अयोध्या: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर रामनगरी के संत विश्व को योग का महत्व बता रहे हैं. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि ऋषि-मुनियों के शरीर को हजारों सालों तक निरोग रखने वाला योग ही है. कोरोना महामारी से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का होना जरूरी है और योग से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
कोरोना संकटकाल में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सामूहिक रूप से योग का कार्यक्रम नहीं हो पाया है. वहीं घरों और मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए योग दिवस मनाया गया है. रामनगरी के संतों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए योग कर लोगों को योग के प्रति प्रेरित किया. श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने गोपाल मंदिर पर अपने शिष्यों के साथ योग किया. शिष्यों को योगासन सिखाया और सभी शिष्यों को प्रतिदिन नियमित योग करने का संदेश भी दिया.
आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि योग जीवन की रक्षा करता है. योग करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. नियमित योग से कई असाध्य रोगों से लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित होती है. प्राचीन भारत में हजारों साल तक ऋषि-मुनियों के जीवित रहने का यही एक जरिया था. योग करने वाला मौत को भी मात दे सकता है. योग के जरिए ऋषि-मुनि अपनी चेतना को सुषुम्ना नाड़ी में केंद्रित कर भगवान की प्राप्ति कर करते थे.
भीष्म पितामह थे एक योगी
वहीं महाभारत काल का एक उदाहरण भी आचार्य सत्येंद्र दास ने दिया कि भीष्म पितामह एक योगी थे, जिन्होंने मौत को भी योग विद्या से खड़ा कर रखा था. उन्होंने कहा था कि जब मेरा समय आएगा, तब शरीर का त्याग आत्मा करेगी. इसलिए योग शरीर को ईश्वर से जोड़ने वाला है, जो हर व्यक्ति को प्रतिदिन करना चाहिए. आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि योग के साथ पूरे शरीर की ऊर्जा को जागृत करने वाले 'ऊं' शब्द का उच्चारण करना भी आवश्यक है.