अयोध्या: राम मंदिर निर्माण में आर्थिक विषय में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 10 रुपये, 100 रुपये और एक हजार रुपये के कूपन और रसीदें छापी हैं. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने लाखों राम भक्तों से अपना पूर्ण समय समर्पित करने की अपील की है. महासचिव चंपत राय ने कहा कि समाज जैसा देगा उसी के अनुरूप कार्यकर्ता कूपन या रसीद देंगे. करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुंचेगा. जनसंपर्क का यह कार्य मकर संक्रांति से प्रारंभ करेंगे और माघ पूर्णिमा तक पूर्ण होगा.
ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी इतिहास की सच्चाइयों को सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार किया. भारत सरकार ने न्यायालय के निर्देश पर श्रीराम जन्मभूमि के लिए 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' नाम से ट्रस्ट गठित किया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त को अयोध्या में पूजन करके मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को गति प्रदान की है. चम्पत राय ने बताया कि मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकान्त सोमपुरा पर है. जो वर्ष 1976 से जन्मभूमि मन्दिर निर्माण की देखभाल कर रहे हैं. 'लार्सन टुब्रो कम्पनी' को मंदिर निर्माण का कार्य दिया गया है. कंपनी के सलाहकार के रूप में ट्रस्ट ने 'टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स' को चुना है. संपूर्ण मंदिर पत्थरों से बनेगा, मंदिर तीन मंजिला होगा.
प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी
प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी, जबकि मंदिर की लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट होगी. भूतल से 16.5 फीट ऊंचा मंदिर का फर्श बनेगा. भूतल से गर्भगृह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी. धरती के नीचे 200 फीट गहराई तक मृदा परीक्षण और भविष्य के सम्भावित भूकम्प के प्रभाव का अध्ययन हुआ है. जमीन के नीचे 200 फीट तक भुरभुरी बालू पाई गई है. गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है.
ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताया कि इस भौगोलिक परिस्थिति में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरों के मंदिर का भार सहन कर सकने वाली मजबूत और टिकाऊ नींव की ड्राइंग पर आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गुवाहाटी, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, लार्सन टूब्रो और टाटा के इंजीनियर आपस में परामर्श कर रहे हैं. जल्द ही नींव का प्रारूप तैयार होकर निर्माण कार्य शुरू हो सकेगा.
वर्तमान पीढ़ी जानेगी मंदिर के इतिहास की सच्चाई
ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताया कि भारत वर्ष की वर्तमान पीढ़ी को इस मंदिर के इतिहास की सच्चाइयों से अवगत कराने की योजना बनी है. देश की कम से कम आधी आबादी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की ऐतिहासिक सच्चाई से अवगत कराने के लिए देश के प्रत्येक कोने में घर-घर जाकर संपर्क करेंगे. अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान निकोबार, त्रिपुरा के सभी कोनों पर राम जन्मभूमि के बारे में पढ़ने के लिए साहित्य दिया जाएगा. चम्पत राय ने बताया कि जिस प्रकार जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिए लाखों भक्तों ने कष्ट सहे, सतत सक्रिय रहे, सहयोग किया उसी प्रकार करोड़ों लोगों के स्वैच्छिक सहयोग से मंदिर बनेगा.
जनसंपर्क में लाखों कार्यकर्ता गांव और मोहल्लों में जाएंगे. समाज स्वेच्छा से कुछ न कुछ निधि समर्पण करेगा. भगवान का काम है, मंदिर भगवान का घर है, भगवान के कार्य में धन बाधा नहीं हो सकता. समाज का समर्पण कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे. आर्थिक विषय में पारदर्शिता बहुत आवश्यक है. पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हमने 10 रुपये, 100 रुपये, एक हजार रुपये के कूपन और रसीदें छापी हैं. समाज जैसा देगा उसी के अनुरूप कार्यकर्ता कूपन या रसीद देंगे. करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुंचेगा. जनसंपर्क का यह कार्य मकर संक्रांति से प्रारंभ करेंगे और माघ पूर्णिमा तक पूर्ण होगा. लाखों राम भक्त इस ऐतिहासिक अभियान के लिए अपना पूर्ण समय समर्पित करें, यही निवेदन है.
-चम्पत राय, महासचिव, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट