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अवध विश्वविद्यालय में 25 दिवसीय राष्ट्रीय मूर्तिकला कार्यशाला का आयोजन - अवध विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय मूर्तिकला की कार्यशाला

डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में 25 दिवसीय राष्ट्रीय मूर्तिकला कार्यशाला के चौथे दिन फाईन आर्ट्स विभाग ने शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं से नवग्रहों की संरचना तैयार कराई गई. इसके सम्बन्ध में कार्यशाला की निदेशक डाॅ. सरिता द्विवेदी ने बताया कि हर ग्रह का अपना एक निश्चित चक्र एवं माप होता है.

फाईन आर्ट्स विभाग द्वारा नवग्रहों की संरचना तैयार
फाईन आर्ट्स विभाग द्वारा नवग्रहों की संरचना तैयार
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Published : Feb 7, 2021, 4:57 PM IST

अयोध्या: डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में 25 दिवसीय राष्ट्रीय मूर्तिकला कार्यशाला के फाईन आर्ट्स विभाग द्वारा शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को नवग्रहों की संरचना तैयार कराई गई. इसके सम्बन्ध में कार्यशाला की निदेशक डाॅ. सरिता द्विवेदी ने बताया कि हर ग्रह का अपना एक निश्चित चक्र एवं माप होता है. इसके अनुसार ही नवग्रहों की संरचना छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार कराई जा रही है.

कार्यशाला की स्थानीय आयोजन सचिव विभाग की रीमा सिंह ने बताया कि हर ग्रह का अपना एक प्रतीक वृक्ष होता है. इसके औषधीय गुण भी होते हैं, जिससे प्रभाव मानव जीवन के कष्टों के निवारण में किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में तरूकल्प वृक्ष अपने नवग्रहों के साथ परिसर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव उत्पन्न करेगा.

विभागीय शिक्षिका सरिता सिंह ने छात्र-छात्राओं को तकनीकी जानकारी प्रदान किया. प्रशिक्षक आशीष प्रजापति ने छात्र-छात्राओं के साथ नवग्रह वाटिका के नीव की संरचना की जानकारी प्रदान की. विभाग के समन्वयक प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यह नवग्रह वाटिका विश्वविद्यालय परिसर को एक नया सौन्द्रर्य स्वरूप प्रदान करेगा.

कार्यशाला के चौथे दिन प्रो. आशुतोश सिन्हा, प्रो. मृदुला मिश्रा, कविता पाठक, कर्मचारियों में विजय कुमार शुक्ला, शिवांकर यादव, हीरा यादव सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहीं.

अयोध्या: डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में 25 दिवसीय राष्ट्रीय मूर्तिकला कार्यशाला के फाईन आर्ट्स विभाग द्वारा शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को नवग्रहों की संरचना तैयार कराई गई. इसके सम्बन्ध में कार्यशाला की निदेशक डाॅ. सरिता द्विवेदी ने बताया कि हर ग्रह का अपना एक निश्चित चक्र एवं माप होता है. इसके अनुसार ही नवग्रहों की संरचना छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार कराई जा रही है.

कार्यशाला की स्थानीय आयोजन सचिव विभाग की रीमा सिंह ने बताया कि हर ग्रह का अपना एक प्रतीक वृक्ष होता है. इसके औषधीय गुण भी होते हैं, जिससे प्रभाव मानव जीवन के कष्टों के निवारण में किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में तरूकल्प वृक्ष अपने नवग्रहों के साथ परिसर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव उत्पन्न करेगा.

विभागीय शिक्षिका सरिता सिंह ने छात्र-छात्राओं को तकनीकी जानकारी प्रदान किया. प्रशिक्षक आशीष प्रजापति ने छात्र-छात्राओं के साथ नवग्रह वाटिका के नीव की संरचना की जानकारी प्रदान की. विभाग के समन्वयक प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यह नवग्रह वाटिका विश्वविद्यालय परिसर को एक नया सौन्द्रर्य स्वरूप प्रदान करेगा.

कार्यशाला के चौथे दिन प्रो. आशुतोश सिन्हा, प्रो. मृदुला मिश्रा, कविता पाठक, कर्मचारियों में विजय कुमार शुक्ला, शिवांकर यादव, हीरा यादव सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहीं.

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