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Amethi: जगदीशपुर विधानसभा सीट की डेमोग्राफिक रिपोर्ट, कांग्रेस का रहा है गढ़, 2017 में बीजेपी ने लगाई थी सेंध - etv bharat up seat

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर मचे घमासान के बीच राजनीतिक पार्टियां जनता के मतों को पाने के लिए सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. आइये जानते हैं अमेठी जिले की जगदीशपुर विधानसभा पर इस बार क्या रहेगा चुनावी समीकरण ?

जगदीशपुर विधानसभा सीट.
जगदीशपुर विधानसभा सीट.
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Published : Dec 11, 2021, 9:55 AM IST

Updated : Dec 11, 2021, 10:28 AM IST

अमेठी: उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले का राजनीति से गहरा नाता रहा है. गांधी परिवार की कर्म भूमि होने के चलते अमेठी की राजनीति पर सभी की निगाहें बनी रहती हैं. आज हम बात करेंगे अमेठी जिले की जगदीशपुर विधानसभा की. यह विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीटों में से एक है. यहां से कांग्रेस 8 बार चुनाव जीत चुकी है. फिलहाल 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर ने पूरे प्रदेश की तरह इस विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस का किला ढहा दिया था. इस बार कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है.

अमेठी जिले की जगदीश पुर विधान सभा सीट 178 आरक्षित रखी गई है. यह विधान सभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. 1974 में राम सेवक धोबी कांग्रेस के विधायक निर्वाचित हुए. वहीं, 1977 में जे एन पी से राम फेर कोरी विधायक बने. 1980 से 1991 तक लगातार राम सेवक धोबी ही कांग्रेस से प्रतिनिधित्व करते रहे. 1993 में नंद लाल पासी सपा से विधायक बने. 1996 में राम लखन पासी बीजेपी से विधायक बने. जनता की उमीदों पर खरा न उतरने पर 2002 में राम सेवक धोबी को पुनः जनता ने आशीर्वाद दिया. जिसके बाद 2007 के विधान सभा चुनाव में भी उन्हें जनता ने अपना आशीर्वाद देकर विधानसभा पहुंचाया. वर्ष 2012 के चुनाव में उनके नाती राधेश्याम धोबी उनकी विरासत संभाल लिए. इस बार इनके मुकाबले में सपा के विजय कुमार 29.43 प्रतिशत मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे. वहीं, भाजपा के राम लखन पासी महज 14.07 प्रतिशत मत पाकर चौथे स्थान पर रहे.

2012 में चुनाव जीत कर मंत्री बने सुरेश पासी

साल 2012 का विधान सभा चुनाव हुआ तो बाजी पलट गई. महज 14.07 प्रतिशत मत पाकर चौथे स्थान पर रहने वाली भाजपा ने सुरेश पासी जैसे नए चेहरे पर दांव लगाया. सुरेश पासी ने कांग्रेस के पुराने किले को ढहा कर यहां कमल खिला दिया. कांग्रेस 35.61 प्रतिशत मत पाकर दूसरे स्थान पर चली गई. वहीं, बसपा 16.5 प्रतिशत मत पाकर तीसरे स्थान रही. इस चुनाव में सुरेश पासी को जातीय वोटों का लाभ मिला था. सपा के वाक ओवर से सुरेश पासी को मत अधिक मिले और वे चुनाव जीत गए. इस बार कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस लाने के लिए सभी हथकंडे अपना रही है. यदि सपा ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया तो बीजेपी के लिए चुनाव जीतना टेड़ी खीर हो जाएगी.

कैंडिडेट सेलेक्शन में उलझी कांग्रेस

कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए सभी हथकंडे अपना रही है. खास बात तो यह है कि सपा से चुनाव लड़ने वाले विजय पासी भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. इस तरह कांग्रेस अपनों के फेर में ही उलझ गई है. अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपने पुराने प्रत्याशी राधेश्याम धोबी पर दांव लगाती है या सपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले विजय पासी को चुनावी समर में उतारती है. फिलहाल विजय पासी चुनावी पिच पर लगातार बैटिंग कर रहे है. उनके समर्थक उनका टिकट पक्का होने का प्रचार भी क्षेत्र में कर रहे हैं.

जीत दोहराने के लिए भाजपा की है पुरजोर कोशिश
भाजपा भी इस जीत को दोहराने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. फिलहाल राज्य मंत्री सुरेश पासी के अतिरिक्त कई चेहरे चुनावी समर में दिखाई पड़ रहे हैं. क्षेत्र में सड़कों को लेकर राज्यमंत्री सुरेश पासी की बहुत किरकिरी भी हो चुकी है. क्षेत्र में कई गांवों में रोड नहीं तो वोट नहीं के बोर्ड भी लगाए गए थे. वहीं, कई गांवों में सड़क को लेकर प्रदर्शन भी हो चुके है. राज्यमंत्री के अतिरिक्त राजन चौधरी, राजेन्द्र पासी, उपमा सरोज भी टिकट की लाइन में है. अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व किसके ऊपर दावं लगाता है.

वहीं सपा के पास भी कैंडिडेट की लंबी लाइन दिखाई दे रही है. विमलेश सरोज, जगजीवन धोबी, जगदत्त कोरी, रचना कोरी भी अपनी टिकट की दावेदारी ठोक चुकीं हैं. सभी दावेदारों के समर्थक अपने-अपने नेता का टिकट पक्का बता कर मतदाताओं को साधने में जुटे हैं.

ये है प्रमुख समस्याएं

जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र में सड़कों की हालत ठीक नहीं है. टूटी हुई सड़कों को लेकर कई बार ग्रामीणों ने प्रदर्शन भी किया है. विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश सड़कें गड्ढा मुक्त नहीं हो पाई हैं जो आगामी चुनाव में मुद्दा बन सकती हैं. राज्यमंत्री होने के बावजूद भी क्षेत्रीय विधायक द्वारा रोजगार के लिए कोई विशेष सुविधा नहीं की गई है. वहीं संबंधित मंत्रालय से भी कोई उपलब्धि क्षेत्र वासियों को नहीं मिली है.

कुल जनसंख्या- 5,98,734
महिला- 2,94,131
पुरुष- 3,04,603
कुल मतदाता- 3,72,134
महिला मतदाता- 1,72,885
पुरुष मतदाता-1,99,215
थर्ड जेंडर- 34

अनुमानित जातिगत आंकड़ा

अनुसूचित जाति- 1,31,000
मुस्लिम- 85,000
ब्राह्मण- 35,000
क्षत्रिय- 17,000
वैश्य- 10,000
ओबीसी- 57,000
मल्लाह-8,000
अन्य-3,000

इसे भी पढ़ें- UP Election 2022: जानिए प्रतापगढ़ की विश्वनाथगंज विधानसभा सीट पर इस बार क्या बन सकता है चुनावी समीकरण ?

अमेठी: उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले का राजनीति से गहरा नाता रहा है. गांधी परिवार की कर्म भूमि होने के चलते अमेठी की राजनीति पर सभी की निगाहें बनी रहती हैं. आज हम बात करेंगे अमेठी जिले की जगदीशपुर विधानसभा की. यह विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीटों में से एक है. यहां से कांग्रेस 8 बार चुनाव जीत चुकी है. फिलहाल 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर ने पूरे प्रदेश की तरह इस विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस का किला ढहा दिया था. इस बार कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है.

अमेठी जिले की जगदीश पुर विधान सभा सीट 178 आरक्षित रखी गई है. यह विधान सभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. 1974 में राम सेवक धोबी कांग्रेस के विधायक निर्वाचित हुए. वहीं, 1977 में जे एन पी से राम फेर कोरी विधायक बने. 1980 से 1991 तक लगातार राम सेवक धोबी ही कांग्रेस से प्रतिनिधित्व करते रहे. 1993 में नंद लाल पासी सपा से विधायक बने. 1996 में राम लखन पासी बीजेपी से विधायक बने. जनता की उमीदों पर खरा न उतरने पर 2002 में राम सेवक धोबी को पुनः जनता ने आशीर्वाद दिया. जिसके बाद 2007 के विधान सभा चुनाव में भी उन्हें जनता ने अपना आशीर्वाद देकर विधानसभा पहुंचाया. वर्ष 2012 के चुनाव में उनके नाती राधेश्याम धोबी उनकी विरासत संभाल लिए. इस बार इनके मुकाबले में सपा के विजय कुमार 29.43 प्रतिशत मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे. वहीं, भाजपा के राम लखन पासी महज 14.07 प्रतिशत मत पाकर चौथे स्थान पर रहे.

2012 में चुनाव जीत कर मंत्री बने सुरेश पासी

साल 2012 का विधान सभा चुनाव हुआ तो बाजी पलट गई. महज 14.07 प्रतिशत मत पाकर चौथे स्थान पर रहने वाली भाजपा ने सुरेश पासी जैसे नए चेहरे पर दांव लगाया. सुरेश पासी ने कांग्रेस के पुराने किले को ढहा कर यहां कमल खिला दिया. कांग्रेस 35.61 प्रतिशत मत पाकर दूसरे स्थान पर चली गई. वहीं, बसपा 16.5 प्रतिशत मत पाकर तीसरे स्थान रही. इस चुनाव में सुरेश पासी को जातीय वोटों का लाभ मिला था. सपा के वाक ओवर से सुरेश पासी को मत अधिक मिले और वे चुनाव जीत गए. इस बार कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस लाने के लिए सभी हथकंडे अपना रही है. यदि सपा ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया तो बीजेपी के लिए चुनाव जीतना टेड़ी खीर हो जाएगी.

कैंडिडेट सेलेक्शन में उलझी कांग्रेस

कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए सभी हथकंडे अपना रही है. खास बात तो यह है कि सपा से चुनाव लड़ने वाले विजय पासी भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. इस तरह कांग्रेस अपनों के फेर में ही उलझ गई है. अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपने पुराने प्रत्याशी राधेश्याम धोबी पर दांव लगाती है या सपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले विजय पासी को चुनावी समर में उतारती है. फिलहाल विजय पासी चुनावी पिच पर लगातार बैटिंग कर रहे है. उनके समर्थक उनका टिकट पक्का होने का प्रचार भी क्षेत्र में कर रहे हैं.

जीत दोहराने के लिए भाजपा की है पुरजोर कोशिश
भाजपा भी इस जीत को दोहराने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. फिलहाल राज्य मंत्री सुरेश पासी के अतिरिक्त कई चेहरे चुनावी समर में दिखाई पड़ रहे हैं. क्षेत्र में सड़कों को लेकर राज्यमंत्री सुरेश पासी की बहुत किरकिरी भी हो चुकी है. क्षेत्र में कई गांवों में रोड नहीं तो वोट नहीं के बोर्ड भी लगाए गए थे. वहीं, कई गांवों में सड़क को लेकर प्रदर्शन भी हो चुके है. राज्यमंत्री के अतिरिक्त राजन चौधरी, राजेन्द्र पासी, उपमा सरोज भी टिकट की लाइन में है. अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व किसके ऊपर दावं लगाता है.

वहीं सपा के पास भी कैंडिडेट की लंबी लाइन दिखाई दे रही है. विमलेश सरोज, जगजीवन धोबी, जगदत्त कोरी, रचना कोरी भी अपनी टिकट की दावेदारी ठोक चुकीं हैं. सभी दावेदारों के समर्थक अपने-अपने नेता का टिकट पक्का बता कर मतदाताओं को साधने में जुटे हैं.

ये है प्रमुख समस्याएं

जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र में सड़कों की हालत ठीक नहीं है. टूटी हुई सड़कों को लेकर कई बार ग्रामीणों ने प्रदर्शन भी किया है. विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश सड़कें गड्ढा मुक्त नहीं हो पाई हैं जो आगामी चुनाव में मुद्दा बन सकती हैं. राज्यमंत्री होने के बावजूद भी क्षेत्रीय विधायक द्वारा रोजगार के लिए कोई विशेष सुविधा नहीं की गई है. वहीं संबंधित मंत्रालय से भी कोई उपलब्धि क्षेत्र वासियों को नहीं मिली है.

कुल जनसंख्या- 5,98,734
महिला- 2,94,131
पुरुष- 3,04,603
कुल मतदाता- 3,72,134
महिला मतदाता- 1,72,885
पुरुष मतदाता-1,99,215
थर्ड जेंडर- 34

अनुमानित जातिगत आंकड़ा

अनुसूचित जाति- 1,31,000
मुस्लिम- 85,000
ब्राह्मण- 35,000
क्षत्रिय- 17,000
वैश्य- 10,000
ओबीसी- 57,000
मल्लाह-8,000
अन्य-3,000

इसे भी पढ़ें- UP Election 2022: जानिए प्रतापगढ़ की विश्वनाथगंज विधानसभा सीट पर इस बार क्या बन सकता है चुनावी समीकरण ?

Last Updated : Dec 11, 2021, 10:28 AM IST
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