अयोध्या: जिले को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए विश्व की सबसे ऊंची श्रीराम की प्रतिमा स्थापित करने का प्रोजेक्ट अधर में लटक गया है. साल 2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति स्थापना की घोषणा की थी. मूर्ति की डिजाइन भी फाइनल हो चुकी थी, लेकिन इसके बाद से मूर्ति स्थापना के लिए सरयू किनारे शुरू हुई जमीन की खोज अभी तक पूरी नहीं हो पाई है.
साल 2019 आते-आते योगी आदित्यनाथ ने खुद दो बार सरयू किनारे जाकर जमीन को देखा. सरकारी तंत्र के लचर रवैये के चलते सीएम योगी आदित्यनाथ का प्रोजेक्ट अन्य सरकारी प्रोजेक्ट की तरह ही उपेक्षा का शिकार हो गया. साल 2017 से लेकर अब तक प्रशासन मूर्ति स्थापना के लिए जमीन खोजने में असमर्थ रहा है.
स्थानीय निवासियों ने नहीं छोड़ी जमीन
जिला प्रशासन ने भगवान श्री राम की विशालकाय प्रतिमा को लगाने के लिए सरयू नदी के किनारे हाईवे से सटे हुई जगह को चिन्हित किया था, लेकिन वहां रहने वाले 3 दर्जन से ज्यादा परिवारों ने मुआवजा कम मिलने की बात कहकर जमीन नहीं छोड़ी. इसके बाद उनकी जिला प्रशासन के साथ हुई मीटिंग भी फेल हो गई, जिसके बाद फिर से भगवान श्रीराम की मूर्ति स्थापना अधर में लटकी हुई है.
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श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि हमने कई बार सरकार के अधिकारियों से इस विषय पर बात की, लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखाई पड़ी. हमसे कई भक्त पूछते हैं कि मूर्ति की स्थापना कब और कहां होगी. हमारे पास उसका कोई उत्तर नहीं है, जिससे लोग निराश होकर के चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि वह जल्द से जल्द अपनी की हुई घोषणा को पूरा करें.