कुशीनगरः 17 साल पहले लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते हुए जो रेल परियोजना शुरू की थी, उस पर अब ट्रेन दौड़ाने का रास्ता साफ हो गया है. रेल मंत्रालय ने इस परियोजना पर तेजी से काम शुरू कर दिया है. यह परियोजना अंतिम रूप में पहुंच जाने पर यूपी और बिहार के 200 गांवों को बड़ी राहत मिल जाएगी. ये ट्रेन लाइन इन गांवों से सीधे कनेक्ट हो जाएगी.
कब पास हुई थी परियोजनाः कुशीनगर व बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के अंतिम छोर पर छितौनी-तमकुही रेल परियोजना की कुल लागत 265 करोड़ थी. इस पर 106 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. 20 फरवरी 2007 को तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था.
रेल लाइन बनकर तैयारः इस परियोजना के अंतर्गत रेल लाइन बनकर तैयार है. लाइट इंजन के जरिए ट्रायल की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी. छितौनी में भव्य रेलवे स्टेशन बनकर तैयार किया गया था जो अब खंडहर में बदल चुका है. पनियहवा रेलवे ढाला पर ओवरब्रिज के पाया लगभग बनकर तैयार हो चुका है. शुरूआती वर्षों में काम के बाद यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई थी.
कितने गांवों को लाभ मिलेगाः इस रेल परियोजना से कुशीनगर और बिहार के करीब 200 गांवों के लिए लाइफ लाइन साबित होगी. इसके पूरा हो जाने पर विकास तथा व्यापार के नए द्वार खुलेंगे. दियारा क्षेत्र के लोगों को भी इससे काफी हद तक सहूलियत मिलेगी. रेलवे लाइन और स्टेशन के आस-पास की खेती वाली कृषि योग्य जमीनों की कीमत भी बढ़ जाएगी. रेलवे प्रशासन की ओर से अब इस साल में रेल परियोजना का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
आखिर इतनी देर क्यों हुईः वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा की माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ। उस समय के तत्कालीन रेल मंत्री ने घोषणा की थी कि जो भी रेल परियोजनाएं अधूरी हैं ,उन परियोजनाओं को पहले बजट देकर काम पूरा करने के बाद अन्य नई रेल लाइन परियोजना को मंजूरी दी जाएगी। 2014 में बहुमत से सरकार बनने के बाद इस परियोजना को सरकार की ओर से धन भी आवंटित किया और काम भी शुरू हो गया.
बिहार सरकार ने अपने क्षेत्र की जमीन का अधिग्रहण करके अपने क्षेत्र के काश्तकारों को मुआवजा देकर संपूर्ण राशि का भुगतान कर दिया, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने जमीन की पैमाइश कर ली, लेकिन काश्तकारों की जमीन का अधिग्रहण करके मुआवजा का भुगतान नहीं दिया. कोरोना काल में अचानक काम बंद होने के बाद से अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है.
इस वजह से फिर से शुरू हो सका कामः पूर्व सांसद विजय कुमार दुबे की पहल पर रेलवे बोर्ड ने इस मामले को संज्ञान लिया और फाइलों में बंद पड़ी 62 किलोमीटर रेल परियोजना को चालू करने के लिए हरी झंडी दे दी. सांसद विजय दुबे पहली बार 2019 में जब सदन चुनकर पहुंचे तभी से छितौनी तमकुही रेल परियोजना को बजट दिलाने की मांग उठाने लगे. सांसद ने सदन में इसकी मांग करने के साथ रेल मंत्री व रेलवे बोर्ड के चेयरमैन से मिलकर इस परियोजना के लिए बजट आवंटित करने की मांग कर चुके हैं. वहीं, ग्रामीणों ने भी इस परियोजना पर काम शुरू करने के लिए पोस्टकार्ड अभियान समेत कई तरह के आंदोलन किए. विजय कुमार दुबे ने बताया कि रेल मंत्री से बात के बाद इस परियोजना पर काम शुरू हो गया है. रेलवे की ओर से इस परियोजना को पूरा करने के लिए दिसंबर तक की डेडलाइन तय की गई है.
दुर्गम इलाकों को जोड़ेगा रेलवे प्रोजेक्टः छितौनी में रेलवे स्टेशन बनकर तैयार है. छितौनी के बाद ही बिहार दुर्गम इलाके शुरू हो जाते हैं. इन इलाकों में आवागमन की कोई सुविधा नहीं है. इस परियोजना के पूरा होने क बाद वर्षों पुराने बाजार जटहा का भी कायाकल्प हो जाएगा. जटहा में रेलवे स्टेशन भी प्रस्तावित है तो मधुबनी, धनहा, खैरा टोला, पिपराही में भी स्टेशन है. तीन हाल्ट प्रस्तावित हैं. परियोजना के पूर्ण होने से जिले के छितौनी नगर पंचायत, तमकुहीराज, जटहा बाजार समेत जिले के सैकड़ों गांवों के अलावा सीमावर्ती बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के गंडक पार के पिपरासी, मधुबनी, भितहा और ठकराहा प्रखंड का आपस में जुड़ाव हो जाएगा.
कौन से क्षेत्र जुड़ेंगे इस प्रोजेक्ट के पूरे होने के बादः बिहार के चार ब्लाॅक मुख्यालय भितहा, मधुबनी, ठकरहा और पिपरासी इससे जुड़े हैं. वहीं यूपी के छितौनी, सेवरही और तमकुहिराज नगर पंचायतों का इससे सीधा जुड़ाव है. साथ ही जटहा, धनहा, तमकुहवा, मंझरिया, बरवापट्टी बाजार आदि अनेकों छोटे-बड़े बाजार भी इससे जुड़े हैं. कृषि योग्य जमीनों की कीमत जहां बढ़ जाएगी. छितौनी, खड्डा, पनियहवा, तमकुहीरोड समेत बिहार के सब्जी की खेती करने वाले या अन्य व्यापारिक गतिविधियों को संजीवनी मिलेगी. इस परियोजना के पूर्ण होने पर्यटकों को भी आने जाने में सुविधा होगी. पश्चिमी चंपारण जो आज भी विकास से कोसों दूर है, यहां रोजगार व विकास के द्वार खुलेंगे. इस इलाके से होकर नारायणी नदी गुजरती हैं जो हर साल तबाही मचाती है रेल लाइन बनने से दोनों राज्यों के लाखों लोगों को बाढ़ से भी राहत मिलेगी.
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