अयोध्या: उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या की राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में सुनवाई शुरू कर दी है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं.
निर्मोही अखाड़ा की दलीलें
- निर्मोही आखाड़ा ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया.
- सैकड़ों साल तक अंदर के परिसर और राम जन्मस्थान पर हमारा नियंत्रण था.
- बाहरी परिसर जिसमें सीता रसोई, चबूतरा, भंडारगृह हैं, वे आखाड़ा के नियंत्रण में थे और किसी मामले में उनपर कोई विवाद नहीं था.
- 1934 से ही किसी भी मुसलमान को वहां प्रवेश की अनुमति नहीं थी और उसपर सिर्फ निर्मोही आखाड़ा का नियंत्रण था.
- मैं इस क्षेत्र का प्रबंधन और नियंत्रण मांग रहा हूं.
- पुरातन काल से उस जगह पर हमारा नियंत्रण, प्रबंधन है और राम लला की पूजा करते रहे हैं.
न्यायालय की ओर से कहा गया
न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता राजीव धवन से कहा- 'हम किसी की दलीलों को छोटा नहीं करना चाहते, अदालत की गरिमा बनाए रखें. न्यायालय ने निर्मोही अखाड़ा से कहा कि वह अपनी दलीलों को दीवानी विवाद मामले तक ही सीमित रखे'.