अयोध्या: भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर निर्माण से पहले रामनगरी को भव्य तरीके से सजाया गया है. सभी को बेसब्री से 5 अगस्त के उस घड़ी की प्रतीक्षा है, जब राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या की प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना होगी. श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण से देश भर की आस्था जुड़ी है. राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखी वर्ष 1989 और इससे पहले की शिलाएं इस बात की गवाह हैं. वहीं कार्यशाला में कई ऐसी शिलाएं भी हैं, जिन पर विभिन्न भाषाओं में भगवान राम का नाम अंकित है.
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आस्था प्रबल है. इस बात को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट दो हजार से अधिक स्थलों की मिट्टी और पवित्र नदियों का जल राम मंदिर के नींव में प्रयोग कर रहा है. वहीं श्रीराम जन्मभूमि न्यास द्वारा स्थापित राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में वर्षों पुरानी ईंट की शिलाएं रखी हुई हैं, जो कि वर्ष 1992 में हुए बाबरी विध्वंस के पहले की हैं.
ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि राम मंदिर के लिए शिलाएं उस समय से एकत्र की जा रही हैं, जब बाबरी विध्वंस का मामला सामने नहीं आया था. मंदिर निर्माण कार्यशाला में बड़ी संख्या में शिलाएं रखी हैं. जिस पर देश के विभिन्न भाषाओं में 'जय श्रीराम' लिखा हुआ है. इसमें वर्ष 1989 और इससे भी पहले की शिलाएं भी रखी हुई हैं.
देश के कोने-कोने से शिलाएं राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए दान की गई हैं. इन शिलाओं पर तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, उड़िया, गुजराती और मराठी समेत देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओं और हिंदी में भगवान राम का नाम लिखा हुआ है. ये शिलाएं देश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रीराम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला में दान की गई हैं.
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ट्रस्ट लंबे समय तक टिकने वाले राम मंदिर का निर्माण करने जा रहा है. राम मंदिर निर्माण के लिए देश के कोने-कोने से आई ये शिलाएं श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रबल आस्था को प्रकट करती हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए रामलला के मंदिर की नींव में 2000 से अधिक स्थलों की मिट्टी और भारत की सभी पवित्र नदियों का जल डालने की योजना है.