, उसके बाद बनवाने का पैसा 2साल से नहीं आया।
इस बुढ़िया के अलावा भी एक और दलित परिवार है। जिसके घर सीएम योगी आदित्यनाथ गए थे, उसी दलित परिवार का छोटा भाई उसी परिवार के मकान के सामने ही थोड़ी दूर रहता है, उसके पास मकान के नाम पर सिर्फ लकड़ियों के बल्लियों पर टिका हुआ, एक टीन शेड है और वह भी महज 40 स्क्वायर फीट। पेशे से लेबर हैं। 40 स्क्वायर फीट जमीन है। उसके आगे पीछे कोई नहीं है उसकी पोती 13 साल की है। साथ में रहती है जो कहती है कि मैं यहां आई हूं लेकिन यहां पर तो घर ही नहीं है घर के नाम पर हमने लकड़ियों के ऊपर टीन शेड डालकर रहते हैं।
यह कहानी दलित सोसायटी कटरा क्षेत्र की है यह सिर्फ एक व्यक्ति एक परिवार एक बुढ़िया या उसे एक बच्चे की कहानी नहीं है जिसको प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला यह बात पूरी की पूरी सोसाइटी की है अब योगी जी के अधिकारी कब नींद से जागे गे और फाइलों को आगे बढ़ाने के बजाय उन पर सही हस्ताक्षर करेंगे इसका जवाब भगवान श्रीराम ही दे सकते हैं क्योंकि अधिकारियों का काम करने का मूड है या नहीं उनकी बात की मन की बात सिर्फ वही बता सकते हैं। पर जब तक अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक की कार्य प्रणाली में बदलाव नहीं आएगा तब तक किसी दलित के घर जाकर खाना खाने से कोई बदलाव नहीं आने वाला।
Conclusion: