ETV Bharat / state

राम मंदिर निर्माण को लेकर उत्साह, लाखों श्रद्धालु 14 कोसी परिक्रमा में हुए शामिल

अक्षय नवमी के मौके पर राम नगरी अयोध्या में लाखों श्रद्धालुओं ने 14 कोसी परिक्रमा की. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस परिक्रमा का विशेष आध्यात्मिक महत्व है.

14 कोसी परिक्रमा 2021
14 कोसी परिक्रमा 2021
author img

By

Published : Nov 12, 2021, 7:53 PM IST

अयोध्या: इस 14 कोसी परिक्रमा को लेकर लोग दूसरे जिलों से पहुंचे. राम नगरी अयोध्या में अक्षय नवमी के दिन इस परिक्रमा का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी तिथि पर किया गया पुण्य 84 लाख योनियों के चक्र से मुक्त कर सकता है. इस तिथि पर किया गया पुण्य कभी नष्ट नहीं होता. यही वजह है कि लाखों की संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं.

अयोध्या में परिक्रमा करते श्रद्धालु

अयोध्या के तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी के अनुसार, राम नगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम की पवित्र जन्मस्थली के अलावा कई और मंदिर हैं. वैसे तो पूरे देश भर के अलग-अलग तीर्थ स्थलों की परिक्रमा करने की परंपरा है, लेकिन अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा का महत्व विशेष है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि 14 कोस की परिधि में भगवान श्रीराम की अयोध्या है.

रामनगरी में परिक्रमा करते लोग
रामनगरी में परिक्रमा करते लोग

इस क्षेत्र में कई हजार मंदिर हैं, जिनमें विभिन्न देवी-देवताओं का गर्भगृह भी है. जब कोई श्रद्धालु इस पथ पर परिक्रमा करता है, तो सिर्फ राम जन्मभूमि और रामलला ही नहीं, इन सभी देवी-देवताओं और पूरी अयोध्या की परिक्रमा हो जाती है. इसलिए अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा का विशेष महत्व है.

रामनगरी में आस्था की डुबकी
रामनगरी में आस्था की डुबकी



अयोध्या पहुंचे श्रद्धालुओं का ये भी मानना है कि अक्षय नवमी के दिन की गई परिक्रमा से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. मान्यता यह भी है कि तीन वर्ष अनवरत परिक्रमा करने से सकल मनोरथ पूर्ण होते हैं. पूर्वजों को स्वर्ग लोक में स्थान मिलता है और इसी वजह से हर वर्ष अक्षय नवमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा करने अयोध्या पहुंचते हैं.

रामनगरी में आस्था की डुबकी
रामनगरी में आस्था की डुबकी
पौराणिक मान्यता के अनुसार, मनुष्य इस धरती पर 84 लाख योनियों की यात्रा करता है. इस दौरान उससे अनेक पाप और अधर्म होते हैं. जब वह जीव मानव का शरीर पाता है तब उसके पास यह अवसर होता है कि वह स्वयं द्वारा किए गए अधर्म और पाप का पश्चाताप करे. कहा जाता है कि परिक्रमा एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसके जरिए वह अपने सभी पाप मिटा सकता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, परिक्रमा पथ पर चला गया एक-एक कदम हजारों पापों का नाश करता है. इस कारण परिक्रमा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.
रामनगरी में परिक्रमा करते लोग
रामनगरी में परिक्रमा करते लोग



ये भी पढ़ें- हिंदू धर्म की तुलना ISIS और बोको हराम से करने पर सलमान खुर्शीद के खिलाफ FIR



राम नगरी अयोध्या में प्रत्येक वर्ष अक्षय नवमी तिथि के मौके पर कई लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं और राम नगरी अयोध्या के चतुर्दिक परिक्रमा करते हैं. इस लंबी दूरी को तय करने में श्रद्धालुओं को भारी थकान और पैरों में दर्द होने लगता है, फिर भी मन में आस्था और उल्लास कम नहीं होती. 45 किलोमीटर लंबे परिक्रमा पथ पर लोग जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए शामिल हुए.


ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

अयोध्या: इस 14 कोसी परिक्रमा को लेकर लोग दूसरे जिलों से पहुंचे. राम नगरी अयोध्या में अक्षय नवमी के दिन इस परिक्रमा का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी तिथि पर किया गया पुण्य 84 लाख योनियों के चक्र से मुक्त कर सकता है. इस तिथि पर किया गया पुण्य कभी नष्ट नहीं होता. यही वजह है कि लाखों की संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं.

अयोध्या में परिक्रमा करते श्रद्धालु

अयोध्या के तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी के अनुसार, राम नगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम की पवित्र जन्मस्थली के अलावा कई और मंदिर हैं. वैसे तो पूरे देश भर के अलग-अलग तीर्थ स्थलों की परिक्रमा करने की परंपरा है, लेकिन अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा का महत्व विशेष है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि 14 कोस की परिधि में भगवान श्रीराम की अयोध्या है.

रामनगरी में परिक्रमा करते लोग
रामनगरी में परिक्रमा करते लोग

इस क्षेत्र में कई हजार मंदिर हैं, जिनमें विभिन्न देवी-देवताओं का गर्भगृह भी है. जब कोई श्रद्धालु इस पथ पर परिक्रमा करता है, तो सिर्फ राम जन्मभूमि और रामलला ही नहीं, इन सभी देवी-देवताओं और पूरी अयोध्या की परिक्रमा हो जाती है. इसलिए अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा का विशेष महत्व है.

रामनगरी में आस्था की डुबकी
रामनगरी में आस्था की डुबकी



अयोध्या पहुंचे श्रद्धालुओं का ये भी मानना है कि अक्षय नवमी के दिन की गई परिक्रमा से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. मान्यता यह भी है कि तीन वर्ष अनवरत परिक्रमा करने से सकल मनोरथ पूर्ण होते हैं. पूर्वजों को स्वर्ग लोक में स्थान मिलता है और इसी वजह से हर वर्ष अक्षय नवमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा करने अयोध्या पहुंचते हैं.

रामनगरी में आस्था की डुबकी
रामनगरी में आस्था की डुबकी
पौराणिक मान्यता के अनुसार, मनुष्य इस धरती पर 84 लाख योनियों की यात्रा करता है. इस दौरान उससे अनेक पाप और अधर्म होते हैं. जब वह जीव मानव का शरीर पाता है तब उसके पास यह अवसर होता है कि वह स्वयं द्वारा किए गए अधर्म और पाप का पश्चाताप करे. कहा जाता है कि परिक्रमा एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसके जरिए वह अपने सभी पाप मिटा सकता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, परिक्रमा पथ पर चला गया एक-एक कदम हजारों पापों का नाश करता है. इस कारण परिक्रमा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.
रामनगरी में परिक्रमा करते लोग
रामनगरी में परिक्रमा करते लोग



ये भी पढ़ें- हिंदू धर्म की तुलना ISIS और बोको हराम से करने पर सलमान खुर्शीद के खिलाफ FIR



राम नगरी अयोध्या में प्रत्येक वर्ष अक्षय नवमी तिथि के मौके पर कई लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं और राम नगरी अयोध्या के चतुर्दिक परिक्रमा करते हैं. इस लंबी दूरी को तय करने में श्रद्धालुओं को भारी थकान और पैरों में दर्द होने लगता है, फिर भी मन में आस्था और उल्लास कम नहीं होती. 45 किलोमीटर लंबे परिक्रमा पथ पर लोग जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए शामिल हुए.


ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.