अमरोहा: जनपद में खादर क्षेत्र के एक दर्जन से ज्यादा ऐसे गांव हैं, जहां पर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज न होने की वजह से 'बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ' अभियान पर पलीता लगता नजर आ रहा है. वहीं, ग्राम प्रधान व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस विषय को लेकर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज बनवाने की मांग उठाई है.
अमरोहा जनपद के हसनपुर तहसील क्षेत्र के गंगा खादर में ईटीवी भारत ने लोगों से बात की तो पता चला कि इलाके में डेढ़ दर्जन से ज्यादा ऐसे गांव हैं, जहां पर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज न होने की वजह से गरीब किसान की बेटियां पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं. इस मुद्दे को लेकर ग्राम प्रधान व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री की निंदा की और क्षेत्र में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज बनवाए जाने की मांग की है. केंद्र सरकार की योजना 'बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ' के तहत बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है.
गंगा खादर क्षेत्र के लोगों को केंद्र व प्रदेश सरकार की इस योजना से महरूम रखा जा रहा है. गंगा खादर क्षेत्र में लगभग 15 से 20 गांव है, जहां लगभग 10 किलोमीटर तक बालिकाओं को इंटर के शिक्षा ग्रहण कराने के लिए कोई भी विद्यालय नहीं है, जिसके कारण बालिका कक्षा 8 के बाद आगे की शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था न होने से घर में ही बैठे रहने के लिए मजबूर हो जाती है. वहीं बच्चियों को होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखकर खादर के लोगों ने शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों को राजकीय बालिका इंटर कॉलेज स्थापित करने की मांग की है, लेकिन उनकी सुनवाई होती नहीं दिख रही है.
समाजसेवी पंडित बलराम ने बताया कि गंगा खादर क्षेत्र में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज स्थापित कराए जाने के मकसद से गंगा हर क्षेत्र के ऐसे बहुत गांव है, जहां पर बालिका आठवीं क्लास के बाद की शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाती. यहां पर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज न होने की वजह से गरीब किसान प्राइमरी स्कूल में अपनी बेटी को नहीं पढ़ा पाते. साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि इस संबंध में लखनऊ जाकर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को शिकायती पत्र दे चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई है.
पूर्व ब्लाक प्रमुख हाजी मुमताज अली ने बताया कि गंगा खादर क्षेत्र में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज न होने की वजह से बालिकाएं शिक्षा से वंचित रहती हैं. इन्हें शिक्षा प्राप्त नहीं होती और यहां के गरीब किसान अपनी बच्चियों को प्राइमरी स्कूल में नहीं भेज पाते.