लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 5 अप्रैल की रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घर की सभी लाइटें बंद कर तेल के दिये और मोमबत्ती जलाने की आपील की थी, जिसके बाद प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कुम्हारों को लाॅकडाउन में कुछ आमदनी होने की आस जगी और उन्होंने मिट्टी के दिए बनाना शुरू कर दिया, लेकिन उनकी उम्मीदों का दीपक नहीं चला और बनाए गए मिट्टी के दिए धरे के धरे रह गए.
नहीं पहुंच रही सरकारी मदद, स्थानीय लोग मुहैया कर रहे राशन
राजधानी लखनऊ, उन्नाव और रायबरेली की सीमा पर स्थित सुदौली गांव है. यहां करीब 150 से ज्यादा कुम्हार परिवार रहते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में इन कुम्हारों ने बताया कि प्रधानमंत्री के दिये जलाने की अपील करने के बाद लॉकडाउन के समय में थोड़ी सी बिक्री होने की उम्मीद जगी थी और दिये भी बनाए गए थे, लेकिन एक भी दिये नहीं बिके. सारा कामकाज ठप है और बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. न तो पैसे हैं और न ही घर में कुछ खाने को. स्थानीय प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं कराई जा रही है. आसपास के लोग जो कुछ खाद्य सामग्री मुहैया करा रहें हैं, उसी से काम चल रहा है.
वैवाहिक कार्यक्रमों पर लाॅकडाउन, कैसे होगी इस बार कुम्हारों की आमदनी
कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने और बचाव के लिए पूरे देश में 21 दिनों का लाॅकडाउन घोषित किया गया है. इस दौरान लोगों से केवल जरूरी काम के लिए ही अपने घरों से बाहर निकलने का निर्देश केंद्र और राज्य सरकार की ओर से दिया गया है. ऐसे में अधिकांश लोगों ने अपने यहां होने वाले वैवाहिक कार्यक्रमों को महीनों आगे बढ़ा दिया है तो वहीं अधिकतर लोगों ने केवल घर के सदस्यों की मौजूदगी में शादी आदि कार्यक्रम करने का फैसला किया है. ऐसे में कुम्हारों की कमाई भी ठप हो गई है. कुम्हारों का कहना है कि शादी-विवाह के इन चार महीनों से वर्ष भर की आमदनी होती है और उसी से पूरे साल खर्च चलता है, जो अब लाॅकडान के कारण नहीं हो पाएगी, क्योंकि कोरोना वायरस के कारण हुए लाॅकडाउन की वजह से इस सीजन में वैवाहिक आदि कार्यक्रम बहुत ही कम होंगे.