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अयोध्या: सीएम योगी की घोषणा के तीन साल बाद भी नहीं बनी श्रीराम की मूर्ति, भक्तों में निराशा - world tallest shriram idol installation

उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने 251 मीटर ऊंची श्रीराम की मूर्ति स्थापना करने की घोषणा की थी. मूर्ति के लिए जगह न मिलने के कारण मूर्ति की स्थापना नहीं हो पाई है, जिसके चलते मूर्ति स्थापना का प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है.

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अयोध्या में श्रीराम की विशालकाय मूर्ति नहीं बनी.
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Published : Jan 10, 2020, 4:51 PM IST

अयोध्या: जिले को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए विश्व की सबसे ऊंची श्रीराम की प्रतिमा स्थापित करने का प्रोजेक्ट अधर में लटक गया है. साल 2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति स्थापना की घोषणा की थी. मूर्ति की डिजाइन भी फाइनल हो चुकी थी, लेकिन इसके बाद से मूर्ति स्थापना के लिए सरयू किनारे शुरू हुई जमीन की खोज अभी तक पूरी नहीं हो पाई है.

श्रीराम की मूर्ति न बनने से भक्तों में निराशा,

साल 2019 आते-आते योगी आदित्यनाथ ने खुद दो बार सरयू किनारे जाकर जमीन को देखा. सरकारी तंत्र के लचर रवैये के चलते सीएम योगी आदित्यनाथ का प्रोजेक्ट अन्य सरकारी प्रोजेक्ट की तरह ही उपेक्षा का शिकार हो गया. साल 2017 से लेकर अब तक प्रशासन मूर्ति स्थापना के लिए जमीन खोजने में असमर्थ रहा है.

स्थानीय निवासियों ने नहीं छोड़ी जमीन
जिला प्रशासन ने भगवान श्री राम की विशालकाय प्रतिमा को लगाने के लिए सरयू नदी के किनारे हाईवे से सटे हुई जगह को चिन्हित किया था, लेकिन वहां रहने वाले 3 दर्जन से ज्यादा परिवारों ने मुआवजा कम मिलने की बात कहकर जमीन नहीं छोड़ी. इसके बाद उनकी जिला प्रशासन के साथ हुई मीटिंग भी फेल हो गई, जिसके बाद फिर से भगवान श्रीराम की मूर्ति स्थापना अधर में लटकी हुई है.

इसे भी पढ़ें- प्रयागराज: पौष पूर्णिमा को लेकर मेला प्रशासन तैयार, 32 लाख से ज्यादा श्रद्धालु लगाएंगे डुबकी

श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि हमने कई बार सरकार के अधिकारियों से इस विषय पर बात की, लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखाई पड़ी. हमसे कई भक्त पूछते हैं कि मूर्ति की स्थापना कब और कहां होगी. हमारे पास उसका कोई उत्तर नहीं है, जिससे लोग निराश होकर के चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि वह जल्द से जल्द अपनी की हुई घोषणा को पूरा करें.

अयोध्या: जिले को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए विश्व की सबसे ऊंची श्रीराम की प्रतिमा स्थापित करने का प्रोजेक्ट अधर में लटक गया है. साल 2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति स्थापना की घोषणा की थी. मूर्ति की डिजाइन भी फाइनल हो चुकी थी, लेकिन इसके बाद से मूर्ति स्थापना के लिए सरयू किनारे शुरू हुई जमीन की खोज अभी तक पूरी नहीं हो पाई है.

श्रीराम की मूर्ति न बनने से भक्तों में निराशा,

साल 2019 आते-आते योगी आदित्यनाथ ने खुद दो बार सरयू किनारे जाकर जमीन को देखा. सरकारी तंत्र के लचर रवैये के चलते सीएम योगी आदित्यनाथ का प्रोजेक्ट अन्य सरकारी प्रोजेक्ट की तरह ही उपेक्षा का शिकार हो गया. साल 2017 से लेकर अब तक प्रशासन मूर्ति स्थापना के लिए जमीन खोजने में असमर्थ रहा है.

स्थानीय निवासियों ने नहीं छोड़ी जमीन
जिला प्रशासन ने भगवान श्री राम की विशालकाय प्रतिमा को लगाने के लिए सरयू नदी के किनारे हाईवे से सटे हुई जगह को चिन्हित किया था, लेकिन वहां रहने वाले 3 दर्जन से ज्यादा परिवारों ने मुआवजा कम मिलने की बात कहकर जमीन नहीं छोड़ी. इसके बाद उनकी जिला प्रशासन के साथ हुई मीटिंग भी फेल हो गई, जिसके बाद फिर से भगवान श्रीराम की मूर्ति स्थापना अधर में लटकी हुई है.

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श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि हमने कई बार सरकार के अधिकारियों से इस विषय पर बात की, लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखाई पड़ी. हमसे कई भक्त पूछते हैं कि मूर्ति की स्थापना कब और कहां होगी. हमारे पास उसका कोई उत्तर नहीं है, जिससे लोग निराश होकर के चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि वह जल्द से जल्द अपनी की हुई घोषणा को पूरा करें.

Intro:अयोध्या विश्व की सबसे ऊंची और विशालकाय प्रतिमा स्थापित करके अयोध्या को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने काफी बेहतर कदम उठाए हैं साल 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या जाकर के सबसे पहले जो घोषणा की थी उसमें 251 मीटर ऊंची भगवान श्री राम की मूर्ति स्थापित करने की थी जिसको लेकर के वह काफी चिंतित भी थे और मूर्ति की डिजाइन भी फाइनल हो चुकी थी। लेकिन इसके बाद से ही अयोध्या में सरयू किनारे जमीन की खोज शुरू हुई।
Body: साल 2019 आते-आते योगी आदित्यनाथ ने खुद दो बार सरयू किनारे जाकर जमीन को देखा। लेकिन सरकारी तंत्र के लचर रवैया में योगी आदित्यनाथ का प्रोजेक्ट उसी तरह से खो गया, जैसे अन्य सरकारी प्रोजेक्ट देर और लेटलतीफी का शिकार होते हैं।
साल 2017 से लेकर अब तक इस विशालकाय मूर्ति स्थापना के लिए जमीन भी नहीं खोजी जा सकी है। जिस जमीन को जिला प्रशासन ने देखकर फाइनल किया था, उसमें लोगों ने मुआवजे को लेकर के कई बार प्रदर्शन किए, लेकिन जिला प्रशासन के साथ हुई मीटिंग फेल हो गई । इसके बाद फिर से वह मूर्ति स्थापना अधर में लटक गई। इस मामले पर श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान कहा कि, हमने कई बार सरकार के अधिकारियों से इस विषय पर बात की लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखाई पड़ी। हमसे कई भक्तों पूछते हैं कि वह मूर्ति स्थापना कब होगी, कहां होगी, लेकिन हमारे पास उसका कोई उत्तर नहीं लोग आते हैं और निराश होकर के चले जाते हैं।
इसलिए हमारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि, वह जल्द से जल्द अपनी की हुई घोषणा को पूरा करें जिससे अयोध्या के विकास को बल मिल सकेConclusion:आपको बता दें चले कि 251 मीटर ऊंची भगवान श्री राम की विशालकाय प्रतिमा को लगाने के लिए सरयू नदी के किनारे हाईवे से सटे हुए जगह को चिन्हित किया गया था लेकिन वहां रहने वाले 3 दर्जन से ज्यादा परिवारों ने मुआवजा कब मिलने की बात कहकर जमीन नहीं छोड़ी यही कारण है कि जिला प्रशासन उस जमीन पर अभी तक काम नहीं शुरू कर पाया वही आवंटियों ने हाई कोर्ट जाने की बात भी की थी इसके बाद से जिला प्रशासन बैकफुट पर आ गया।
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बाइट आचार्य सत्येन्द्र दास
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