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CCD पर संकट, क्या बंद हो जाएगा मशहूर कैफे कॉफी डे ? स्टॉक एक्सचेंज से झटका - CAFE COFFEE DAY

CCD Stocks: स्टॉक एक्सचेंजों ने कॉफी डे एंटरप्राइजेज की ट्रेडिंग को रोक दिया है. दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत निगरानी में रखा गया है.

CCD in trouble, will Cafe Coffee Day be shut down trading suspend by Stock exchanges Malvika Hegde
CCD पर संकट, क्या बंद हो जाएगा मशहूर कैफे कॉफी डे (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 7, 2024, 6:26 PM IST

हैदराबाद: मशहूर कॉफी शॉप चेन कैफे कॉफी डे (CCD) पर संकट बढ़ता जा रहा है. सीसीडी का संचालन करने वाली कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड (CDEL) कर्ज में डूबी है. जिसके कारण स्‍टॉक एक्‍सचेंजों ने सीडीईएल की ट्रेडिंग पर रोक लगा दी है.

कंपनी ने 5 नवंबर को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कहा कि दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) मानदंडों के तहत अतिरिक्त निगरानी उपायों (ASM) के हिस्से के रूप में स्टॉक एक्सचेंजों ने इसकी प्रतिभूतियों (सिक्युरटीज) के कारोबार को निलंबित कर दिया है. यह रोक 5 नवंबर, 2024 से प्रभावी हो गई है.

अब कंपनी के शेयरों का कारोबार सप्ताह में केवल एक बार - सोमवार या सप्ताह के पहले कारोबारी दिन होगा और इस आईबीसी चरण-प्रथम में न्यूनतम एक महीने की अवधि के बाद स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा समीक्षा किए जाने तक यह रोक जारी रहेगी.

कैफे कॉफी डे
कैफे कॉफी डे (IANS)

एक्सचेंजों का यह फैसला 8 अगस्त, 2024 को बेंगलुरु में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के एक आदेश के बाद आया है, जिसमें सीडीईएल के लिए कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू की गई है.

दिवालियापन की कार्रवाई
कॉफी डे एंटरप्राइजेज ने दिवालियापन प्रक्रिया के आगे बढ़ने के साथ ही हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करने की अपनी प्रतिबद्धता भी रेखांकित की. आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेस ने दिवाला और दिवालियापन संहिता की धारा 7 के तहत सीडीईएल के खिलाफ आवेदन दिया था. आईडीबीआई ट्रस्टीशिप ने 228 करोड़ के डिफॉल्‍ट पेमेंट को लेकर यह आवेदन दिया था. फिलहाल यह मामला एनसीएलटी के समक्ष है.

वीजी सिद्धार्थ ने की थी कैफे कॉफी डे की स्थापना
वीजी सिद्धार्थ ने 1996 में कैफे कॉफी डे की शुरुआत की थी और 11 जुलाई 1996 को बेंगलुरु में सीसीडी की पहली कॉफी शॉप खोली थी. धीरे-धीरे कैफे कॉफी डे मीटिंग और डेटिंग का अड्डा बन गया. कुछ ही वर्षों में यह 8,000 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई. सीसीडी का कारोबार बढ़ने के बाद वीजी सिद्धार्थ ने 2015 में कंपनी को शेयर मार्केट में लिस्ट कराने का फैसला किया.

कॉफी के कारोबार के साथ ही वीजी सिद्धार्थ ने रियल एस्टेट और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में भी कदम रखा. लेकिन कंपनी को फायदा नहीं हुआ और घाटे में आ गई. इस बीच कंपनी पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया. वर्ष 2017 में आयकर विभाग ने कंपनी को 700 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का नोटिस भेज दिया, जिससे कंपनी संकट में आ गई.

2019 में वीजी सिद्धार्थ की मौत
साल 2019 तक कॉफी डे एंटरप्राइजेज पर 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो गया. कंपनी के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने अपने शेयर का 20 प्रतिशत हिस्सा बेचकर आधा कर्ज चुकाया. लेकिन उनकी मुसीबतें कम नहीं हुईं. कर्ज और टैक्‍स चोरी का दबाव बढ़ता गया. इस दबाव के कारण वीजी सिद्धार्थ ने 2019 में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.

पत्नी मालविका कंपनी को बचाने के लिए आगे आईं
सीसीडी के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ की मौत के बाद उनकी पत्नी मालविका हेगड़े कंपनी को कर्ज से बाहर निकालने के लिए आगे आईं. जिसमें उन्हें बहुत हद तक कामयाबी मिली और मार्च 2022 तक समूह की कंपनियों का कर्ज घटकर 960 करोड़ रुपये रह गया था. मालविका ने कंपनी को घाटे से निकाला. पिछले दो वर्षों में उनकी मेहनत कंपनी का रेवेन्यू भी बढ़ा. लेकिन दिवालियापन प्रक्रिया और एक्‍सचेंजों की कार्रवाई से कंपनी पर फिर से संकट मंडराने लगा है. सीसीडी के बंद होने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.

यह भी पढ़ें- UPI में जुड़ा नया फीचर, खर्च का हिसाब लगाना हुआ आसान, टैक्स भरने में आएगा काम

हैदराबाद: मशहूर कॉफी शॉप चेन कैफे कॉफी डे (CCD) पर संकट बढ़ता जा रहा है. सीसीडी का संचालन करने वाली कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड (CDEL) कर्ज में डूबी है. जिसके कारण स्‍टॉक एक्‍सचेंजों ने सीडीईएल की ट्रेडिंग पर रोक लगा दी है.

कंपनी ने 5 नवंबर को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कहा कि दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) मानदंडों के तहत अतिरिक्त निगरानी उपायों (ASM) के हिस्से के रूप में स्टॉक एक्सचेंजों ने इसकी प्रतिभूतियों (सिक्युरटीज) के कारोबार को निलंबित कर दिया है. यह रोक 5 नवंबर, 2024 से प्रभावी हो गई है.

अब कंपनी के शेयरों का कारोबार सप्ताह में केवल एक बार - सोमवार या सप्ताह के पहले कारोबारी दिन होगा और इस आईबीसी चरण-प्रथम में न्यूनतम एक महीने की अवधि के बाद स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा समीक्षा किए जाने तक यह रोक जारी रहेगी.

कैफे कॉफी डे
कैफे कॉफी डे (IANS)

एक्सचेंजों का यह फैसला 8 अगस्त, 2024 को बेंगलुरु में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के एक आदेश के बाद आया है, जिसमें सीडीईएल के लिए कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू की गई है.

दिवालियापन की कार्रवाई
कॉफी डे एंटरप्राइजेज ने दिवालियापन प्रक्रिया के आगे बढ़ने के साथ ही हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करने की अपनी प्रतिबद्धता भी रेखांकित की. आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेस ने दिवाला और दिवालियापन संहिता की धारा 7 के तहत सीडीईएल के खिलाफ आवेदन दिया था. आईडीबीआई ट्रस्टीशिप ने 228 करोड़ के डिफॉल्‍ट पेमेंट को लेकर यह आवेदन दिया था. फिलहाल यह मामला एनसीएलटी के समक्ष है.

वीजी सिद्धार्थ ने की थी कैफे कॉफी डे की स्थापना
वीजी सिद्धार्थ ने 1996 में कैफे कॉफी डे की शुरुआत की थी और 11 जुलाई 1996 को बेंगलुरु में सीसीडी की पहली कॉफी शॉप खोली थी. धीरे-धीरे कैफे कॉफी डे मीटिंग और डेटिंग का अड्डा बन गया. कुछ ही वर्षों में यह 8,000 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई. सीसीडी का कारोबार बढ़ने के बाद वीजी सिद्धार्थ ने 2015 में कंपनी को शेयर मार्केट में लिस्ट कराने का फैसला किया.

कॉफी के कारोबार के साथ ही वीजी सिद्धार्थ ने रियल एस्टेट और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में भी कदम रखा. लेकिन कंपनी को फायदा नहीं हुआ और घाटे में आ गई. इस बीच कंपनी पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया. वर्ष 2017 में आयकर विभाग ने कंपनी को 700 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का नोटिस भेज दिया, जिससे कंपनी संकट में आ गई.

2019 में वीजी सिद्धार्थ की मौत
साल 2019 तक कॉफी डे एंटरप्राइजेज पर 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो गया. कंपनी के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने अपने शेयर का 20 प्रतिशत हिस्सा बेचकर आधा कर्ज चुकाया. लेकिन उनकी मुसीबतें कम नहीं हुईं. कर्ज और टैक्‍स चोरी का दबाव बढ़ता गया. इस दबाव के कारण वीजी सिद्धार्थ ने 2019 में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.

पत्नी मालविका कंपनी को बचाने के लिए आगे आईं
सीसीडी के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ की मौत के बाद उनकी पत्नी मालविका हेगड़े कंपनी को कर्ज से बाहर निकालने के लिए आगे आईं. जिसमें उन्हें बहुत हद तक कामयाबी मिली और मार्च 2022 तक समूह की कंपनियों का कर्ज घटकर 960 करोड़ रुपये रह गया था. मालविका ने कंपनी को घाटे से निकाला. पिछले दो वर्षों में उनकी मेहनत कंपनी का रेवेन्यू भी बढ़ा. लेकिन दिवालियापन प्रक्रिया और एक्‍सचेंजों की कार्रवाई से कंपनी पर फिर से संकट मंडराने लगा है. सीसीडी के बंद होने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.

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