लखनऊ : अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण चल रहा है. इसके अलावा अयोध्या के घाटों समेत अन्य स्थानों का भी कायाकल्प करने की तैयारी है. जनवरी 2024 में मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव से पहले अन्य कार्य भी तेजी से कराए जा रहे हैं. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने सरयू तट की महत्ता को देखते हुए सरयू नदी के किनारों को साबरमती रिवर फ्रंट व गोमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर विकसित करने की योजना तैयार की है. सरयू रिवर फ्रंट पर अयोध्या की भव्यता व उसकी आध्यात्मिक विरासत को उकेरा जाएगा. इससे आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को भगवान राम से जुड़ी हर जानकारी मिल सकेगी. इसके अलावा यात्रियों की सुविधाओं के लिए एक बड़ा यात्री सुविधा केंद्र भी स्थापित किया जाएगा.
पर्यटन विभाग के अनुसार राम मंदिर के निर्माण के साथ ही सरयू रिवर फ्रंट व आसपास के क्षेत्रों का भी विकास किया जाएगा. अयोध्या आने वाले पर्यटकों को न केवल भगवान राम के दर्शन होंगे बल्कि सरयू तट पर उन्हें भगवान राम के जीवन काल से जुड़ी हुई घटनाएं मूर्तियों के माध्यम से देख सकेंगे. इसके अलावा सरयू तट पर ही वाटर स्पोर्ट्स व दूसरी एक्टिविटी शुरू करने की तैयारी भी है. इसके अलावा बनारस की तर्ज पर क्रूज और बोट हाउस की भी सुविधा शुरू करने की तैयारी है.
दो कंपनियों के साथ एमओयू : पर्यटन विभाग इस साल के अंत तक वहां पर क्रूज और बोट हाउस तैयार कर देगा. विभाग में क्रूज से सरयू नदी की सैर के अलावा बोट हाउस में नाइट स्टे की फैसिलिटी भी देने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए दो कंपनियों के साथ एमओयू हो गया है. पर्यटन विभाग राम मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या आने वाले पर्यटकों पर श्रद्धालुओं के लिए वहां पर एक विश्व स्तरीय यात्री सुविधा केंद्र की स्थापना करने जा रहा है. यहां पर सभी पर्यटकों व श्रद्धालुओं को एक ही छत के नीचे सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करा दी जाएंगी.
अयोध्या के चारों तरफ गेट बनाने का प्रस्ताव : अयोध्या को उत्तर प्रदेश के सभी एक्सप्रेस-वे से जोड़ने की तैयारी चल रही है. यहां पर रेल, हवाई व सड़क मार्ग से पर्यटकों के पहुंचने की सुविधा मुहैया कराने काम चल रहा है. इसी कड़ी में पर्यटन विभाग ने अयोध्या के चारों तरफ एंट्री रोड पर अब गेटों का निर्माण कराने का प्रस्ताव तैयार किया है. यह सभी गेट भगवान राम के चारों भाइयों के नाम पर रखने का प्रस्ताव है. अयोध्या को विश्वस्तरीय बनाने के लिए सरकार की तरफ से 57000 करोड़ से अधिक रुपए खर्च कर बुनियादी ढांचे का पुनर्विकास का काम चल रहा है.
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