ETV Bharat / state

आस्था की डगर पर लाखों कदम, अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ - ayodhya letest news

श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि 14 कोसी परिक्रमा (14 Kosi Parikrama in ayodhya) का अर्थ 14 लोकों की परिक्रमा करने से है. मोक्ष की प्राप्ति के लिए और अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए लोग आस्था के साथ यह परिक्रमा करते हैं.

Etv Bharat
14 Kosi Parikrama in ayodhya
author img

By

Published : Nov 2, 2022, 12:03 PM IST

Updated : Nov 2, 2022, 6:02 PM IST

अयोध्याः भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या की चतुर्दिक 14 कोस की परिधि में होने वाली विश्व प्रसिद्ध 14 कोसी परिक्रमा (14 Kosi Parikrama in ayodhya) शुरू हो गई है. मध्य रात्रि 12:48 पर लाखों श्रद्धालुओं ने राम नाम संकीर्तन जाप करते हुए यह परिक्रमा शुरू की है. 45 किलोमीटर से अधिक दूरी की इस लंबी परिक्रमा पथ पर एक साथ लाखों कदम आस्था की डगर पर चल पड़े हैं. बुधवार रात 10:33 बजे इस परिक्रमा का समापन होगा. इस बीच इस परिक्रमा में लाखों श्रद्धालु अक्षय तृतीय के पुण्य नक्षत्र में इस परिक्रमा में शामिल हैं. नंद नगरी के चतुर्दिक होने वाली इस परिक्रमा का विशेष महत्व माना जाता है.

अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा के महत्व के बारे में बताते श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि परिक्रमा सदियों से चली आ रही है. मोक्ष की प्राप्ति के लिए और अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए लोग आस्था के साथ यह परिक्रमा करते हैं. 14 कोसी परिक्रमा का अर्थ 14 लोकों की परिक्रमा करने से है, जिससे व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी वजह से 14 कोस की परिक्रमा की जाती है. अयोध्या में कार्तिक मास में परिक्रमा करने और सरयू नदी में स्नान करने से जन्मों जन्मांतर के पाप से व्यक्ति मुक्त होता है.

अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा करते श्रद्धालु
अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा करते श्रद्धालु

बता दें कि अक्षय तृतीया का अर्थ है कि कभी जिसका क्षय न हो. अक्षय तृतीया को किए गए दान पुण्य का प्रभाव कभी समाप्त नहीं होता. इसी वजह से लाखों लोग इस परिक्रमा में शामिल होते हैं.

ये भी पढ़ेंः Amla Navami 2022: आवंले के पेड़ के नीचे करें ये काम, हर मनोकामना होगी पूरी

अयोध्याः भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या की चतुर्दिक 14 कोस की परिधि में होने वाली विश्व प्रसिद्ध 14 कोसी परिक्रमा (14 Kosi Parikrama in ayodhya) शुरू हो गई है. मध्य रात्रि 12:48 पर लाखों श्रद्धालुओं ने राम नाम संकीर्तन जाप करते हुए यह परिक्रमा शुरू की है. 45 किलोमीटर से अधिक दूरी की इस लंबी परिक्रमा पथ पर एक साथ लाखों कदम आस्था की डगर पर चल पड़े हैं. बुधवार रात 10:33 बजे इस परिक्रमा का समापन होगा. इस बीच इस परिक्रमा में लाखों श्रद्धालु अक्षय तृतीय के पुण्य नक्षत्र में इस परिक्रमा में शामिल हैं. नंद नगरी के चतुर्दिक होने वाली इस परिक्रमा का विशेष महत्व माना जाता है.

अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा के महत्व के बारे में बताते श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि परिक्रमा सदियों से चली आ रही है. मोक्ष की प्राप्ति के लिए और अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए लोग आस्था के साथ यह परिक्रमा करते हैं. 14 कोसी परिक्रमा का अर्थ 14 लोकों की परिक्रमा करने से है, जिससे व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी वजह से 14 कोस की परिक्रमा की जाती है. अयोध्या में कार्तिक मास में परिक्रमा करने और सरयू नदी में स्नान करने से जन्मों जन्मांतर के पाप से व्यक्ति मुक्त होता है.

अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा करते श्रद्धालु
अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा करते श्रद्धालु

बता दें कि अक्षय तृतीया का अर्थ है कि कभी जिसका क्षय न हो. अक्षय तृतीया को किए गए दान पुण्य का प्रभाव कभी समाप्त नहीं होता. इसी वजह से लाखों लोग इस परिक्रमा में शामिल होते हैं.

ये भी पढ़ेंः Amla Navami 2022: आवंले के पेड़ के नीचे करें ये काम, हर मनोकामना होगी पूरी

Last Updated : Nov 2, 2022, 6:02 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.